आज के दौर में सब अपने इन्वेस्टमेंट (Investment) को लेकर सजग हैं। सभी व्यक्ति किसी न किसी माध्यम से इन्वेस्ट (invest) कर एक अच्छी वेल्थ बनाना चाहते हैं। इसके लिए म्यूच्यूअल फण्ड (Mutual fund) सबसे लोकप्रिय विकल्पों में से एक है।
पिछले कुछ दशकों में ज्यादातर नए इन्वेस्टर्स म्यूच्यूअल फंड (Mutual Fund) के जरिए ही शेयर बाजार (Share Market) की दुनिया में अपने पहले कदम रख रहे हैं।
अमेरिका और कई अन्य विकसित देशों में यह फंड इन्वेस्टमेंट (Investment) का सर्वाधिक लोकप्रिय साधन रहे हैं पर भारतीय इन्वेस्टर्स को इनका पहला बड़ा अनुभव 1986 में हुआ।
यूटीआई एएमसी (UTI AMC) भारत की सबसे पुरानी म्यूचुअल फंड कंपनी है।
इस समय भारत में तकरीबन 1500+ म्यूच्यूअल फंड (Mutual Fund) है जबकि अमेरिका में यही संख्या 7600+ से भी अधिक है।
एक अनुमान के अनुसार करीब-करीब 8.72 करोड़ भारतीय इन्वेस्टर्स में से अधिकतर अपना पैसा म्यूच्यूअल फंड (Mutual Fund) में लगा रहे हैं और यह संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है।
भारतीय शेयर बाजारों (Share Market) में यह फंड अब 36.59 लाख करोड रुपए से भी अधिक मूल्य की संपत्ति के साथ बाजार का एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली अंग बन चुके हैं।
आइए इस आर्टिकल से माध्यम से जानने है कि म्यूच्यूअल फंड (Mutual fund) क्या होता है ?-What is Mutual Fund in Hindi ? कैसे काम करता है ? और कितने प्रकार का होता है?
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म्यूच्यूअल फंड क्या होता है? – What is Mutual Fund in Hindi
म्यूच्यूअल फंड (Mutual Fund) एक ऐसी इन्वेस्टमेंट कंपनी (Investment Company) है, जो अपने शेयर होल्डर्स से इकट्ठे किए गए धन का इन्वेस्ट (Invest) शेयर मार्केट (ShareMarket) की सिक्योरिटीज में करते है।
अतः म्यूच्यूअल फंड्स (Mutual Funds) अपने इन्वेस्टर्स (Investors) का पैसा आगे इन्वेस्ट (Invest) करता है।
जो लोग शेयर बाजार (Share Mrket) में निवेश (Investment) के बारे में बहुत नहीं जानते, उनके लिए म्यूचुअल फंड निवेश का अच्छा विकल्प है। इन्वेस्टर्स (Investor) अपने वित्तीय लक्ष्य (Financial Goal) के हिसाब से म्यूचुअल फंड स्कीम चुन सकते हैं.
म्यूच्यूअल फंड्स (Mutual Funds) में शेयर (Shares) या सिक्योरिटीज (Securities) को खरीदने या बेचने का निर्णय फंड मैनेजर (Fund Manager) द्वारा लिया जाता है।
म्यूच्यूअल फंड्स (Mutual Funds) के शेयर को यूनिट (Unit) और उसकी कीमत नेट ऐसेट वैल्यु (Net Assets Value) या एनएवी (NAV) कहलाती है। इसकी गणना के लिए फंड के कुल मूल्य को इन्वेस्टर्स द्वारा खरीदे गए कुल यूनिट्स की संख्या से भाग दिया जाता है।
यूके (UK) में ऐसी कंपनियों को इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (Investment Trust) और अमेरिका में म्यूच्यूअल फंड (Mutual Fund) कहते हैं।
म्युच्युअल फंड का गठन कैसे किया जाता है?-How is the Formation of a Mutual Fund?
आमतौर पर म्यूच्यूअल फंड (Mutual Fund) का गठन एक ट्रस्ट (Trust) के रूप में किया जाता है जो स्पांसर (Sponsor), ट्रस्टी (Trustee), एसेट मैनेजमेंट कंपनी (Assets Management Company)- (एएमसी – AMC) और कस्टोडियन (Custodian) के अधीन होता है। ट्रस्ट (Trust) की स्थापना एक या उससे अधिक स्पांसर (Sponsor) द्वारा की जाती है।
कंपनी में जिस तरह प्रमोटर (Promoter) होते हैं उसी तरह म्युच्युअल फंड (Mutual Fund) में स्पांसर (Sponsor) होते हैं।
सेबी (SEBI) द्वारा एप्रूव्ड एसेट मैनेजमेंट कंपनी (Assets Management Company)- (एएमसी – AMC) विभिन सिक्युरिटीज में मनी इन्वेस्टमेंट (Money Investment) द्वारा फंड (Fund) को मैनेज करती है। सेबी द्वारा मान्य कस्टोडियन (Custodian) इनवेस्टेड सिक्युरिटीज को अपने कंट्रोल में रखते है।
ट्रस्टियों (Trusts) के पास ही AMC की देखरेख और कंट्रोल करने की शक्ति होती है। वे यह सुनिश्चित करते है की फंड को मैनेज करने में सेबी (SEBI) के नियमों का पालन हो।
सेबी (SEBI) के नियमानुसार ट्रस्टी कंपनी के डाइरेक्टर अथवा ट्रस्टी बोर्ड (Trustee Board) के दो तिहाई मेंबर्स इंडेपेंडेंड होने चाहिए ताकि वे स्पांसर के साथ जुडे न हों। इसके अलावा AMC के 50 प्रतिशत डाइरेक्टर इंडेपेंडेंड होने चाहिए।
सभी म्युच्युअल फंडो (Mutual Fund) को कोई भी प्लान लॉन्च करने से पहले सेबी (SEBI) का परमिशन लेना अनिवार्य होता है।
बाजार में कोई भी फंड हाउस जब कोई नई योजना निकालता है, तब इससे जुड़े सभी नियमों (Rules), शर्तो (Conditions) और दूसरी बातों की जानकारी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी – SEBI)) को अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराता है।
यह जानकारी जिस डॉक्युमेंट के द्वारा सेबी को दी जाती है, उसे ‘स्कीम का ऑफर डॉक्युमेंट‘ (Offer Document of Scheme) कहते हैं।
इसमें इनवेस्टमेंट का उद्देश्य (Objective), जोखिम (Risk) कारक, लोड (Load) व अन्य व्यय (Expenses) आदि से जुड़ी पर्याप्त जानकारियां दी गई होती हैं।
म्यूच्यूअल फण्ड कैसे चुने ? – How to Choose Mutual Fund ?
सबसे पहले यह चुनना होगा की आप किस प्रकार के फण्ड में इन्वेस्ट करना चाहते हैं ?
यदि आप ज्यादा रिस्क उठाने को तैयार तो इक्विटी फंड (Equity Fund) चुनना चाहिए और इसकी समय सीमा 5 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। जो लॉन्ग टर्म में बेहतरीन रिटर्न देता है।
अगर आप मध्यम (Medium) रिस्क उठा सकते हैं, तो आप हाइब्रिड फंड (Hybrid Fund) में इन्वेस्ट कर सकते हैं और यदि कम रिस्क लेना चाहते हैं, तो आपको डेट फंड(Debt Fund) या बॉन्ड फण्ड (Bond Fund) में इन्वेस्ट करना चाहिए।
कुछ अन्य कारक भी है जिन पर विचार कर सकते हैं :
- फंड मैनेज का अनुभव : फंड मैनेज करने वाली कंपनी कब से फण्ड मैनेज कर रही है? और उसका ट्रैक रिकॉर्ड (Track Record) क्या है?
- पोर्टफोलियो (Portfolios) : क्या वह म्यूचुअल फंड ज़्यादा रिस्क के साथ छोटी कंपनियों में इन्वेस्ट कर ज़्यादा लाभ कमा रहा है? या वह म्यूचुअल फण्ड किसी एक सेक्टर में अपना पैसा लगा रहा है या अलग-अलग में? और यह भी देखें कि कितना पैसा इक्विटी में लगाया गया है और कितना डेट में?
- एक्सपेंस रेश्यो (Expenses Ratio) : ज़्यादा एक्सपेंस रेश्यो से आप जितना प्रॉफिट कमाते हैं उसका एक बड़ा हिस्सा उसके लिए दे देते हैं और इस तरह आपका प्रॉफिट घट जाता है।
म्यूच्यूअल फण्ड के लिए केवाईसी को कैसे पूरा करें?- How to Complete KYC for Mutual Fund?
म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट करने के लिए सबसे पहले KYC करानी होती है। ये आपके आइडेंटिटी के लिए होती है। इस प्रक्रिया में आइडेंटिटी प्रूफ (Identity Proof) और एड्रेस प्रूफ (Address Proof) के डॉक्यूमेंट (Document), जैसे आधार कार्ड (Aadhaar Card) और पैन कार्ड (Pan Card) जमा करना होता है।
- आइडेंटिटी प्रूफ (Identity Proof) :
- पैन कार्ड (Pan Card)
- पासपोर्ट की कॉपी (Passport Copy)
- ड्राइविंग लाइसेंस (Driving Licence)
- एड्रेस प्रूफ (Address Proof) :
- आधार कार्ड (Aadhaar Card)
- मतदाता का आईडी कार्ड (Voter’s ID card)
म्यूचुअल फंड में कहांऔर कैसे निवेश करना है? – Where & How to Invest in Mutual Fund?
आप सीधे एएमसी (AMC) या इंटरमीडिआरि (Intermediaries) के माध्यम से म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट कर सकते हैं।
- सीधे एएमसी के माध्यम से (Directly through the AMC) : आप वेबसाइट (Website) के माध्यम से सीधे AMC में इन्वेस्ट कर सकते हैं। आज के समय में सभी AMC की मौजूदा फंड योजनाओं के लिए डायरेक्ट प्लान उपलब्ध हैं। डायरेक्ट प्लान (Direct Plan) में इयरली रेकरिंग कमीशन (Recurring Commission)चार्ज नहीं लगता हैं, इसलिए रेगुलर प्लान (Regular Plan) की तुलना में उनके पास कम एनुअल फी और हाई एनएवी (NAV) होती हैं।
Market में ऐसे कई सारे App मिल जायेंगे जिनका इस्तमाल कर आसानी से Mutual Fund में invest कर सकते हैं। उनमें कुछ ख़ास हैं जैसे की :- Groww, MyCams, InvesTap, KTrack Mobile App, IPRUTouch App इत्यादि
- इंटरमीडिआरिज (Intermediaries) : विभिन्न प्रकार के इंटरमीडिआरिज (Intermediaries) उपलब्ध हैं। इनमें बैंक (Bank), स्टॉक ब्रोकर (Stock Broker) और बड़ी संख्या में इंडिवीडुअल्स और छोटी फाइनेंसियल एडवाइजरी कंपनियों शामिल हैं। सभी इंटरमीडिआरिज (Intermediaries) को भारत के एसोसिएशन ऑफ़ म्यूचुअल फंड–Association of Mutual Funds of India (एएमएफआई-AMFI) के द्वारा रजिस्टर होना होता है।
म्यूच्यूअल फंड से लाभ कमाना – Making Profit from Mutual Funds
म्यूच्यूअल फंड (Mutual Fund) की इनकम (Income) के दो सोर्स (Source) होते हैं :-
- शेयर (Shares) या बॉन्ड (Bond) में इन्वेस्ट (Invest) करने पर मिलने वाला डिविडेंड (Dividend) या इंटरेस्ट (Interest), और
- प्राइस (Price) बढ़ने पर इन्वेस्टमेंट (Investment) को बेचने से होने वाला प्रॉफिट और प्राइस गिरने पर बेचने पर होने वाला नुकसान
म्यूच्यूअल फण्ड (Mtutal Funds) अपना लॉस (Loss), चार्जेज (Charges) और एक्सपेंसेस (Expenses) या तो अपने यूनिटहोल्डरों (Unit Holders) में बाट देता है या उसे अपने एनएवी (NAV) की वृद्धि के लिए फण्ड (Fund) में वापिस इन्वेस्ट (Invest) कर देता है।
अतः इन्वेस्टर्स (Investors) को फण्ड (Fund) द्वारा दिए गए डिविडेंड (Dividend) व एनएवी (NAV) की वृद्धि से होने वाले मुनाफे से इनकम (Income) होती है।
म्यूच्यूअल फण्ड में क्यों निवेश करे?-Why invest in Mutual Fund?
म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश करने के मुख्य कारण है :-
- मैनेज करने में आसान होता है :- म्यूचुअल फंड को किसी भी दिन कितने भी मात्रा में खरीद और बेच सकते हैं। जबकि बैंक FD, PPF या बीमा (Insurance) को सरकारी छुट्टी (Government Holidays) या रविवार (Sunday) को नहीं खरीद बेच सकते हैं।
- कम फीस (Low Fees) :- म्यूच्यूअल फण्ड, एक्सपेंस रेश्यो (Expenses Ratio) आमतौर पर निवेश (Investment) के 1.5-2.5% तक होता है। एक्सपेंस रेश्यो (Expenses Ratio) वो फीस होती है, जिसे AMC द्वारा Investors के फण्ड (निवेश) को मैनेज करने के लिए लिया जाता हैं।
- ट्रांसपेरेंसी (Transparency) :- म्यूचुअल फंड सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (SEBI) द्वारा रेगुलेट किए जाते हैं और उनके NAV (नेट एसेट वैल्यू) या कीमत का घोषणा प्रतिदिन के आधार पर की जाती है। उनके पोर्टफोलियो की घोषणा भी हर महीने की जाती है और इनके बारे में विभिन्न जानकारी भी जनता को दी जाती है।
- कई विकल्प (Various Options) :- म्यूचुअल फंड कम इन्वेस्टमेंट में कई स्टॉक्स (Stocks) और बांड (Bonds) लेने की सुविधा देता है। आप जिस म्यूचुअल फण्ड में निवेश करते हैं उस फण्ड में से किसी एक जगह पैसा नहीं लगाया जाता है। बल्कि अलग-अलग जगह निवेश किया जाता है ताकि किसी एक क्षेत्र में मंदी आने से भी अन्य क्षेत्र से लाभ कमा लिया जाए।
म्यूच्यूअल फंड स्कीम में निवेश के विकल्प – Investment Options in Mutual Fund Scheme
म्यूच्यूअल फंड स्कीम में सामान्यतः दो प्रकार के प्लान होते हैं :-
- डायरेक्ट प्लान (Direct Plan)
- रेगुलर प्लान (Regular Plan)
डायरेक्ट प्लान (Direct Plan) | रेगुलर प्लान (Regular Plan) |
डायरेक्ट प्लान वो होता है, जो बिना किसी एजेंट के माध्यम से इन्वेस्ट होता हैं। डायरेक्ट प्लान के माध्यम से इन्वेस्टमेंट करते हैं तो उसमें एक्सपेंस रेश्यो (Expenses Ratio) कम होता है। | यदि किसी एजेंट के माध्यम से म्यूच्यूअल फंड स्कीम में इन्वेस्ट करते हैं जो कि रेगुलर प्लान होता है। रेगुलर प्लान में डायरेक्ट प्लान की अपेक्षा अधिक एक्सपेंस रेश्यो (Expenses Ratio) होता हैं। |
ये ज्यादा एक्सपेंस रेश्यो (Expenses Ratio) प्रतिशत के हिसाब से बिल्कुल मामूली लगता है, परंतु लंबी अवधि के निवेश (Invest) में काफी बड़ा अंतर पैदा कर देता है।
विभिन्न प्रकार के म्यूच्यूअल फण्ड – Various Types of Mutual Funds
म्यूच्यूअल फण्ड को 2 श्रेणियों में बांट सकते है :-
- ओपन एंडेड म्यूच्यूअल फंड्स – Open-Ended Mutual Funds : इस योजना में इन्वेस्टर्स किसी भी समय पर Funds को बेच या खरीद सकते है। इसमें फंड्स (funds) को खरीदने या बेचने की कोई निश्चित तिथि या अवधी नहीं होती।
ये फंड (fund) इन्वेस्टर्स को लिक्विडिटी (Liquidity) प्रदान करते है, इसलिए इन्वेस्टर्स द्वारा काफी पसंद किये जाते है।
- क्लोज्ड एंडेड म्यूच्यूअल फंड्स – Close ended Mutual Funds : क्लोज्ड एंडेड म्यूच्यूअल फंड्स में मैच्योरिटी का समय पहले से ही निर्धारित किया जाता है। इसमे निश्चित या निर्धारित समय के लिए पैसा लगाया जाता है। इस प्रकार के फंड का समय पूरा होने के बाद ही आप इस फंड पैसे निकाल सकते है।
इन्वेस्टर्स के लिए कई प्रकार के म्यूच्यूअल फंड (Mutual Fund) उपलब्ध हैं। ये हैं :-
इक्विटी फंड – Equity Funds :
इक्विटी फंड (Equity Funds) अपना पैसा इक्विटी शेयरों (Equity Shares) में इन्वेस्ट (Invest) करते हैं और इन शेयरों (Shares) का मूल्य बढ़ने पर यूनिटहोल्डर्स (Unit holders) को इनकम (Income) मिलती है। अगर इन फण्ड से अच्छे इनकम चाहते हैं तो इसमें पैसा लगाने और निकालने का सही समय बहुत महत्वपूर्ण है।
आमतौर पर यह फंड इन्वेस्टर्स के लिए अधिक लाभदायक रहते हैं।
छोटे समय के लिए इस फंड में इन्वेस्ट करना जोखिमभरा हो सकता है, लेकिन लम्बे समय में इस प्रकार के फंड्स में अच्छे रिटर्न की उम्मीद बहुत होती हैं।
इंडेक्स फंड – Index Fund :
Index Fund का इन्वेस्टमेंट (Investment) बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) या एनएसई निफ्टी-50 (NSE Nifty-50) आदि किसी विशेष इंडेक्स (Index) से जुड़ा होता है।
इंडेक्स फंड (Index Fund) में उन सभी शेयरों (Shares) में इन्वेस्ट किया जाता है जो चुनिंदा इंडेक्स (Index) में शामिल होते हैं।
अतः इस प्रकार के फंड (Fund) का उतार-चढ़ाव पूर्णतया इंडेक्स (Index) की परफॉरमेंस पर निर्भर करता है।
सेक्टर फंड – Sector Fund :
यह फंड (Fund) किसी एक सेक्टर (Sector) की कंपनियों के शेयरों में इन्वेस्ट (Invest in Shares) करते हैं।
अतः आप ऐसे म्यूच्यूअल फंड्स (Mutual Funds) चुन सकते हैं जो केवल सॉफ्टवेयर (Software), स्टील (Steel) सीमेंट (Cement) या ऑयल (Oil) आदि सेक्टर के शेयरों (Shares) में इन्वेस्ट (Invest) करें।
इस प्रकार से फंड का परफॉर्मेंस सीधे तौर पर उस सेक्टर या इंडस्ट्री से जुड़ा होता है, जिसमे इन्वेस्ट किया गया है।
टैक्स सेविंग फंड – Tax Saving Fund
यह फंड इनकम टैक्स एक्ट 1961 की सेक्शन 80C के तहत इन्वेस्टर्स को एक लिमिट तक टैक्स में छूट प्रदान करते हैं।
इक्विटी (Equity) व सेक्टर (Sector) फंड की तरह इनमें भी इन्वेस्टमेंट की ग्रोथ पर ध्यान दिया जाता है, क्योंकि ये ऐसे फंड में इन्वेस्ट (Invest) करते हैं जिनमें कम से कम 3 वर्ष से पहले पैसा बाहर नहीं निकाला जा सकता हैं।
इस कारण से फंड मैनेजर (Fund Manager) लोंग टर्म इन्वेस्टमेंट (Long-Term investment) कर सकते हैं।
बैलेंसड फंड – Balance Fund
यह फंड (Funds) इन्वेस्टमेंट (Investment) में ग्रोथ (Growth) के साथ-साथ इनकम (Income) भी प्रदान करते हैं।
यह फंड (Fund) शेयर (Share), बॉन्ड (Bonds) व अन्य सिक्योरिटीज (Securities) में बैलेंस करते हुए इन्वेस्ट (Invest) करते हैं।
शेयर मार्केट (Share Market) में तेजी के समय यह फंड (Fund) इक्विटी (Equity) व अन्य फंड जितना मुनाफा नहीं दे पाते। वहीं दूसरी ओर, शेयर मार्केट (Share Market) में मंदी के समय इनमें इक्विटी फंड (Equity Fund) की अपेक्षा कम गिरावट आती है।
जो इन्वेस्टर्स अधिक रिस्क नहीं लेना चाहते हैं उनके लिए यह फंड उपयुक्त हैं क्योंकि यह इनकम फंड से बेहतर प्रॉफिट देते हैं पर इक्विटी फंड से कम रिस्क है।
बॉन्ड फंड – Bond Fund
इस तरह के फंड्स में निवेशक (Investor) को रिस्क बहुत कम होता है। इन्वेस्टर्स (Investors) डिबेंचर्स (Debentures), सरकारी बॉन्ड (Government Bond) और अन्य निश्चित आय सिक्योरिटीज (Securities) में इन्वेस्ट करते हैं, जो की सुरक्षित इन्वेस्टमेंट (Investment) हैै।
लिक्विड फंड – Liquid Fund :
जो इन्वेस्टर्स कम समय के लिए सुरक्षित रूप से इन्वेस्ट करना चाहते है ऐसे इन्वेस्टरों के लिए लिक्विड फंड (Liquid Fund) सबसे अच्छा और फ़ायदेमंद फंड है और इन्वेस्टर इस फंड का उपयोग 1 से 3 महीने के लिए कर सकते है।
इन्वेस्टमेंट मेनेजर (Investment Manager) 91 दिन या उससे भी कम अवधि के लिए ट्रेजरी बिल्स (Treasury Bills), सर्टिफ़िकेट ऑफ डिपाज़िट (Certificate of Deposit), गवर्मेंट सिक्योरिटीज (Government Securities) में इन्वेस्ट (invest) करते है।
लिक्विड फंड (Liquid Fund) को ही सबसे कम रिस्क वाला फंड माना जाता है।
म्यूच्यूअल फंड के लाभ – Benefits of Mutual Fund
Mutual Fund में इन्वेस्ट करने के तीन प्रमुख फायदे हैं। ये है :-
- म्यूच्यूअल फंड में इन्वेस्ट करने का मतलब है की आप अपना पैसा प्रोफेशनल्स (Professionals) के हाथों में दे रहे हैं, जो आपके लिए आपके पैसे का अच्छा इन्वेस्टमेंट करेंगे।
- अधिक प्रॉफिट के लिए शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने में डायवर्सिफिकेशन (Diversification) की आवश्यकता होती है और उसके लिए अधिक पैसों चाहिए होते हैं, लेकिन म्यूचल फंड के माध्यम से छोटे इन्वेस्टर्स भी विभिन्न प्रकार के शेयर में इन्वेस्ट कर सकते हैं।
- अधिक कैपिटल और बड़ी संख्या में इन्वेस्टर (Investors) होने के कारण म्यूच्यूअल फंड में शेयरों (Shares) से ज्यादा लिक्विडिटी (Liquidity) का लाभ मिलता है।
म्यूचुअल फंड के नुकसान – Disadvantage of Mutual Fund
दो प्रमुख नुकसान है। ये है :-
- म्यूच्यूअल फंड में पैसो का इन्वेस्ट (Invest) करने वाले लोग आमतौर पर ज्यादा रिस्क (Risk) उठाने से कतराते हैं। इसलिए कई बार यह फंड बड़ा प्रॉफिट कमाने के मौका गवा देते हैं। इसका एक कारण यह भी है, कि फंड पर कम समय में अच्छे रिजल्ट दिखाने के लिए इतना प्रेशर रहता है कि मैनेजमेंट लॉन्ग टर्म प्रॉफिट (long Term Profit) को अनदेखा करने पर मजबूर हो जाते हैं।
- शेयर मार्केट (Share Market) में कई बार ऐसी स्थिति होती है कि जब डायवर्सिफिकेशन (Diversification) के स्थान पर एक ही सेक्टर या कुछ कंपनियों पर ज्यादा ध्यान देना लाभदायक रहता है। फंड मैनेजर चाह कर भी ऐसा नहीं कर सकते हैं क्योंकि इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी (Strategy) पहले से डिसाइड होती है।
म्यूच्यूअल फंड्स का रेगुलेटर कौन हैं? – Who are the Regulators of Mutual Funds?
सभी म्यूच्यूअल फंड्स (Mutual Funds) को SEBI (Securities Exchange Board of India) द्वारा रेगुलेट (Regulate) किया जाता है। सेबी (SEBI) सभी फण्ड हाउस (Funds House) पर अपना नियंत्रण रखता हैं, जिससे इन्वेस्टर्स के साथ धोखा-धड़ी को रोका जा सकें।
इस प्रकार म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट (Invest) करना सुरक्षित माना जाता है।
म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्टमेंट करने के तरीके -Ways to Invest in Mutual Fund
सामान्यतः म्यूच्यूअल फण्ड में दो प्रकार से इन्वेस्ट कर सकते हैं। ये है :-
- सिप – SIP
- लम सम – Lumb Sum
सिप – SIP | लम सम – Lumb Sum |
SIP (Systematic investment plan) जिसमे एक निश्चित राशि एक निश्चित अंतराल में म्यूचुअल फंड स्कीम में लगाते हैं। यह समय अंतराल 15 दिन, एक महीना या तिमाही हो सकता है। यह तरीका बैंक के Recurring Deposit की भांति होता है जिसमें wealth का निर्माण करने के लिए लगातार पैसा जमा करते रहते हैं। | म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने के इस तरीका में SIP की तरह बार-बार पैसा नहीं डालना होता है। इसमे एक बड़ा अमाउंट एक साथ इन्वेस्ट कर देते हैं। इसको बैंक की Fixed deposit की भांति भी समझ सकते हो। |
म्यूच्यूअल फण्ड में कौन इन्वेस्ट कर सकते है?- Who can Invest in the Mutual Fund ?
म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में कोई भी मिनिमम 500 रुपए तक का इन्वेस्ट (Invest) कर सकते हैं।
भारतीय निवासी और NRI दोनों म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में इन्वेस्ट कर सकते हैं।
आप अपने जीवनसाथी या नाबालिग ( 18 वर्ष से कम) बच्चों के नाम पर भी इन्वेस्ट कर सकते हैं।
यहाँ तक कि पार्टनरशिप कम्पनियाँ (Partnership Companies), LLP, ट्रस्ट (Trust) और कंपनियां (Companies) भी म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में इन्वेस्ट कर सकते हैं।
म्यूच्यूअल फण्ड से एग्जिट कैसे करे?- How to Exit From Mutual Fund ?
अब सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है की म्यूचुअल फंड को ऑनलाइन रिडीम कैसे करें? How to Redeem Mutual Fund Online?
यदि आप म्यूच्यूअल फंड (Mutual Fund) में ऑनलाइन इन्वेस्ट (Online Invest) करते हैं तो आप ऑनलाइन रिडेम्पशन (Online Redeemption) कर सकते हैं और पूरा अमाउंट आपके बैंक खाते में ट्रांसफर हो जायेगा।
ऑफ़लाइन (Off-line) इन्वेस्टरों (Investors) के लिए, रिडेम्प्शन स्लिप ( Redeemption Slip) पर साइन कर के निकटतम ‘इन्वेस्टर सर्विस सेंटर‘ (Investor Service Centre) पर आपके बैंक अकाउंट स्टेटमेंट (Bank Account Statement) के साथ जमा करना होता है।
सभी मामलों में, रिडेम्पशन (Redeemption) अमाउंट सीधे बैंक खाते में ही ट्रांसफर होता है।
सारांश
म्यूच्यूअल फण्ड (Mutual Fund) इन दिनों सबसे लोकप्रिय इन्वेस्ट (Invest) का तरीका बन गया है। भारत मे अभी ये डेवलपमेंट अवस्था में है। आने वाले वर्षों में इसके और तेजी से बढ़ने की संभावना है।
Mutual Fund में निवेश (Invest) करने के लिए किसी स्पेशलाइजेशन (Specialization) की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें पोर्टफोलियो (Portfolio) को प्रोफेशनल (Professional) फण्ड मैनेजर (Fund Manager) संभालते हैं। यह फण्ड मैनेजर (Fund Manager) पोर्टफोलियो के लिए बेस्ट स्टॉक एवं अन्य सिक्योरिटीज का चुनाव करते हैं, जो बढ़िया रिटर्न दे सके।
इसलिए आपको बेजिझक म्यूच्यूअल फण्ड (Mutual Fund) में इन्वेस्टमेंट की शुरुवात करनी चाहिए। जितनी जल्दी आप शुरुवात करेंगे उतना आपको फायदा होगा।
तो उम्मीद करते है की म्यूच्यूअल फण्ड क्या हैं ? (What is Mutual Fund ) और म्यूच्यूअल फण्ड कैसे काम करता है, आप को पसंद आया होगा।
People Also Ask
रेगुलर म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट ही इन्वेस्टरों के लिए सही है।
किसी म्यूचुअल फंड कंपनी की वेबसाइट से सीधे इन्वेस्ट कर सकते हैं और अगर चाहें तो किसी म्यूचुअल फंड एडवाइजर की सेवा भी ले सकते हैं।
Mutual Funds बहुत सारे लोगों के पैसे से बना हुआ फण्ड होता है। जिसमे लगाया गया पैसे अलग अलग जगहों पर निवेश करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और कोशिश की जाती है की निवेशक को उसकी रकम से ज्यादा से ज्यादा मुनाफा दिया जाए।
रेगुलर प्लान में डिस्ट्रीब्यूटर कमीशन शामिल होता है और डायरेक्ट प्लान में डिस्ट्रीब्यूटर कमीशन शामिल नहीं होता है।
क्लोज़ एंडेड फंड को केवल AMC से न्यू फण्ड ऑफर (NFO) के दौरान खरीदा जा सकता है। ओपन एंडेड फंड वो फण्ड हैं जिनमें कभी भी निवेश कर सकते हैं और उन्हें कभी भी बेच सकते हैं।
एस.आई.पी नियमित समय पर म्यूचुअल फंड में एक निश्चित राशि निवेश (Invest) करते हैं जबकि लम्पसम निवेश (Investment) एक बार में किए जाने वाले निवेश (invest) हैं।
नहीं
अधिकांश म्यूचुअल फंड ओपन एंडेड होते हैं, मतलब उन्हें कभी भी बेचा जा सकते हैं।
न्यूनतम 500 रु. निवेश शुरू कर सकते हैं।
अमूमन म्यूचुअल फंड्स में 10 % से 12 % तक का अनुमानित रिटर्न मिलता है ।
भारत की सबसे बड़ी म्यूच्यूअल फण्ड संस्था है :-
SBI म्यूच्यूअल फण्ड
भारत यूनियन ट्रस्ट (UTI)
रिलायंस म्यूच्यूअल फण्ड
इंडिया बुल्स
NAV (नेट असेट वैल्यू ), म्यूचुअल फंड यूनिट का मूल्य होता है।
NAV की गणना = (कुल फंड मूल्य – कुल फंड लिबिलिटीज़)/ स्कीम के बकाया यूनिट्स की कुल संख्या
म्यूचुअल फंड के रिटर्न की गणना का फ़ॉर्मूला = (कुल लाभ / मूल निवेश) x 100 से निकाली जाती है।
म्यूचुअल फंड बाज़ार से जुड़े निवेश हैं और गारंटीड रिटर्न नहीं देते हैं, इसलिए.रिटर्न की गारंटी नहीं है। लेकिन ये बाज़ार में वर्तमान में उपलब्ध विभिन्न निवेशों की तुलना में अधिक हैं।
शेयर मार्केट से जुड़े होने के कारण, म्यूचुअल फंड में रिस्क बना रहता है, इसलिए इन्वेस्ट की गई मूल राशि का नुकसान हो सकता है।
आमतौर पर शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने के लिए सही समय का इंतेज़ार करने के बजाए, बाज़ार में निवेश (Invest) करना ज़्यादा बेहतर है।
म्यूचुअल फंड शेयर मार्केट से जुड़े इन्वेस्टमेन्ट हैं और इस तरह वे कभी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हो सकते हैं।
लिक्विड फंड (Liquid Fund) को ही सबसे कम रिस्क वाला फंड माना जाता है। इस फंड का उपयोग 1 से 3 महीने के इन्वेस्ट के लिए होता है।
यह फंड (Fund) शेयर (Share), बॉन्ड (Bonds) व अन्य सिक्योरिटीज (Securities) में बैलेंस करते हुए इन्वेस्ट (Invest) करते हैं।
Apne is post me aapne bahut hi achchi jankari bataya hai…
Mera bhi ek blog www.finoin.com hai jisme share market and mutual funds ke bare me jankari diya jata hai…
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apane bahut accha lekh likha hai. apake likhane ki shaili bhi bahut behatar hai. apake apane is gyan ko ham sab tak batane ke liye apaka bahut bahut dhanyawad.
Thanks!