शेयर का चुनाव कैसे करें ?-How to Select Good Share in Hindi

अगर आप शेयर ( Share ) में इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो पहले आपको कंपनी चुननी होगी। आज के समय में शेयर मार्केट में बहुत सारी कंपनियां हैं। यह डिसीजन लेना काफी कठिन है कि आप किस कंपनी के शेयर खरीदेंगे ताकि आपकी कैपिटल भी सुरक्षित रहे और आपको प्रॉफिट भी हो।

शेयर(Share) में इन्वेस्ट करने से पहले दिमाग में यह ख्याल आता है कि सर्वश्रेष्ठ शेयर का चुनाव कैसे करें ?( How to Select Good Share in Hindi )

 शेयर मार्केट (Share Market) में उपस्थित बहुत सारी कंपनियां आपको आकर्षक लग सकती है और आपका मन है कि आप उन सब को खरीदी डालें।

लेकिन, आपके पास लिमिटेड कैपिटल होने के कारण आप बहुत सारी कंपनियों के शेयर नहीं खरीद सकते हैं।

  सही कंपनी का चुनाव शेयर मार्केट (Share Market) में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि आपका प्रॉफिट और लॉस सेंसेक्स के उतार-चढ़ाव से नहीं बल्कि कंपनी के शेयर के भाव से जुड़ा होता है। 

  ‌इस लिए कंपनी को बहुत सावधानी से चुनना चाहिए।

  शेयर (Share) खरीदने और बेचने का काम तो बहुत आसान होता है लेकिन अच्छी कंपनियों का पोर्टफोलियो(Portfolio) बनाना सबसे मुश्किल काम है। किसी कंपनी को उतनी ही सावधानी से खरीदना चाहिए जितनी सावधानी से आप अपने लिए मकान खरीदते हैं।

   यदि आपका लक्ष्य लोंग टर्म इन्वेस्टमेंट (Long Term Investment) है, तो शुरुआत में सिर्फ प्रतिष्ठित कंपनियों को ही चुने, जिसके पास सफलता का पुराना रिकॉर्ड हो। आप सेंसेक्स की 30 कंपनियों में से या निफ्टी की 50 कंपनियों में से अपने लिए सही कंपनी चुन सकते हैं क्योंकि, यह सभी कंपनियां बहुत ही स्ट्रांग और प्रतिष्ठित है।

 शेयर बाजार में इन्वेस्टमेंट (Investment), यह सोचकर ना करें कि आपको अपनी कैपिटल को एक ही माह में दुगना करना है।

आपको इन्वेस्टमेंट (investment) यह सोच कर करना चाहिए कि, आपको सामान्य से ज्यादा रेट पर इंटरेस्ट कमाना है।

आइए आज इस आर्टिकल में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि अच्छे शेयर का चुनाव कैसे करें ?(How to Select Good Share in Hindi)

शेयर को कैसे चुने ?- How to Select Good Share in Hindi

शेयर बाजार में किसी कंपनी के शेयर को चुनने के लिए बहुत से पैरामीटर्स या क्राइटेरिया होते हैं। किसी एक क्राइटेरिया के आधार पर ही शेयर चुनना समझदारी नहीं है। 

  जब कंपनी कई क्राइटेरियों पर खरी उतरे तभी उसके शेयर खरीदना अच्छा होता है।

  कंपनी का चुनाव करने के लिए 10 मुख्य क्राइटेरिया निम्न प्रकार से हैं:-

1. पी.ई.रेशो (P/E Ratio)

How to Select Good Share

 किसी कंपनी से शेयर को चुनते समय पी.ई.रेशो ( Price/ Earning Ratio) पर सबसे पहले ध्यान देना चाहिए। पी.ई.रेशो का मतलब यह है कि आप जिस भाव पर शेयर खरीद रहे हैं, कंपनी आपके शेयर पर उतने रुपए कितने साल में कमा सकती है।

अगर किसी कंपनी का पी.ई.रेशो 3 है तो इसका मतलब यह है कि कंपनी अगर इसी तरह प्रगति करती रहे तो, वह अगले 3 साल में, आपके शेयर पर इतने रुपए कमा सकती है।

आमतौर पर कम पैसों वाली कंपनियां लोंग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए ज्यादा अच्छी मानी जाती है।

  कम पी.ई.रेशो का कारण ये भी हो सकता है की कंपनी का पुराना रिकॉर्ड तो अच्छा है, लेकिन उसकी भविष्य की संभावनाएं धूमिल है।

 बहुत अच्छी कंपनियों का ग्रोथ रेट ज्यादा होने के कारण उन कंपनियों का पी.ई. रेशों तुलनात्मक रूप से ज्यादा होता है।

  हर सेक्टर की कंपनी का स्टैंडर्ड पी.ई. रेशों अलग अलग होता है। हाईटेक कंपनियां, फार्मा कंपनियां और एफएमसीजी कंपनियों का पी.ई. रेशो ज्यादा होता है क्योंकि उनके डेवलपमेंट की ग्रोथ रेट ज्यादा होती है।

2. ग्रुप पोजीशन (Group Position)

ग्रुप पोजीशन का मतलब यह है कि अपने ही सेक्टर की बाकी कंपनियों की तुलना में किसी कंपनी की क्या स्थिति है। 

उदाहरण के लिए स्टील सेक्टर में टाटा स्टील लीडर है, यही कारण है कि इसके शेयर का भाव थोड़ा ज्यादा होगा लेकिन इसे खरीदना ज्यादा सुरक्षित भी रहेगा।

 जब आपको कोई सेक्टर अट्रैक्टिव लग रहा हो तो सेक्टर की टॉप कंपनी के शेयर खरीदना हमेशा अच्छा होता है क्योंकि उसकी ग्रोथ रेट ज्यादा होने के कारण उसके शेयर के भाव ज्यादा बढ़ते हैं और उस कंपनी के शेयर के भाव ज्यादा समय तक गिरे नहीं रहते।

 आईटीसी(ITC), रिलायंस (Reliance), टाटा स्टील(Tata steel) आदि कंपनियां अपने अपने सेक्टर में लीडर हैं।

3. बुक वैल्यू (Book Value)

 किसी कंपनी के शेयर को चुनते समय बुक वैल्यू का भी ध्यान रखना चाहिए। बुक वैल्यू का मतलब यह है कि किसी कंपनी के पास प्रति शेयर कुल कितने फिजिकल असेट्स (Physical assets) है।

   उदाहरण के लिए अगर ABC कंपनी की बुक वैल्यू ₹345 है जबकि उसके शहर का प्राइस ₹150 रूपए है, तो इसका मतलब यह है कि कंपनी का शेयर खरीदने लायक है क्योंकि कंपनी के पास शेयर के प्राइस से डबल असेट्स है।

  बुक वैल्यू सिर्फ कंपनी की फिजिकल असेट्स (Physical Assets)को बताती है।

  हाईटेक कंपनियां या सॉफ्टवेयर कंपनियां में बुक वैल्यू का कोई खास महत्व नहीं होता है, क्योंकि इनकी ग्रोथ में फिजिकल असेट्स महत्वपूर्ण नहीं होती है।

 ‌‌ गोल्डन रूल्स यह है कि जिस कंपनी का बुक वैल्यू ज्यादा होती है उस कंपनी के शेयर उतने ही अच्छे होते हैं।

4. डिविडेंड (Dividend)

How to Select Good Share

हर साल डिविडेंड (Dividend) देने वाली कंपनियों के शेयर खरीदना चाहिए क्योंकि, डिविडेंड पर टैक्स नहीं लगता है और डिविडेंड एक तरह से इंटरेस्ट का काम करता है।

सभी प्रतिष्ठित कंपनियां डिविडेंड देती है और कुछ कंपनियां साल में दो बार डिविडेंड देती है। खास तौर पर गवर्नमेंट सेक्टर कंपनियां ज्यादा डिविडेंड देती है क्योंकि, गवर्नमेंट के उसमें बहुत बड़ी हिस्सेदारी होती है।

इन कंपनियों में इन्वेस्ट करने से डिविडेंड का ज्यादा लाभ होता है।

5. ऑर्डर बुक (Order Book)

कंपनी की ऑर्डर बुक (Order Book) की स्थिति भी किसी कंपनी के शेयर को चुनने का एक महत्वपूर्ण आधार है।

अगर कंपनी की ऑर्डर बुक भरी हुई है अर्थात कंपनी के पास कई सालों के लिए पर्याप्त आर्डर है तो, इसका मतलब यह हुआ कि कंपनी की हालत बहुत अच्छी है और वह भविष्य में बहुत तरक्की करेगी। उसे अपना प्रोडक्ट या सर्विसेस बेचने की कोई कोशिश नहीं करनी पड़ेगी।

6. करेंट रेशो (Current Ratio)

किसी कंपनी के शेयर को चुनते समय कंपनी की फाइनेंस स्थिति को ध्यान में रखना काफी महत्वपूर्ण है। इसके द्वारा यह पता लगाया जाता है कि कि कंपनी के फाइनेंसियल अपनी लायबिलिटीज को चुकाने के लिए कितने समर्थ हैं।

 यदि कंपनी अपने खर्चों को उठाने के लिए कैपेबल नहीं है तो उसे अपनी असेट्स बेचनी पड़ सकती है और आगे चलकर वह दिवालिया भी हो सकती है। 

 करेंट रेशो (Current Ratio) से यह पता लगाया जाता है की कंपनी की वर्तमान असेट्स इसके आगामी 1 वर्ष के लायबिलिटीज को पूरा करने के लिए पर्याप्त है या नहीं।

 स्टैंडर्ड सिचुएशंस में करेंट रेशो (Current Ratio) 1 के आसपास होना चाहिए।

7. ऑपरेटिंग मार्जिन (Operating Margin)

 किसी भी बिजनेस में मार्जिन बेहद महत्वपूर्ण होता है। इसी से कई बार किसी से कंपनी की सफलता या असफलता तय होती है।

 मार्जिन का सीधा सा मतलब यह है कि कंपनी एक यूनिट सामान बेचने पर कितना प्रॉफिट कमाती है, वह घट रहा है या बढ़ रहा है। मार्चिंग जितना ज्यादा होगा कंपनी को उतना ही ज्यादा प्रॉफिट होगा।

8. सेल्स और प्रॉफिट में प्रतिवर्ष ग्रोथ (Yearly growth in sales and profit)

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किसी कंपनी के शेयर को खरीदते समय कंपनी के पिछले रिकॉर्ड देखना चाहिए ।

 अगर आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते समय उस कंपनी के पिछले 5 सालों के रिकॉर्ड देखते हैं और पाते हैं कि कंपनी की सेल्स और प्रॉफिट हर साल बढ़ रहे हैं तो विश्वास किया जा सकता है कि भविष्य में भी कंपनी ग्रोथ करेगी।

9. 52 वीक हाई/लो(52 Week High and Low)

52 वीक हाई/लो(52 Week High and Low) का मतलब यह होता है कि 1 वर्ष के अंतर्गत शेयर का सबसे ऊंचा और नीचा भाव क्या रहा। कई लोग, लोंग-टर्म-इन्वेस्टमेंट(Long Term Investment) के लिए शेयर खरीदते समय, इसे बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं।

अगर किसी कंपनी के शेयर का प्राइस 52-week हाई पर है तो इसका मतलब यह है कि इसके शेयर की मांग काफी है और इसका प्राइस पहले ही काफी बढ़ चुका है।

 दूसरी तरफ, अगर किसी कंपनी के शेयर का भाव 52-week लो पर है तो इसका मतलब यह है कि इसके शेयर के भाव इस साल के सबसे निचले लेवल पर है।

इसके कई कारण हो सकते हैं, लेकिन अच्छी कंपनियों के मामले में इसका कारण अक्सर यह होता है कि यह सेक्टर इस समय डिमांड में नहीं है।

यदि आप लोंग टर्म इन्वेस्टर है तो 52-week लो के आस पास अच्छी कंपनियों के शेयर खरीदने से प्रॉफिट के चांसेस बढ़ जाते हैं।

10. कैशफ्लो / रिजल्ट (Cash Flow/Results)

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अगर किसी कंपनी का कैशफ्लो(Cash Flow) अच्छा है तो, उसका शेयर खरीदना अच्छा होता है। 

अच्छे कैशफ्लो(Cash Flow) का मतलब यह है कि कंपनी को बिजनेस से अच्छी इनकम हो रही है और साथ ही में वह सेविंग भी कर रही है।

अच्छे कैशफ्लो वाली कंपनियां अच्छा डिविडेंड भी देती है।

कैशफ्लो(Cash Flow) के कारण कंपनी को कभी भी कैपिटल की कमी नहीं होती है और वह आगे डेवलपमेंट करती रहती है।

सारांश

शेयरों में पैसा कमाने के लिए आपको CA, मैथमेटिक्स या इकोनॉमिक्स में स्पेशलिस्ट होने की कोई आवश्यकता नहीं है। जिन लोगों ने शेयरों के जरिए अपनी किस्मत चमकाई है, वह सब अन्य सेक्टरों से संबंध रखने वाले आम इन्वेस्टर्स ही थे। अगर वे लोग शेयरों में इतना प्रॉफिट कमा सकते हैं तो, आप क्यों नहीं ?

अगर आवश्यकता है तो केवल जनरल नॉलेज और कंपनियों के बारे में ऊपर दी गई विभिन्न क्राइटेरियों में इनफॉरमेशन इकट्ठे कर के और उनका एनालिसिस करने में कुछ समय लगाने की।

उम्मीद करता हूं यह आर्टिकल अच्छे शेयर का चुनाव कैसे करें ?(How to Select Good Share for Investment in Hindi) आपको पसंद आया होगा और अच्छे कंपनी के शेयरों को चुनने में आपकी मदद करेगा।

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