हेल्थ इंश्योरेंस क्या है?-What is Health Insurance in Hindi?

हेल्थ इंश्योरेंस सही है (Health Insurance Sahi Hai)

स्वस्थ जीवन जीने के लिए मानसिक(Mental) और शारीरिक(Physical) रूप से फिट रहना हमेशा महत्वपूर्ण होता है। लेकिन इस भागम-भाग वाली जिंदगी में हर आदमी को आज एहसास है की जिंदगी इतनी आसान होते हुए भी, कितनी मुश्किल हो गई है

भविष्य की चिंता ने आदमी की खुशियो और चैन सब कुछ छीन लिया है और इसी चिंता और फिक्र में आदमी में तरह-तरह की बीमारियों को जन्म दिया है।

आप अच्छी तरह से जानते ही है की जीवन अनसर्टेंटी से भरा हुआ है। आज के दौर में तेजी से बढ़ता हुए प्रदूषण (Pollution), अन-हेल्दी भोजन की आदतें, तनावपूर्ण लाइफ स्टाइल और लगातार काम करते रहना कई गंभीर बीमारियों को आमंत्रित करता है। बीमारी कभी बताकर नहीं आती है, ऐसे में अगर हॉस्पिटल(Hospital) में भर्ती होना पड़ जाए तो महंगी मेडिकल(Medical) खर्च आपके पूरे परिवार के बजट को बिगाड़ सकता है। 

ऐसी स्थिति में यदि आपके पास हेल्थ इंश्योरेंस(Health Insurance) है तो आपकी मानसिक शांति बनी रहती है। इसी कारण से आपके और आपके परिवार में हर किसी की सुरक्षा के लिए हेल्थ इंश्योरेंस(Health Insurance) एक सही इन्वेस्टमेंट(Investment) है।

आइए जानते हैं की हेल्थ इंश्योरेंस क्या होता है?-Health insurance kya hai? या Health Insurance kya hota hai ?(What is Health Insurance?) और यह क्यों जरूरी है?(Health Insurance kyu jaruri hai )

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हेल्थ इंश्योरेंस क्या होता है?-What is Health Insurance in Hindi?

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हेल्थ इंश्योरेंस(Health Insurance) या मेडिक्लेम पॉलिसी (Mediclaim policy) एक इंश्योरेंस(Insurance) पॉलिसी है, जो पॉलिसी होल्डर(Policy Holder) और उसके परिवार को किसी दुर्घटना, बीमारी या किसी गंभीर बीमारी के इलाज के कारण होने वाले महेंगे मेडिकल खर्चों(Medical Expenses) से बचाता है।

यह एक तरह का कॉन्ट्रैक्ट(Contract) है, जिसमें बीमार होने पर आपके मेडिकल खर्चों का भुगतान इंश्योरेंस कंपनी (Insurance Company) हॉस्पिटल(Hospital) को करती है। इसके तहत हॉस्पिटल में भर्ती होने, इलाज कराने, सर्जरी और मेजर ऑर्गन ट्रांसप्लांट आदि से संबंधित खर्चों को भुगतान भी करते हैं।

इन सभी लाभो को पाने के लिए पॉलिसी होल्डर(Policy Holder) को प्रीमियम(Premium) के रूप में एक निश्चित राशि का भुगतान इंश्योरेंस कंपनी(Insurance Company) को करना पड़ता है।

हेल्थ इंश्योरेंस(Health Insurance) पॉलिसी आप आपके पति या पत्नी, डिपेंडेंट माता, पिता, बच्चों सहित परिवार के अन्य सदस्यों के लिए ले सकते हैं।

हेल्थ इंश्योरेंस क्यों जरूरी है?- Health Insurance or Mediclaim Kyu Jaruri Hai?

हर उम्र के व्यक्ति के लिए हेल्थ इंश्योरेंस(Health Insurance) या मेडिक्लेम पॉलिसी (Mediclaim policy) महत्वपूर्ण है क्योकि बदलती लाइफ स्टाइल से लोगों की किसी भी उम्र में बीमारी हो सकती है, साथ ही महंगाई बहुत तेजी से बढ़ रही है और प्राइवेट हॉस्पिटल(Private Hospital) में इलाज कराना बेहद महंगा हो गया है।

सरकारी हॉस्पिटल(Government Hospital) में अच्छा ट्रीटमेंट समय पर मिल पाना बड़ा चैलेंज है। इस तरह की स्थिति में आम आदमी के लिए हॉस्पिटल के इलाज पर लाखों रुपए का खर्च करना संभव नहीं है।

हमारे देश में हजारों लोग पैसे की कमी के कारण सही समय पर सही इलाज नहीं ले पाते हैं और अपना कीमती जीवन खो देते हैं। ऐसी स्थिति में हेल्थ इंश्योरेंस(Health Insurance) बड़े काम का साबित हो सकता है। 

मूल रूप से इलाज के समय आपको हॉस्पिटल के बिलों के बारे में चिंता करने की जगह अपनी संपूर्ण ऊर्जा को रिकवरी पर ख़र्च करने की आवश्यकता होती है। इसमें सिर्फ एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी (Health Insurance policy) या मेडिक्लेम पॉलिसी (Mediclaim policy) ही आपकी मदद कर सकती है। इसके अन्तरगर्त कुछ हजार रुपए महीने के हिसाब से प्रीमियम के रूप में जमा करके आप अपना Health Insurance करा सकते हैं और जिससे आपको कई लाख रुपए तक के इलाज की गारंटी मिल सकती है।

हेल्थ इंश्योरेंस प्लान आज क्यों महत्वपूर्ण है?-Why Health Insurance Plan is Important Today?

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क्वालिटी हेल्थ केयर(Quality Health Care) सर्विसेस(Services) की बढ़ती मांग के चलते विशेष तौर से प्राइवेट हॉस्पिटल में मेडिकल ट्रीटमेंट(Medical Treatment) काफी महंगा हो गया है और हॉस्पिटल के बिल से आपकी बचत को बचाने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्लान महत्वपूर्ण होता है।

हेल्थ इंश्योरेंस(Health Insurance) प्लान एकमात्र तरीका है जो एक्सीडेंट होने या बीमार होने पर पॉलिसी होल्डर(Policy Holder) को या उसके माता-पिता को या उसके अन्य परिवार के सदस्यों के भारी मेडिकल खर्चों के अगेंस्ट कवरेज प्रदान करता है।

मेडिकल कवरेज(Medical coverage) के अलावा एक Health Insurance प्लान में दिए जाने वाले प्रीमियम पर भी टैक्स बेनिफिट मिलता है।

सही हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी कैसे चुने ?-How To Choose The Right Health Insurance Company ?

बाजार के अंदर अनेक प्रकार के हेल्थ इंश्योरेंस(Health Insurance) कंपनियां उपलब्ध है, इनमें से सर्वश्रेष्ठ का चयन करने के लिए रिसर्च की आवश्यकता होती है। यह रिसर्च निम्न कारकों पर निर्भर करता है :-

  • कंपनी की प्रतिष्ठा(Company Reputation) :- हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी सर्च करने में कंपनी की प्रतिष्ठा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एक अच्छी कंपनी के साथ हेल्थ इंश्योरेंस लेना सदैव फायदेमंद रहता है।
  • इंश्योरेंस वैल्यू(Insurance Value) :- हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते समय यह ध्यान देना जरुरी है की इंश्योरेंस कंपनी द्वारा पॉलिसी होल्डर को कितना इंश्योरेंस अमाउंट दिया गया है
  • फाइनेंशियल स्टेबिलिटी(Financial Stability) :- किसी भी कंपनी से हेल्थ इंश्योरेंस लेने से पहले आपको कंपनी की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी की जांच करनी चाहिए।
  • प्रोडक्ट पोर्टफोलियो(Product Portfolio) :- समय के साथ-साथ इंसान की जरूरते बदलती रहती है, इसलिए हेल्थ इंश्योरेंस(Health Insurance) लेने से पहले आपको यह देखना होता है कि उस कंपनी के पास विभिन्न प्रकार के प्रोडक्ट पोर्टफोलियो किस तरह से हैं।
  • क्लेम सेटेलमेंट रेशों(Claim Setelament Ratio) :- क्लेम सेटेलमेंट रेशों के द्वारा यह पता लगाया जा सकता है की इंश्योरेंस कंपनी(Insurance Company) ने दर्ज किए गए कितने क्लेम को सही माना और उनका भुगतान किया। सदैव अच्छे सेटलमेंट रिकार्ड वाली कंपनी से ही पॉलिसी लेनी चाहिए।
  • वेटिंग पीरियड(Waiting Period) :- कुछ इंश्योरेंस कंपनियां पहले से उपस्थित बीमारी के लिए भी कवरेज प्रदान करती हैं। उन बीमारियों को एक निश्चित समय के बाद कवरेज प्रदान किया जाता है इसे ही वेटिंग पीरियड(Waiting Period) कहते हैं। इसकी जानकारी भी पॉलिसी लेने से पहले कर लेनी चाहिए।
  • कस्टमर सर्विस (Customer Service) :- इंश्योरेंस कंपनी के रिसर्च करते समय इसकी खोजबीन करना महत्वपूर्ण है कि कंपनी की कस्टमर सर्विस कैसी हैं ? उसके बारे में एक्जिस्टिंग कस्टमर्स का व्यू कैसा हैं ?
  • कंप्लायंस (Compliance) :- आपको यह भी देखना होगा कि इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ होने वाली कंप्लेन और उनकी जांच पर आईआरडीएआई(IRDAI) कि क्या रिस्पांस है ?
  • अतिरिक्त लाभ (Additional Benefits) :- एक सही हेल्थ इंश्योरेंस आपको अतिरिक्त कवर भी देता है, जैसे कि :- एनुअल नो-क्लेम बोनस(Annual No Claim Bouns), एनुअल हेल्थ चेक-अप(Annual Health Check-up), कैशलेस हॉस्पिटलाइजेशंस(Cashless Hospitalization), एंबुलेंस कवर(Ambulance cover) आदि सुरक्षा प्रदान करते हैं।
  • नेटवर्क हॉस्पिटल्स (Network Hospitals) :- किसी भी इंश्योरेंस कंपनी से हेल्थ इंश्योरेंस लेने से पहले उनके हॉस्पिटल नेटवर्क का पता लगाना जरूरी है , ताकि आपको कैशलेस क्लेम(Cashless Claim) की सुविधा मिल सके और आपको अपनी जेब से पेमेंट ना करना पड़े।

हेल्थ इंश्योरेंस प्लान कितने प्रकार के होते है ?- How Many Types are Health Insurance Plan

कस्टमर्स की विभिन्न आवश्यकताओं को देखते हुए कई प्रकार के हेल्थ इंश्योरेंस प्लान उपलब्ध है। यह है :-

इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंसIndividual Health Insurance :-

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है कि इसमें पॉलिसी होल्डर को इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस प्लान दिया जाता है। इस तरह के प्लान में प्रीमियम(Premium) बहुत कम हो सकता है। प्रीमियम कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे कि – पुरानी हेल्थ हिस्ट्री(Old Health History), एज(Age), लोकेशन(Location) आदि।

फैमिली फ्लोटर हेल्थ इंश्योरेंसFamily Floter Health Insurance :-

परिवार के अलग-अलग सदस्यों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेने के स्थान पर एक ही पॉलिसी परिवार के सभी सदस्यों को कवर प्रदान करती है, इसे फैमिली फ्लोटर हेल्थ इंश्योरेंस(Mediclaim Policy for Family) कहते हैं। आमतौर पर इस पॉलिसी के अंतर्गत पति-पत्नि और उनके दो बच्चों तक कवर किया जाता हैं। इस पॉलिसी के अंतर्गत डिपेंडेंट माता-पिता को भी कवर किया जा सकता है।

सीनियर सिटीजन हेल्थ इंश्योरेंस – Senior Citizen Health Insurance :-

ऐसे सीनियर सिटीजंस(Senior Citizens) जिनकी उम्र 60 वर्ष या उससे ऊपर है ,उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए इस तरह के प्लान बनाए गए हैं। इन पॉलिसी की कीमत काफी ज्यादा होती है।

मेटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंसMaternity Health Insurance :-

यह हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी उन महिलाओं को कवर करने के लिए डिजाइन की गई है जो बच्चे की उम्मीद कर रही हैं। इसमें प्री-नेटल स्टेज(Pre-Natal Stage) डिलीवरी और पोस्ट नेटल स्टेज(Post Natal Stage) डिलीवरी में किए गए खर्च शामिल है।

ग्रुप एंप्लॉय हेल्थ इंश्योरेंसGroup Employee Health Insurance :-

  यह हेल्थ इंश्योरेंस प्लान कंपनी द्वारा अपने सारे कर्मचारियों के लिए लिया जाता है। कम रिस्क(Risk) के कारण ग्रुप या एंप्लॉय हेल्थ इंश्योरेंस(Group Employee Health Insurance) प्लान का प्रीमियम(Premium) आमतौर पर कम होता है।

प्रीवेंटिव हेल्थ केयरPriventive Health Care :-

  इस हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के अंतर्गत एक निश्चित बीमारी को या उसको रोकने के लिए किए गए मेडिकल खर्च को शामिल करते है। एनुअल चेकअप(Annual Check-up) और स्क्रीनिंग टेस्ट(Screening Tests) को प्रीवेंटिव हेल्थ केयर(Priventive Health Care) अंतर्गत कवर किया जाता है।

पर्सनल एक्सीडेंटल इंश्योरेंसPersonal Accidental Insurance :-

इस पॉलिसी के अंतर्गत अनसर्टेन एक्सीडेंट(Uncertain Accident) से संबंधित खर्चो को कवर किया जाता है, जैसे कि :- रोड पर होने वाले एक्सीडेंट से मृत्यु या डेथ(Death), इंजरी(Injury) या किसी भी प्रकार की हानि के मामले में कंपनसेशन(Compensation) प्रदान करती है।

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के बेनिफिट -Health Insurance Benefits in Hindi

हेल्थ इंश्योरेंस प्लान खरीदने के कुछ महत्वपूर्ण बेनिफिट्स(Benefits of Health Insurance) निम्न प्रकार है :-

  • कैशलैस क्लेम फैसिलिटी – Cashless Claim Facility :- हेल्थ इंश्योरेंस प्लान आपको मेडिकल इमरजेंसी (Medical Emergency) के दौरान हॉस्पिटलाइज(Hospitalize) होने पर कैशलैस फैसिलिटी(Cashless Facility) प्रदान करती है, जिसके द्वारा आपको अपनी जेब से कुछ भी खर्च किए बिना नेटवर्क हॉस्पिटल्स में ट्रीटमेंट का लाभ उठा सकते हैं।
  • प्रि और पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन कवर – Pre and Post Hospitalization Cover :-  हॉस्पिटल(Hospital) में एडमिट(Admit) होने के 60 दिनों के दौरान होने वाले मेडिकल खर्चों को तथा हॉस्पिटल से छुट्टी मिलने के बाद 90 दिनों के अंदर होने वाले सभी मेडिकल एक्सपेंस को कवर किया जाता है।
  • नो-क्लेम बोनस – No Claim Bonus :- हेल्थ इंश्योरेंस(Health Insurance) प्लान लेने पर 1 साल के अंदर यदि किसी प्रकार का कोई दावा नहीं किया जाता है तो अगली प्रीमियम(Premium) की लागत(Cost) पर कुछ छूट मिलती है, इसे ही नो-क्लेम बोनस(No Claim Bonus) कहते हैं।
  • एंबुलेंस कवर – Ambulance Cover :- पेशेंट को हॉस्पिटल के अंदर ट्रांसफर करने के लिए एक निश्चित राशि तक एंबुलेंस चार्ज(Ambulance Charge) को कवर किया जाता है। जोकि अधिकतम ₹5000 या सम-एश्योर्ड के 1% की तक होता है।
  • डेली हॉस्पिटल कैश – Daily Hospital Cash :- हेल्थ इंश्योरेंस(Health Insurance) पॉलिसी में हॉस्पिटल के अंदर भर्ती होने पर दैनिक खर्चों के रूप में एक निश्चित सीमा तक राशि प्रदान की जाती है जो हॉस्पिटल के अंदर खाना, यात्रा आदि जैसे अतिरिक्त खर्चों के लिए उपयोगी होती है। एक्सीडेंट की स्थिति में ₹2000 प्रतिदिन तथा आईसीयू(ICU) में एडमिट होने पर यह राशि भिन्न हो सकती है।
  • मेजर ऑर्गन ट्रांसप्लांट – Major Organ Transplant :- किसी बॉडी(Body) ऑर्गन(Organ) के ट्रांसप्लांट(Transplant) की कॉस्ट(Cost) या लागत हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी द्वारा वहन की जाती है। हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) पॉलिसीज में सर्जरी का कॉस्ट(Cost of Surgery) भी शामिल होता है।
  • हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के टैक्स बेनिफिट – Tax Benefits of Health Insurance Plans :- हेल्थ इंश्योरेंस(Health Insurance) प्लान के अंतर्गत दिया गया प्रीमियम पर इनकम टैक्स का सेक्शन 80D के तहत टैक्स में छूट मिलती है।
  • फ्री हेल्थ चेक-अप – Free Health Check-Up :- हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेने पर आप और आपके परिवार के सदस्य नेटवर्क हॉस्पिटल्स में फ्री मेडिकल चेक-अप(Free Medical Check-Up) के हकदार होते हैं।
  • पहले से मौजूद रोग कवर – Pre Existing Disease Cover :- यदि आपको या आपके परिवार में किसी को भी पहले से कोई गंभीर बीमारी है या किसी बीमारी से पीड़ित हैं, तो भी आप हेल्थ इंश्योरेंस(Health Insurance) प्लान ले सकते हैं। पुरानी बीमारी की स्थिति में मेडिकल पॉलिसी प्लान(Medical Policy Plan) कुछ समय के पश्चात (2 से 4 साल के बाद) उस बीमारी को कवर प्रदान करते हैं।

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के अंतर्गत क्या-क्या कवर किया जाता है What is Covered Under Health Insurance

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हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के अंतर्गत डॉक्टर की हॉस्पिटल में विजिटिंग फ्री(Visiting Fee), दवाइयां(Medicine), सर्जिकल कॉस्ट(Surgical cost), वैलनेस केयर(Wellness Care), मेडिकल उपकरणों(Medical instruments) को शामिल किया जाता है।

यह क्रिटिकल बीमारियां(Critical Diseases) या सीरियस मेडिकल कंडीशन(Seriou Medical Condition) के मामले में ट्रीटमेंट का भी ख्याल रखता है। 

एक बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में शामिल है :-

  • पेशेंट हॉस्पिटलाइजेशन के खर्च,
  • प्रि एंड पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन के खर्च,
  • पहले से मौजूद बीमारियां,
  • ऑर्गन ट्रांसप्लांट में डोनर के खर्चों को कवर किया जाता है।
  • चोट लगने की स्थिति में ओवर नाइट हॉस्पिटल(Over Night Hospital) में एडमिट(Admit) होने की आवश्यकता होती है।
  • एंबुलेंस कॉस्ट,
  • मेटरनिटी खर्चे और नए बच्चे के मेडिकल खर्च,
  • हेल्थ चेक-अप,
  • डे-केयर प्रोसीजर(Care Health Insurance)
  • हॉस्पिटल के बाद में घर पर लिए गए ट्रीटमेंट के खर्चे।

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के अंतर्गत क्या कवर नहीं किया जाता है? What is Not Covered Under Health Insurance or Medical Insurance?

एक बेसिक Health Insurance पॉलिसी में सामान्यतया हॉस्पिटल के सभी खर्चे शामिल होते हैं, लेकिन कुछ ट्रीटमेंट या मेडिकल कंडीशन ऐसी है जो इसमें शामिल नहीं होती है। यह है:-

  • प्रि एक्जिस्टिंग बीमारियों के लिए 2 से 4 साल का वेटिंग पीरियड
  • युद्ध, टेररिज्म, सुसाइड या फिर क्लियर एक्टिविटी के कारण होने वाली चोट
  • यदि हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के अंतर्गत मैटरनिटी राइडर को जोड़ा नहीं गया है तो मेटरनिटी कॉस्ट और नये बच्चों के मेडिकल खर्च
  • टर्मिनल बीमारियां, एड्स और कोई अन्य सामान बीमारियां
  • प्लास्टिक और कॉस्मेटिक सर्जरी , सेक्स परिवर्तन, हारमोंस के रिप्लेसमेंट्स हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के अंतर्गत नहीं आते हैं
  • आंख और दांत सर्जरी
  • आम बीमारियों के लिए हॉस्पिटल में भर्ती होने पर
  • नॉन एलोपैथिक ट्रीटमेंट
  • डायग्नोस्टिक टेस्ट
  • विदेश में मेडिकल ट्रीटमेंट

हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेने से पहले किन-किन बातों पर विचार करना चाहिए?- What to Consider Before Buying Health Insurance Plans?

Health Insurance प्लान लेने से पहले कुछ कारकों पर ध्यान रखकर सही डिसीजन लेना चाहिए।

  • कैप्स एंड सब-लिमिट( caps and sub-limits) :- हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेने पर यह यह पता होना चाहिए की मेडिकल उपचार के अंतर्गत होने वाले खर्चों की अधिकतम लिमिट क्या है ?
  • कवरेज की पेशकश( Cover Offered ) :- सिर्फ प्रीमियम के आधार पर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान का निर्णय नहीं लेना चाहिए। प्लान लेने से पहले यह जानना जरूरी है की हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी किन-किन बीमारियों को कवरेज करने की पेशकश कर रही है।
  • जीवन भर रिन्यू कराने की सुविधा( Life-Long Renewability ) :- हेल्थ इंश्योरेंस लेने से पहले उसकी रिन्यूअल कराने की अवधी को देखना चाहिए, जिससे कि जीवन पर इंश्योरेंस कवरेज बना रहे।
  • कैशलेस नेटवर्क हॉस्पिटल्स(Cashless Hospital Network) :-  हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेने से पहले यह देखना चाहिए कि आपके नजदीकी हॉस्पिटल में कैशलेस(Cashless) की सुविधा उपलब्ध हो। जिससे कि आपको या आपके परिवार को मेडिकल रीइंबर्समेंट(Medical Reimbursment) के लिए डॉक्यूमेंट इकट्ठे करने की आवश्यकता नहीं होगी।
  • क्लेम सेटेलमेंट रिकॉर्ड्स(Claim Settlement Record) :- हेल्थ इंश्योरेंस प्लान का निर्णय लेने में क्लेम सेटेलमेंट रेशों(Claim Sattlement Ratio) का सबसे महत्वपूर्ण रोल है। सदैव उस कंपनी के साथ जाना चाहिए जिसका क्लेम सेटेलमेंट रेशों सर्वश्रेष्ठ हो।
  • इंटरनल क्लेम सेटेलमेंट टीम(Internal Claim Settlement Team) : – अधिकतर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनीया मेडिकल क्लेम(Medical Claim) के पेपर प्रोसेस(Paper Process) के लिए थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर का उपयोग करती हैं। इसलिए हेल्थ इंश्योरेंस के लिए कंपनी को शॉर्टलिस्ट करने से पहले यह जानना जरूरी है कि उनके पास एक डेडीकेटेड इंटरनल क्लेम सेटेलमेंट टिम हो।
  • रिस्टोर बेनिफिट्स( Restore Benefit) :- इस सुविधा का उपयोग करके आप अपने बेसिक मेडिकल इंश्योरेंस को रिस्टोर(Restore) कर सकते हैं। जिसको कि आपने पहले से ही खर्च कर दिया है। इस सुविधा को समान बीमारी के ट्रीटमेंट के लिए उपयोग में नहीं लिया जा सकता। यह सुविधा फैमिली फ्लोटर हेल्थ प्लान के लिए उपयोगी होती है।
  • टॉप-अप हेल्थ इंश्योरेंस प्लान(Top Up Health Insurance Plans) :- इस सुविधा के द्वारा चलते हुए हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में अतिरिक्त प्रीमियम(Premium) का भुगतान करके सम-एश्योर्ड को बढ़ाया जा सकता है जिसे टॉप-अप(Top-Up) कहते हैं। अधिक इंश्योरेंस के लिए अलग से प्लान लेने की जगह पर टॉप-अप कराना सस्ता होता है।
  • वेटिंग पीरियड(Waiting Period) :- प्लान लेने से पहले मेडिकल इंश्योरेंस के सारी टर्म्स एंड कंडीशन का पता होना जरूरी है। प्लान लेने के बाद कितना वेटिंग पीरियड के बाद बीमारी के ट्रीटमेंट के लिए क्लेम लिया जा सकता है। पहले से उपस्थित बीमारियों के इलाज के लिए वेटिंग पीरियड का पता होना चाहिए।

बीमा राशि का निर्धारण कैसे करें?-Health Insurance Kaise Kare?

हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में बीमा राशि या सम एश्योर्ड(Sum Assured) का निर्धारण करना बड़ा कठिन काम है और यह व्यक्ति से व्यक्ति बदलता रहता है। जिन परिवारों में अनुवांशिक बीमारियों का सिलसिला जारी रहता है उन्हें बड़ी रकम का सम एश्योर्ड लेना पड़ता है।

बीमा राशि या सम एश्योर्ड(Sum Assured) का निर्धारण करने के लिए निम्न मुद्दों पर विचार किया जाता है :-

  • एनुअल इनकम
  • स्थाई और अस्थाई असेट्स
  • फैमिली मेडिकल हिस्ट्री
  • पर्सनल मेडिकल हिस्ट्री
  • हैबिट्स
  • बिजनेस
  • करंट लाइफ़स्टाइल
  • वर्किंग प्लेस
  • लिविंग प्लेस
  • टेक्स लायबिलिटीज
  • फिक्स डिजीज
  • हेरेडिटी डिजीज – अनुवांशिक बीमारियां
  • बड़े हॉस्पिटल का खर्चा
  • फैमिली लायबिलिटीज
  • महंगाई का इफेक्ट

उपरोक्त मुद्दों पर गंभीरता से विचार करने के बाद, करंट एज और भविष्य में बढ़ने वाली महंगाई का अनुमान लगाकर हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय उचित सम एश्योर्ड का निर्धारण करना चाइए।

हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम का निर्धारण कैसे होता है?-How to the Determination of Health Insurance Premium?

किसी भी हेल्थ इंश्योरेंस प्लान(Health Insurance Plan) के लिए प्रीमियम(Premium) का कैलकुलेशन करने से पहले इंश्योरेंस प्रोवाइडर कंपनी कई फैक्टर को ध्यान में रखते हैं जैसे कि – लाइफस्टाइल, हैबिट्स, प्रोफेशन हेल्थ स्टेटस आदि। हेल्दी इंसान की प्रीमियम कम होती है और यदि किसी प्रकार के रिस्क की पहचान होती है तो प्रीमियम अधिक होगी।

Health Insurance का प्रीमियम(Premium) उन सदस्यों की संख्या पर निर्भर करता हैं जिन्हें एक पॉलिसी में कवर करना चाहते हैं। सबसे बड़े सदस्य की उम्र, इंश्योरेंस वैल्यू और चुने गए प्लान के प्रकार और विशेषताओं पर निर्भर करते हैं।

हेल्थ इंश्योरेंस के लिए आवश्यक डॉक्यूमेंट-Document Required for Health Insurance

हेल्थ इंश्योरेंस(Health Insurance) खरीदने के लिए आवश्यक डॉक्यूमेंट की लिस्ट निम्नलिखित है :-

  • ऐज प्रूफ(Age Proof) : पैन कार्ड(Pan Card), ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट(Passport), वोटर आईडी(Voter ID), आधार कार्ड(Aadhar Card) आदि।
  • फोटो आइडेंटिटी प्रूफ (Photo ID Proof): आधार कार्ड(Aadhar Card), पैन कार्ड(Pan Card), ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट(Passport), वोटर आईडी(Voter ID)आदि।
  • एड्रेस प्रूफ(Address Proof) : आधार कार्ड(Aadhar Card), राशन कार्ड(Ration Card), बैंक अकाउंट स्टेटमेंट(Bank Account Statement), बिजली बिल(Electricity Bill), पासपोर्ट(Passport), वोटर आईडी(Voter ID), टेलीफोन बिल(Telephone Bill) आदि।
  • इनकम प्रूफ(Income Proof) : Employer का प्रमाण पत्र, सेलरी स्लिप(Salary Slip), फॉर्म 16 (Form 16), आदि।
  • मेडिकल चेकअप(Medical Checkup) : इंश्योरेंस कंपनी(Insurance Company) द्वारा पूछे जाने पर।

हेल्थ इंश्योरेंस में क्लेम – Health Insurance Claim

पॉलिसी खरीदते समय कस्टमर को क्लेम के प्रोसेस के बारे में पूरी जानकारी होनी चाइये जो समय पर मददगार होती है। सभी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों के प्लान का क्लेम सेटेलमेंट का प्रोसेस करीब-करीब समान हीं होता है।

क्लेम का प्रोसेस निम्न प्रकार से है :-

रीइंबर्समेंट ऑफ हॉस्पिटल एक्सपेंसेस- हॉस्पिटल में भर्ती होने पर होने वाले खर्चे की प्रतिपूर्ति

हॉस्पिटल में एडमिट होने के बाद से डिस्चार्ज मिलने तक का सारा खर्च कस्टमर करें और घर लौटने पर तमाम डॉक्यूमेंट के साथ रुपए के रीइंबर्समेंट के लिए हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी(Health Insurance Company) को सबमिट करना। कंपनी इन तमाम डाक्यूमेंट्स की छानबीन करती है और पॉलिसी होल्डर को खर्च हुई सारी रकम वापस करती है इसे ही रीइंबर्समेंट ऑफ हॉस्पिटलाइजेशन एक्सपेंसेस कहा जाता है।

सभी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां इसी प्रोसेस से काम करती है।

कैशलैस मेडिक्लेम सेटलमेंट(Cashless Mediclaim Settlement)- बिना बिल मेडिक्लेम सेटलमेंट

इस प्रोसेस में हॉस्पिटल में भर्ती होते समय पॉलिसी होल्डर को अपना मेडिक्लेम कार्ड(Medical Card) दिखाना होता है। जब उसे रजिस्टर्ड कर लिए जाता है, तब कस्टमर को बिना कोई पैसा खर्च किए हॉस्पिटल में सारी सर्विसेस मिलती है। हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हो जाने के बाद हॉस्पिटल में आया तमाम खर्च, दवाइयों सहित डिटेल के साथ लिखकर सारा बिल टीपीएTPA(थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर-Third Party Administrator) के पास या फिर सीधे हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी को भेजा जाता है और वे इस बिल का पेमेंट(Payment) करते हैं।

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी(Health Insurance Policy) में क्लेम(Claim) की प्रक्रिया(Process) निम्न प्रकार से है :-

  • क्लेम इंटीमेशन(Claim Intimation) – हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में क्लेम आने पर सबसे पहला काम होता है उस क्लेम का कंपनी को इंटिमेट करना। यह इनफार्मेशन लिखित तौर पर या फिर टोल फ्री फोन पर या रजिस्टर्ड ईमेल के द्वारा दी जा सकती है।
  • क्लेम रजिस्ट्रेशन(Claim Registration) – इनफार्मेशन देने के बाद हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी क्लेम का रजिस्ट्रेशन कर लेती है और रजिस्ट्रेशन नंबर तथा फाइल नंबर इशू करती है। एक बार रजिस्ट्रेशन नंबर इशू होने के बाद उस दिशा में आगे कार्य शुरू होता है।
  • क्लेम फॉर्म(Claim Form) लेनापॉलिसी होल्डर(Policy Holder) को हॉस्पिटल में एडमिट करा कर तुरंत क्लेम की इनफॉरमेशन इंश्योरेंस कंपनी को देना और रजिस्ट्रेशन नंबर लेना बहुत ही आवश्यक है। हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम फ्रॉम को कलेक्ट कर उसमें कम्पलीट डिटेल को भरकर सारे आवश्यक डॉक्युमेंट के साथ में कंपनी को जमा कराना होता है।
  • क्लेम फॉर्म(Claim Form) जमा करवाना – क्लेम फॉर्म में निम्न स्टेजेस होती है :-

1 . क्लेम फॉर्म के पहली स्टेज में पॉलिसी होल्डर का नाम, पता, पॉलिसी नंबर, पॉलिसी शुरू होने की डेट लिखना होता है।
2 . दूसरे स्टेज में बीमारी का नाम, हॉस्पिटल का नाम, हॉस्पिटल में एडमिट होने की तारीख, हॉस्पिटल में एडमिट होने से पहले किए गए ट्रीटमेंट की डिटेल, बीमारी की विस्तृत जानकारी, हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने की तारीख, हॉस्पिटल के खर्च का डिटेल, डॉक्टर, नर्स, सर्जन, एनेस्थीसिया की फीस, मेडिकल एग्जामिनेशन के खर्चे, दवाइयों का खर्च ,एंबुलेंस तथा इससे जुड़े सभी खर्चों का डिटेल देना होता है।
3 . तीसरे स्टेज में सभी डॉक्यूमेंटस, बिल, डिस्चार्ज नोट, केस पेपर, ट्रीटमेंट की पूरी जानकारी, मेडिकल रिपोर्ट आदि अटैच करने होते हैं।
4 . अंतिम स्टेज में क्लेम फॉर्म में लिखी जानकारी पूर्णतया सही एवं सत्य है, ऐसी डिक्लेरेशन करना होता है। शपथ पत्र लिखकर देना होता है। फिर फॉर्म को सभी आवश्यक डाक्यूमेंट्स के साथ हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी(Health Insurance Company) के पास जमा करना होता है।

  • क्लेम फॉर्म(Claim Form) की जांच करना :- क्लेम फॉर्म के साथ सभी आवश्यक डाक्यूमेंट्स को कंपनी में जमा करने पर इंश्योरेंस कंपनी उनकी सत्यता की जांच करवाती है।
  • क्लेम फॉर्म(Claim Form) पर डिसीजन लेना :- क्लेम फॉर्म और डाक्यूमेंट्स इंश्योरेंस कंपनी को जमा कराने और कंपनी द्वारा उसकी जांच करने के पश्चात क्या निर्णय लिया गया है इसकी सूचना पॉलिसी होल्डर को 60 दिनों के अंदर देना जरूरी है। यदि क्लेम देने का निर्णय या डिसीजन हो गया है तो कंपनी पॉलिसी होल्डर को सूचित करती है और डिसचार्ज वाउचर के आधार पर पॉलिसी होल्डर को क्लेम अमाउंट का चेक द्वारा पेमेंट करते है या पॉलिसी होल्डर के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाता है। यदि क्लेम को रिजेक्ट किया गया है तब भी उसका कारण पॉलिसी होल्डर को सूचित करना अति आवश्यक है।
  • क्लेम(Claim) की फाइल बंद कर देना :- पॉलिसी होल्डर को क्लेम अमाउंट का पेमेंट करने पर कंपनी उससे ऑथराइज्ड डिसचार्ज वाउचर पर साइन करा कर क्लेम की फाइल को बंद कर देती है।

कस्टमर को Health Insurance कंपनी के क्लेम सेटेलमेंट(Claim Settlement) में किसी भी तरह की प्रॉब्लम होने पर सीधा आईआरडीए(IRDAI) में कंप्लेंन कर सकता है। Health Insurance का पूरा बिजनेस आपसी विश्वास पर निर्भर करता है और क्लेम सेटेलमेंट प्रोसेस भी वैसा ही है।

सारांश

आजकल आसपास ऐसे बहुत से सारे लोग दिखाई देते हैं जिनकी जीवन भर की कमाई बुढ़ापे में बीमारी में खत्म हो गई और वह दाने-दाने को मोहताज हैं। दवाई के अभाव में मौत को भी गले लगाना पड़ा है। यह सदैव याद रखें कि हेल्थ इंश्योरेंस का कोई विकल्प नहीं है।

किसी भी व्यक्ति को ऐसा कोई शौक नहीं होता है कि वह बीमार पड़े, हॉस्पिटल में भर्ती हो जाए और उसे पॉलिसी की ओर से भरपाई मिले। सच तो यह है कि यदि दुर्भाग्य से हॉस्पिटल में भर्ती होने की नौबत आ जाती है तब हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) आपको फाइनेंसियल तौर पर सपोर्ट करता है। इसलिए हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम को कोई फालतू खर्च ना माना जाए बल्कि यह तो कठिन समय में आपकी सहायता के लिए किया गया एक कैपिटल इन्वेस्टमेंट है।

हेल्थ इंश्योरेंस सही है (Health Insurance Sahi Hai) अतः समय को पहुंचाने और जल्द से जल्द Health Insurance करवा लें, जो समय की मांग है।

उम्मीद है कि आपको यह आर्टिकल हेल्थ इंश्योरेंस क्या है ?(Health Insurance kya hai – What is Health Insurance) और क्यों जरुरी है?(Health Insurance kyu jaruri hai) पसंद आया होगा। इसके अलावा अगर आपके पास अभी भी इससे संबंधित कोई भी डाउट है या कोई बेहतरीन सुझाव हैं, तो इसके लिए आप नीचे कमेंट लिख सकते हैं।

People also ask

क्या हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी तथा हेल्थ इंश्योरेंस राइडर एक ही तरह की पॉलिसी होती है?

नहीं। हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी हॉस्पिटलाइजेशन के खर्च के रीइंबर्समेंट के लिए हैं और इंश्योरेंस राइडर पहले से तय की गई बीमारियों में से हुई बीमारी के लिए सारी अथवा तय की गई सम एश्योर्ड अमाउंट दिलाने के लिए होती है

हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों की मेडिक्लेम पॉलिसी(Mediclaim Policy) तथा लाइफ इंश्योरेंस कंपनी की मेडिक्लेम पॉलिसी में क्या फर्क है?

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने में 1 वर्ष के अंदर पॉलिसी होल्डर को हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा, तब आने वाला खर्च सम एश्योर्ड(Sum Assured) की तय सीमा तक दिया जाता है।
हेल्थ इंश्योरेंस राइडर पॉलिसी के पूरे पीरियड के दौरान पहले से डिसाइडेड बीमारियों में से यदि एक बीमारी हो जाती है तो तय रकम का भुगतान किया जाता है।

मेडिक्लेम(Mediclaim) या हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेना या हेल्थ इंश्योरेंस राइडर में कौनसा अधिक फायदेमंद होता है?

वैसे तो दोनों ही फायदेमंद होते हैं। यदि किसी एक को चुनना है तो हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी की पॉलिसी लेना अधिक हितकारी होती है।

क्या प्रेग्नेंट(Pregnant) होने पर डिलीवरी खर्च को मेडिकल पॉलिसी(Medical Policy) द्वारा क्लेम किया जा सकता है ?

नहीं। इंडिविजुअल पॉलिसीज में यह सुविधा नहीं होती है लेकिन ग्रुप मेडिक्लेम पॉलिसी में इस खर्चे की फैसिलिटी मिलने का इंतजाम किया जा सकता है।

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी और हेल्थ इंश्योरेंस राइडर में इनकम टैक्स द्वारा किसमे रिबेट मिलती है?

मेडिक्लेम के लिए इनकम टैक्स एक्ट 1961 में सेक्शन 80D के अंतर्गत रिबेट मिलती है।

क्या हेल्थ इंश्योरेंस(Health Insurance) पॉलिसी के लिए मेडिकल जांच जरूरी है ?

यदि पॉलिसी लेने वाले की एज 45 वर्ष से अधिक है तब मेडिकल जांच अनिवार्य है।

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीज के मिनिमम और मैक्सिमम पॉलिसी टेन्योर कितना होता है?

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का मिनिमम टेन्योर 1 वर्ष का होता है। कुछ कंपनियों में मैक्सिमम पॉलिसी टेन्योर 4 वर्ष का भी होता है।

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में 1 वर्ष में कितने क्लेम किए जा सकते हैं?

इस पर कोई बंधन नहीं है। सम एश्योर्ड(Sum Assured) बैलेंस रहने तक क्लेम किए जा सकते हैं।

क्या आयुर्वेदिक, यूनानी, होम्योपैथी द्वारा किए गए मेडिकल ट्रीटमेंट को हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी मान्यता देती है?

बिल्कुल नहीं। लेकिन कुछ नई हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों ने टोटल सम एश्योर्ड का 10% – 20% रकम इस तरह के मेडिकल ट्रीटमेंट पर देने का निर्णय लिया है।

क्या हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीज में सम एश्योर्ड की मिनिमम और मैक्सिमम लिमिट होती है?

नहीं रहती है, लेकिन मिनिमम सम एश्योर्ड(Sum assured) की लिमिट निश्चित की गई है।

यदि एक से अधिक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसिया ली गई है तब क्या प्रत्येक कंपनी की ओर से क्लेम मिलेगा ?

नहीं। प्रत्येक कंपनियां अलग-अलग क्लेम नहीं देती है।

हेल्थ इंश्योरेंस(Health Insurance) पॉलिसी में वेटिंग पीरियड(Waiting Period) कितने दिनों का होता है?

आमतौर पर वेटिंग पीरियड 30 दिनों का होता है । वेटिंग पीरियड(Waiting Period) के दौरान यदि क्लेम नहीं दिया जाता है। यदि एक्सीडेंटल(Accidentally) कोई क्लेम होता है तो उस पर यह नियम लागू नहीं होता है।

क्या मेडिकल एग्जामिनेशन का खर्च हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में शामिल होता है?

हां होता है। लेकिन जिस बीमारी के कारण मरीज हॉस्पिटल में भर्ती हुआ है उस बीमारी से यह जांच संबंधित होनी चाहिए।

प्रि-एग्जिस्टिंग इलनेस(Pre-Existing Illness) का मतलब क्या होता है?

मेडिक्लेम(Mediclaim) या हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने से पहले यदि कोई बीमारी है या थी, उसे प्रि- एग्जिस्टिंग इलनेस(Pre-Existing Illness) कहते हैं। इसे मेडिक्लेम पॉलिसी में कवर नहीं किया जाता है। कुछ हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी 4 वर्ष के वेटिंग पीरियड(Waiting Period) के बाद में इन बीमारियों को कवर करती है।

क्या हेल्थ टॉनिकHealth tonic या फिर डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए ली गई मेडिसिंस हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी मे कवर होती है?

नहीं होती है।

यदि पॉलिसी होल्डर और उसका परिवार अलग-अलग शहरों में रहता है तो क्या फैमिली फ्लोटर पॉलिसी ली जा सकती है?

हां ली जा सकती है।

मेडिक्लेम या हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पॉलिसी के तहत परिवार क्या है ?

आप स्वयं, पत्नी, बच्चे तथा आपके माता पिता।

विदेश में किसी प्रकार का मेडिकल ट्रीटमेंट लिया जाए तो क्या हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर होगा?

हेल्थ इंश्योरेंस(Health Insurance) पॉलिसी केवल देश के अंदर ही लागू होती है।

क्या हेल्थ इंश्योरेंस(Health Insurance) पॉलिसी को असाइन किया जा सकता है?

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को असाइन नहीं किया जा सकता।

क्या मेडिकल पॉलिसी में नॉमिनेशन किया जाता है।

पॉलिसी लेते समय या लेने के बाद नॉमिनेशन किया जा सकता है

हॉस्पिटल में भर्ती होने के बाद यदि पॉलिसी होल्डर की इलाज के दौरान डैथ या मृत्यु हो जाती है तब क्लेम किसे अदा किया जाता है? और कैसे किया जाता है?

यदि कैशलैस क्लेम सेटेलमेंट(Cashless Claim Settlement) है तब हॉस्पिटल का सारा खर्च सीधा हॉस्पिटल के अकाउंट में जमा होता है या फिर नॉमिनेट किए व्यक्ति को दिया जाता है।
यदि हॉस्पिटल में भर्ती होने पर क्लेम इंटीमेट(Claim intimet) कर रजिस्टर्ड नहीं कराया गया है तब सारा प्रोसेस नॉमिनी को करना होता है।

यदि हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीज को समय पर रिन्यू नहीं कराया गया है तब क्या होता है?

यदि हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को नियत समय पर रिन्यू(Renew) न किया गया हो तो वह बंद पड़ जाती है। पॉलिसी को due date के बाद 7 दिनों के अंदर रिन्यू(Renew) कर सकते हैं। इसके बाद नई पॉलिसी लेनी पड़ती है जिसमें पिछले सारे बोनस(Bonus) और अन्य लाभ खत्म हो जाते हैं।

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