क्या आप अपने investment के decisions इस आधार पर लेते हैं कि बाजार में ‘आजकल‘ क्या चल रहा है? अगर हाँ, तो आप अकेले नहीं हैं।
यह एक आम human tendency है, जिसे Behavioral Finance या Investor Psychology की दुनिया में Recency Bias कहा जाता है।
आइए, इसे दो situation से समझते हैं:
- पहली situation: पिछले एक साल से Stock Market लगातार अच्छा perform कर रहा है। आप अपने आस-पास सभी को पैसा बनाते हुए देखते हैं। इस तेज़ी को देखकर, आप भी अपना सारा पैसा Equity में invest कर देते हैं। आप यह मान लेते हैं कि Market भविष्य में भी ऊपर ही जाएगा।
- दूसरी situation: हाल ही में Market में एक बड़ा Crash आया है। हर तरफ़ लोग अपने नुकसान की बातें कर रहे हैं। इस माहौल को देखकर, आप डर जाते हैं और अपने सभी अच्छे long-term investments को भी भारी नुकसान में बेच देते हैं।
अगर आपको ये दोनों situations जानी-पहचानी लग रही हैं, तो इसका कारण एक शक्तिशाली मानसिक गलती है, जिसे Recency Bias कहते हैं। यह Bias हमें यह विश्वास दिलाता है कि जो अभी हो रहा है, वही भविष्य में भी होता रहेगा।
आइए विस्तार से जानते है की Recency Bias क्या होता है ?, कैसे होता है ?, बचाव क्या है।
Page Contents
Recency Bias क्या है? – What is Recency Bias?

Recency Bias एक ऐसी मानसिक आदत है जिसमें हम recent events या recent information को ज़रूरत से ज़्यादा महत्व देते हैं।
इसे ऐसे समझें कि हमारा दिमाग एक File Cabinet की तरह है। जो फाइलें सबसे ऊपर रखी होती हैं (recent memories), वे हमें सबसे आसानी से और जल्दी मिल जाती हैं। पुरानी फाइलों (events of the distant past) को ढूंढने में मेहनत लगती है।
इसी वजह से, हम अपने decisions अक्सर most recent information के आधार पर ले लेते हैं और long-term के Data को नज़रअंदाज़ कर देते हैं।
Investing में, यह Bias बहुत खतरनाक है क्योंकि Market हमेशा Cycles में चलता है। एक Bull Market हमेशा नहीं रहता, और एक Bear Market भी हमेशा के लिए नहीं होता।
Recency Bias हमें Market के Bigger Picture को देखने से रोकता है।
Recency Bias के Real-World Examples
यह Bias, Market में लगातार दिखाई देता है और Investors से गलत फैसले करवाता है।
- Performance के पीछे भागना (Chasing Performance): बहुत से investors उन्हीं Mutual Funds में invest करते हैं, जिन्होंने पिछले एक साल में सबसे अच्छा Return दिया है। वे यह सोचते हैं कि यह Fund आगे भी “Star Performer” बना रहेगा, जबकि वे अक्सर उस Fund की Long-Term History या उसके Risk Factors को देखना भूल जाते हैं।
- बाजार गिरने पर घबराकर बेचना (Panic Selling): जब Market 20-30% गिरता है, तो Recency Bias के कारण लोगों को लगता है कि यह अब कभी ऊपर नहीं आएगा। पिछला कई दशकों का Data यह दिखाता है कि हर Crash के बाद Market ने Recovery की है और नई ऊंचाइयां हासिल की हैं। लेकिन हाल का नुकसान उन पर इतना हावी हो जाता है कि वे इस Data पर विश्वास नहीं कर पाते।
- किसी एक Sector पर अंधा भरोसा (Sectoral Bets): यदि पिछले कुछ समय से IT Sector अच्छा कर रहा है, तो लोग अपना सारा पैसा IT Stocks में लगा देते हैं। वे भूल जाते हैं कि कभी Pharma, कभी Banking, तो कभी FMCG Sector भी Market Leader हुआ करते थे।
Recency Bias इतना शक्तिशाली क्यों है? – Why is Recency Bias So Powerful?

इस Bias के पीछे हमारे दिमाग के काम करने का तरीका ज़िम्मेदार है।
- सोचने में आसानी (Cognitive Ease): Recent information हमारे दिमाग में ताज़ा होती है, इसलिए उसे Process करना आसान होता है। पुराने Data को याद करने और analyze करने में ज़्यादा दिमागी ऊर्जा लगती है।
- मीडिया का प्रभाव (Media Influence): News Channels और Websites हमेशा “Breaking News” और हाल के Market Trends पर Focus करते हैं। “पिछले 10 साल का Average return” उतनी attractive Headline नहीं है, जितनी “आज Market 2% गिरा“। यह लगातार Short-Term पर Focus हमारे Recency Bias को और मज़बूत करता है।
- भावनात्मक असर (Emotional Impact): हाल में हुआ बड़ा मुनाफ़ा हमें लालची (Greedy) बनाता है, और हाल में हुआ बड़ा नुकसान हमें डरपोक (Fearful) बनाता है। यह emotions हमारी Logical Thinking पर हावी हो जाती हैं।
आपके Long-Term Goals पर इसका Negative Impact
Recency Bias आपकी Long-Term Financial Health के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है।
- Asset Allocation को बिगाड़ना: आपकी उम्र और risk-taking ability के आधार पर आपका एक ideal Asset Allocation होना चाहिए। लेकिन Recency Bias के कारण आप Market की हालत देखकर इसे बार-बार बदलते रहते हैं, जो कि गलत है।
- Long-Term Returns में कमी: recent Trends के पीछे भागने से आप हमेशा महंगा खरीदेंगे और सस्ता बेचेंगे। यह “Buy High, Sell Low” की गलती आपके Long-Term Returns को काफी कम कर देती है।
- stress और anxiety को बढ़ाना: यदि आप हर Short-Term Market Movement पर React करेंगे, तो आप हमेशा stress में रहेंगे। Investing एक “Get Rich Quick” Scheme नहीं, बल्कि एक “Get Rich Slow” process है।
Recency Bias से कैसे बचें? – How to Overcome Recency Bias?

इस आदत से बचने के लिए Discipline और एक सही Perspective की ज़रूरत होती है।
बड़ी तस्वीर देखें (Zoom Out & Look at Long-Term Data): जब भी आप कोई decision लेने जा रहे हों, तो पिछले 1 साल का नहीं, बल्कि पिछले 10, 20, या 30 साल का Data देखें। इससे आपको Market Cycles की बेहतर समझ मिलेगी।
Financial Plan बनाएं और उस पर टिके रहें: एक मज़बूत Financial Plan आपके लिए एक Anchor का काम करता है। यह आपको Market के Short-Term noise से बचाता है और आपके real goals पर Focus करने में मदद करता है।
अपने Investments को Automate करें (Automate Your Investments): SIP (Systematic Investment Plan) के माध्यम से अपने invest को Automate कर दें। इससे आप हर महीने एक fixed amount invest करते हैं, चाहे Market ऊपर हो या नीचे। यह तरीका Recency Bias के प्रभाव को काफी हद तक खत्म कर देता है।
Conclusion
Market की ‘याददाश्त’ बहुत लंबी होती है, लेकिन एक average investor की याददाश्त बहुत छोटी होती है। हम अक्सर पिछले Bull Runs और Bear Markets से मिले सबक को भूल जाते हैं।
हमेशा याद रखें कि “This time is not different“। market के Basic Principles हमेशा वही रहते हैं।
जब आप recent events को market के Long History के context में देखना सीख जाते हैं, तभी आप Recency Bias के trap से निकल पाते हैं और एक सच्चे, सफल Long-Term Investor बनने की राह पर आगे बढ़ते हैं।
Happy Investing.
People also ask :
यह एक mental tendency है जिसमें हम recent events or information को पुरानी जानकारी की तुलना में ज़्यादा महत्व देते हैं। हमारा दिमाग ताज़ा यादों पर ज़्यादा भरोसा करता है, जिससे हमारे decisions प्रभावित होते हैं।
सबसे आम उदाहरण है- Bull Market में लालच में आकर सारा पैसा लगा देना, क्योंकि हाल में सब कुछ अच्छा चल रहा होता है। इसी तरह, Bear Market में डरकर अपने अच्छे investments बेच देना।
ज़्यादातर मामलों में, खासकर investments जैसे Long-term फैसलों में, यह नुकसानदायक होता है क्योंकि यह हमें ‘बड़ी तस्वीर’ देखने से रोकता है। यह हमें Short-term Trends के आधार पर emotional decisions लेने पर मजबूर करता है।
इससे बचने के लिए एक मज़बूत Financial Plan बनाकर उस पर टिके रहें और अपने investments को SIP के ज़रिए Automate कर दें। फैसला लेने से पहले हमेशा Long-term का डाटा देखें, न कि सिर्फ पिछले कुछ महीनों का।