क्या आपने कभी सुबह उठकर देखा है कि Stock Market लाल निशान में है? हर News Channel पर “Black Friday” या “Bloodbath on Dalal Street” जैसी डरावनी Headlines चल रही हैं?
आप अपना Portfolio खोलते हैं और देखते हैं कि आपकी मेहनत की कमाई का एक बड़ा हिस्सा कुछ ही घंटों में गायब हो गया है। आपका दिल तेज़ धड़कने लगता है, हाथ ठंडे पड़ जाते हैं, और दिमाग में एक ही आवाज़ गूंजती है – “सब कुछ बेच दो, इससे पहले कि यह Zero हो जाए।”
यह अनुभव ही डर है। Investing की दुनिया में डर, लालच (greed) के बाद सबसे शक्तिशाली और विनाशकारी Emotion है।
यह हमसे वे सारे ग़लत काम करवाता है जिनके बारे में हम जानते हैं कि हमें नहीं करने चाहिए। एक Market Crash के दौरान शांत और logical रहना एक सफल Investor की सबसे बड़ी पहचान है।
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Market Crash में हमारे दिमाग के साथ क्या होता है?

जब हम अपने Portfolio को तेज़ी से गिरते हुए देखते हैं, तो हमारे दिमाग का ‘Fight or Flight‘ Response System एक्टिवेट हो जाता है।
इस System को Amygdala नाम का हिस्सा कंट्रोल करता है। इस दौरान, हमारे शरीर में Cortisol और Adrenaline जैसे Stress Hormones रिलीज़ होते हैं।
यह वही System है जो हमारे पूर्वजों को एक खतरनाक जानवर से बचने में मदद करता था।
लेकिन Investing में, यह System उल्टा काम करता है। इस दौरान हमारे दिमाग का rational part (Prefrontal Cortex), जो सही और ग़लत का फ़ैसला करता है, कमज़ोर पड़ जाता है और emotional part हावी हो जाता है।
इस ‘Emotional Hijacking‘ की स्थिति में, हम long-term planning के बजाय immediate relief के लिए Panic Selling जैसे फैसले लेने लगते हैं।
डर से पैदा होने वाले Destructive Actions
डर के प्रभाव में, Investors आमतौर पर ऐसी ग़लतियाँ करते हैं जो उनके Financial Future को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाती हैं:
- Panic Selling: यह डर का सबसे common outcome है। Investors इस उम्मीद में अपने सारे Investments बेच देते हैं कि वे और नुकसान से बच जाएँगे। लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या यह है कि वे एक Temporary नुकसान को एक Permanent नुकसान में बदल देते हैं। इतिहास गवाह है कि हर Market Crash के बाद Market ने Recovery की है। जो लोग Panic में बेच देते हैं, वे इस Recovery का हिस्सा नहीं बन पाते।
- ज़्यादा देर तक Cash में रहना (Staying in Cash for Too Long): Panic Selling से जुड़ी दूसरी ग़लती है बहुत लंबे समय तक Cash में बने रहना। बेचना तो आसान लगता है, लेकिन Market में दोबारा कब enter करना है, यह फैसला लेना बहुत मुश्किल होता है। Investors “सही समय” का इंतज़ार करते रहते हैं और अक्सर Market की शुरुआती और सबसे तेज़ Recovery को Miss कर देते हैं।
- अच्छे और बुरे, दोनों Assets को बेचना: एक Crash के दौरान, लोग अपने अच्छे और बुरे, सभी Assets को एक साथ बेचने लगते हैं। वे अपने Portfolio में “Weeding” करने के बजाय पूरे “Garden” को ही आग लगा देते हैं।
एक अच्छी कंपनी का Stock Crash में Temporary रूप से गिर सकता है, लेकिन उसके Business की Value बनी रहती है।
Market Corrections और Market Crash Normal क्यों हैं?

डर पर काबू पाने का सबसे अच्छा तरीका है, Market के nature को समझना।
- ये Inevitable हैं : Market Corrections (10% की गिरावट) और Crashes (20% से ज़्यादा की गिरावट) Market Cycle का एक Normal और Healthy हिस्सा हैं। वे मार्केट से excess speculation को साफ़ करते हैं और नए investors को अच्छे prices पर enter करने का मौक़ा देते हैं। कोई भी Market हमेशा एक सीधी line में ऊपर नहीं जाता।
- ये Temporary हैं : इतिहास को देखें तो, हर Bear Market के बाद एक नया Bull Market आया है, जो पिछले High से भी ऊपर गया है। Sensex ने बड़े-बड़े scams, financial crises और महामारियों (pandemics) को झेला है, लेकिन long-term में उसकी direction हमेशा ऊपर की ओर रही है।
- ये Opportunity पैदा करते हैं : यदि आपके पास Cash है, तो एक Market Crash आपके लिए एक “Great Indian Sale” की तरह है। यह आपको बेहतरीन कंपनियों के Shares उनके असली दाम से काफ़ी सस्ते में खरीदने का opportunity देता है।
Crash के दौरान डर को मैनेज करने की Practical Strategies
Knowledge डर को कम करता है। इसलिए, preparation करना ही इससे लड़ने का सबसे अच्छा उपाय है।
- Crash से पहले एक Financial Plan बनाएं: आपका Investment आपके Financial Goals से जुड़ा होना चाहिए। यदि आपका goal 20 साल दूर है, तो आज की 20% की गिरावट आपके लिए उतनी मायने नहीं रखती। एक Plan आपको Disciplined रहने में मदद करता है।
- Asset Allocation आपका सबसे अच्छा दोस्त है: आपका सारा पैसा कभी भी 100% Equity में नहीं होना चाहिए। आपके Portfolio में Debt, Gold, या Real Estate जैसे दूसरे Assets भी होने चाहिए। जब Equity गिरता है, तो ये दूसरे Assets आपके Portfolio को सहारा देते हैं।
- बार-बार अपना Portfolio चेक करना बंद करें: Crash के दौरान, अपने Portfolio को हर घंटे देखना आपके डर को बढ़ाने का काम करता है। अपनी SIPs को चलने दें और Market से थोड़ी दूरी बनाएँ।
- एक Watchlist तैयार करें: हमेशा उन अच्छी कंपनियों की एक Watchlist तैयार रखें जिन्हें आप खरीदना चाहते हैं। जब Crash आए, तो आप Panic करने के बजाय, इस Watchlist का इस्तेमाल करके धीरे-धीरे ख़रीदारी शुरू कर सकते हैं।
Conclusion
Market Crash आपके Character और Discipline का Test लेता है। यह आपको आईने में दिखाता है कि आप एक “Investor” हैं या सिर्फ़ एक “Speculator“।
यह याद रखना ज़रूरी है कि Market में पैसा Stock ख़रीदने या बेचने से नहीं बनता, पैसा इंतज़ार करने से बनता है।
डर एक mental state है, और सही knowledge, preparation और एक long-term के नज़रिये से आप इस पर overcome कर सकते हैं।
जब आप Market की गिरावट को एक Problem के रूप में नहीं, बल्कि एक Opportunity के रूप में देखना शुरू कर देंगे, तभी आप डर के चंगुल से आज़ाद हो पाएँगे और एक सच्चे और successful investor बनेंगे।
People also ask :
नहीं, घबराहट में बेचना (Panic Selling) सबसे बड़ी गलतियों में से एक है। ऐसा करने से आप एक temporary नुकसान को permanent नुकसान में बदल देते हैं और आने वाली रिकवरी का हिस्सा नहीं बन पाते।
सबसे पहले शांत रहें और अपने Financial Plan पर टिके रहें। अपनी SIP को जारी रखें और अगर आपके पास cash है, तो पहले से तैयार की गई अच्छी कंपनियों की Watchlist से धीरे-धीरे खरीदारी करने का यह सबसे अच्छा समय हो सकता है।
हाँ, यदि आपके Financial Goals लंबे समय के हैं, तो Market Crash अच्छी कंपनियों के Stocks को डिस्काउंट पर खरीदने का एक बेहतरीन मौका होता है। इसे एक “sale” की तरह देखना चाहिए, न कि एक समस्या की तरह।
इतिहास बताता है कि हर Market Crash temporary होता है। रिकवरी में कुछ महीने या साल लग सकते हैं, लेकिन Long-term में मार्केट हमेशा रिकवर होकर नई ऊंचाइयों पर पहुँचा है।
डर के कारण होने वाली सबसे बड़ी गलती है Panic Selling, यानी अपने अच्छे और बुरे, सभी Investments को सिर्फ इसलिए बेच देना क्योंकि आप और नुकसान नहीं देखना चाहते। यह आपको Market की Recovery से हमेशा के लिए बाहर कर देता है।