एक दिन आपको सड़क पर 2000 रुपये मिलते है, आपको ख़ुशी होती है। अगले हफ़्ते, आपकी जेब से 2000 रुपये कहीं गिर जाता है। आपको बहुत दुःख होता है।
अब आप स्वयं सोचें, किस अनुभव का असर ज़्यादा मज़बूत था? 2000 रुपये पाने की ख़ुशी का या 2000 रुपये खोने के दुःख का?
यदि आप ज़्यादातर लोगों की तरह हैं, तो नुक़सान का दुःख आपको हमेशा ज़्यादा महसूस होगा। इसी मनोवैज्ञानिक घटना (psychological phenomenon) को Loss Aversion कहते हैं।
यह एक ऐसा शक्तिशाली bias है जो हमारे financial decisions पर गहरा असर डालता है और अक्सर हमसे वह करवाता है जो हमारे portfolio के लिए बिलकुल ग़लत होता है।
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Loss Aversion Bias क्या है? – What is Loss Aversion Bias?

Loss Aversion एक psychological principle है, जिसके अनुसार किसी निश्चित amount के नुक़सान से होने वाला mental pain उसी amount के profit से मिलने वाली ख़ुशी से लगभग दोगुना ज़्यादा होता है।
सरल शब्दों में कहा जाये तो, हम profit कमाने की इच्छा से ज़्यादा, नुक़सान से बचने के लिए motivated होते हैं।
यह bias हमारे दिमाग़ में काफ़ी गहराई तक मौजूद है। यह हमारे survival instinct (अस्तित्व की भावना) का हिस्सा है।
पुराने समय में, किसी ख़तरे (danger) को अनदेखा करना जानलेवा हो सकता था, जबकि किसी अवसर (opportunity) को छोड़ने का नतीजा उतना गंभीर नहीं था।
यही मानसिकता आज भी हमारे financial decisions को अनजाने में नियंत्रित करती है और हम risk लेने से डरते हैं।
Loss Aversion Investing Decisions को कैसे प्रभावित करता है?- How Loss Aversion Impacts on Investing Decisions
Investing की दुनिया में, यह bias आपसे कई ग़लत निर्णय करवा सकता है। इसके कुछ मुख्य उदाहरण इस प्रकार हैं:
- घाटे वाले Stocks को बहुत लम्बे समय तक रखना(Holding Losing Stocks for Too Long): यह इसका सबसे common असर है। जब कोई stock हमारी purchase price से नीचे चला जाता है, तो उसे बेचने का अर्थ है नुक़सान को स्वीकार (realize) करना। इस मानसिक दर्द से बचने के लिए, हम उस share को इस उम्मीद में बनाए रखते हैं कि वह कभी न कभी वापस break-even पर आ जाएगा, भले ही company के fundamentals कितने भी ख़राब क्यों न हो गए हों।
- मुनाफ़ा देने वाले Stocks को बहुत जल्दी बेचना(Selling Winning Stocks Too Early): इसके ठीक उल्टा, जब किसी stock में थोड़ा फायदा होता है, तो हमें यह डर लगने लगता है कि कहीं यह profit वापस न चला जाए। इस डर के कारण, हम अच्छे long-term potential वाले stock को बहुत जल्दी बेच देते हैं और उसकी आगे की growth का benefits नहीं उठा पाते।
- पूरी तरह से Risk लेने से बचना(Avoiding Risk Altogether): कुछ लोग नुक़सान के डर से इतने प्रभावित होते हैं कि वे equity market में invest ही नहीं करते। वे अपना सारा पैसा FD या savings account जैसे safe assets में रखते हैं, जहाँ उन्हें महँगाई (inflation) से भी कम returns मिलता हैं। असल में उनके पैसे की value समय के साथ कम हो जाती है।
“Break-Even” की भ्रांति और Mental Accounting – The “Break-Even” Fallacy and Mental Accounting

Loss Aversion Bias के कारण हम “break-even fallacy” नामक एक trap में फँस जाते हैं। इसका मतलब है, हम किसी investment के future potential के बजाय अपनी purchase price को ज़्यादा महत्व देते हैं।
हम सोचते हैं, “बस एक बार मेरी cost price वापस आ जाए, मैं इसे बेच दूँगा।”
यह एक ग़लत approach है।
Market को इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि आपने एक stock किस क़ीमत पर ख़रीदा था।
किसी भी investment का decision हमेशा उसकी current और future potential के आधार पर लेना चाहिए, न कि उसके past performance के आधार पर।
Loss Aversion bias से निपटने के लिए Practical Strategies
Investor Psychology के इस शक्तिशाली bias को पूरी तरह से ख़त्म करना मुश्किल है, लेकिन सही strategies के साथ आप इसके असर को कम कर सकते हैं:
- एक Stop-Loss Order का उपयोग करें: कोई भी trade लेने से पहले ही यह तय कर लें कि आप कितना अधिकतम नुक़सान सहन कर सकते हैं। System में एक stop-loss order लगाने के बाद, emotion के लिए कोई जगह नहीं रहती। जैसे ही price उस level पर पहुँचती है, आपकी position automatically बंद हो जाती है।
- अपने Long-Term Goals पर ध्यान केंद्रित करें: अपने portfolio को हर रोज़ देखना बंद करें। Short-term market fluctuations natural हैं। जब आप अपने long-term financial goals पर focus करते हैं, तो छोटे-मोटे नुक़सान आपको परेशान नहीं करते।
- एक Rule-Based Investing System अपनाएँ: एक investment checklist बनाएँ। किसी भी ‘stock‘ को ख़रीदने या बेचने का decision उस checklist के आधार पर लें, न कि अपनी feelings के आधार पर। यह आपको discipline में रहने में मदद करेगा।
- अपने Portfolio को Diversify करें: जब आपका सारा पैसा एक या दो stocks में लगा होता है, तो छोटा सा नुक़सान भी बड़ा लगता है। अपने investments को अलग-अलग assets में diversify करके किसी एक के ख़राब performance के प्रभाव को कम कर सकते हैं।
Conclusion
Loss Aversion bias एक natural human emotion है। इसे स्वीकार करना ही इससे निपटने की दिशा में पहला क़दम है।
नुक़सान, investment journey का एक अनिवार्य हिस्सा है। कोई भी investor हमेशा सही नहीं हो सकता।
एक successful investor वह नहीं है, जो कभी नुक़सान नहीं करता, बल्कि वह है जो अपने losses को छोटा रखता है और अपने profits को बढ़ने का अवसर देता है।
जब आप छोटे नुक़सान को market में बने रहने की एक fees या insurance premium की तरह देखना शुरू कर देंगे, तो Loss Aversion Bias आपके decisions पर हावी नहीं हो पाएगा और आप एक बेहतर, ज़्यादा logical investor बन पाएँगे।
Happy Investing.
People also ask :
Risk Aversion का मतलब है अनिश्चितता से बचना, जबकि Loss Aversion नुक़सान का डर है जिसके चलते investor कभी-कभी ज़्यादा ‘risk’ भी ले लेते हैं, जैसे घाटे वाले ‘stock’ को hold karna।
नहीं, यह एक स्वाभाविक भावना है जिसे ख़त्म नहीं किया जा सकता, लेकिन एक अनुशासित ‘plan’ और नियमों का पालन करके इसके प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है।
नए investors को छोटे नुक़सान को सीखने की एक ‘fee’ समझना चाहिए और अपने ‘long-term goals’ पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, न कि रोज़ के बाज़ार उतार-चढ़ाव पर।
किसी ‘stock’ को ‘hold’ करने का फ़ैसला आपकी ख़रीद क़ीमत पर नहीं, बल्कि उस ‘company’ के ‘fundamentals’ और भविष्य की क्षमता (‘future potential’) पर आधारित होना चाहिए।