शेयर बाजार में इन्वेस्ट क्यों करें ?-Why Invest in Share Market in Hindi

यदि आप इस आर्टिकल को पढ़ रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि या तो आप पहले से ही शेयर बाजार( Share Market in Hindi )में या फिर इसमें उतरने का इरादा रखते हैं ।

ज्यादातर लोग शेयर बाजार (Share Market) मे ₹10,000 का इन्वेस्ट करके लखपति बनने का सपना लेकर उतरते हैं।

कंपनी का शेयर (Share) कोई लॉटरी का टिकट नहीं है जो रातों-रात लखपति बनाता है।

आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि शेयर बाजार (Share Market) में हर कोई सफल नहीं हो सकता और उसके लिए  विशेष इंटेलिजेंस या बुद्धि की जरूरत होती है।

फेमस इन्वेस्टर पीटर लिंच कहते हैं कि :- “हर व्यक्ति में इतनी इंटेलिजेंटसी होती है कि वह शेयर बाजार (Share Market) में सफल हो सके, अगर आपने पांचवी क्लास की गणित की परीक्षा पास कर ली है तो, आप यह काम कर सकते हैं।”

आइए इस आर्टिकल से माध्यम से जानने है कि शेयर मार्केट में इन्वेस्ट क्यों करें ?- (Why Invest in Share Market ) या क्यों करना चाहिए ?

आइए, सबसे पहले हम कुछ बुनियादी प्रश्नों पर नजर डालते हैं :-

शेयर क्या होता है ?-What is Share ?

सामान्यतया शेयर(Share) का मतलब किसी कंपनी के इक्विटी शेयर (Equity Share) से होता है। शेयर (Share) और स्टॉक्स (Stocks) आमतौर पर एक ही अर्थ रखते हैं।

इक्विटी शेयर (Equity Share) किसी कंपनी में आपके ओनरशिप (Ownership) का प्रमाण होता है। आपका किसी कंपनी में ओनरशिप अधिकार आपके उस कंपनी के खरीदे गए शेयरों की संख्या (Number of Shares) के अनुपात में होता है।

उदाहरण के लिए :-

यदि ABC LTD कंपनी ने 10000 शेयर जारी किए हैं, जिसमें से आपने 100 शेयर खरीदे तो आप कंपनी के 1% के मालिक हैं । इसका मतलब हुआ कि कंपनी की जमीन, फैक्ट्री, उपकरण, पेटेंट अधिकार व अन्य संपत्ति में से 1% पर आपका ओनरशिप है या अधिकार है।

अतः जब आप कंपनी के शेयरों में इन्वेस्ट करते हैं तो आप कंपनी के ओनरशिप में हिस्सा खरीदते हैं।

शेयर मार्केट क्या होता है ?-What is Share Market in Hindi

 शेयर मार्केट (Share Market) या शेयर बाजार या स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) या स्टॉक मार्केट (Stock Market) शेयरों की खरीद-फरोख्त के लिए बना एक बाजार है। स्टॉक एक्सचेंज या स्टॉक मार्केट में लिस्टेड कंपनियों के शेयर ही खरीदे और बेचे जाते हैं।

भारत में नेशनल लेवल पर दो शेयर मार्केट (Share Market) हैं :-

  • बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई ) – Bombay Stock Exchange (BSE)
  • नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) – National Stock Exchange (NSE)

बीएसई (BSE) के इंडेक्स को सेंसेक्स (Sensex) कहा जाता है और यह 30 कंपनियों के भाव के मूवमेंट के आधार पर घटता-बढता है। 

एनएसई(NSE) के इंडेक्स को निफ्टी (Nifty) कहा जाता है और यह 50 कंपनियों के भाव के मूवमेंट के आधार पर घटता-बढ़ता है।

यदि आप किसी एक्सचेंज से शेयर खरीदना और बेचना चाहते हैं तो आपको किसी ब्रोकर (Broker) या सब-ब्रोकर (Sub-Broker) की मदद लेनी होगी और शेयर रखने के लिए एक डीमैट अकाउंट (Demat Account) की भी आवश्यकता होती है।

ट्रेडिंग क्या होती है ?-What is Trading in Hindi

स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) या स्टॉक मार्केट (Stock Market) में कंपनियों के शेयरों को खरीदने या बेचने की प्रक्रिया को ट्रेडिंग ( Trading) कहा जाता है।

ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है ?- How Many Types Of Trading in Hindi

 ट्रेडिंग दो प्रकार की होती है।

डे ट्रेडिंग (Day Trading) और डिलीवरी बेस ट्रेडिंग (Delivery Base Trading)

डे ट्रेडिंग (Day Trading) में आप जिस दिन शेयर खरीदते हैं, उसी दिन बेच देते हैं। आपको उसी दिन अपना हिसाब बराबर करना होता है चाहे, आपको प्रॉफिट हो या लॉस।

दूसरी तरफ डिलीवरी बेस ट्रेडिंग (Delivery Base Trading) में आप शेयर को खरीद कर अपने पास रखते हैं और उसके भाव बढ़ने का इंतजार करते हैं।

डे ट्रेडिंग (Day Trading) में खबरों और अफवाहों का बहुत महत्व होता है, जबकि डिलीवरी बेस ट्रेडिंग (Delivery Base Trading) में कंपनी के लॉन्ग टर्म प्रोग्रेस (Long Term Progress) का महत्व होता है।

डे ट्रेडिंग (Day Trading) में टेक्निकल एनालिसिस (Technical Analysis) का बहुत महत्व होता है, जबकि दूसरी हो डिलीवरी बेस ट्रेडिंग (Delivery Base Trading) में फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental Analysis) का ज्यादा महत्व होता है।

हमेसा से डे ट्रेडिंग (Day Trading) ज्यादा रिस्की (Risky) होता है क्योंकि उसमें हर समय होने वाले उतार-चढ़ाव पर  नजर रखनी होती है, जबकि डिलीवरी बेस्ट ट्रेडिंग (Delivery Base Trading) लॉन्ग टर्म प्लानिंग (Long Term Planning) के लिए होती है।

इन्वेस्टमेंट क्या होता है ?-What is Investment in Hindi

आप, अपने पास एकत्रित कैपिटल के वैल्यू को बनाए रखने के लिए, जो उपयोग करते हैं, उसे इन्वेस्ट (Invest) कहते हैं।

यदि आप अपनी कैपिटल को केस(Cash) या नकद के रूप में रखते हैं, तो निश्चित समय के साथ उसकी वैल्यू कम हो जाती है, क्योंकि पैसे का वैल्यू निरंतर गिरता रहता है।

इसलिए, अपनी एकत्रित की गई कैपिटल का वैल्यू बनाए रखने के लिए आपको उसे केस या नकद के अतिरिक्त किसी अन्य रूप में रखना होगा उसे ही इन्वेस्टमेंट (Investment) करते हैं।

आप अपनी कैपिटल से जमीन, मकान, बिजनेस प्रॉपर्टी, सोना, चांदी के आभूषण, पेंटिंग्स या बैंक या पोस्ट ऑफिस के अंदर टर्म डिपॉजिट (Term Deposit) या कोई भी ऐसी वस्तु खरीद सकते हैं जिसकी वैल्यू समय के साथ बढ़ेगी या फिर वर्तमान जितनी ही रहेगी।

इन्वेस्टमेंट (Investment) का मतलब आपकी द्वारा कठिन मेहनत से कमाए गए पैसे से आपके लिए और ज्यादा पैसा बनाना है।

इन्वेस्टमेंट का एक मतलब और होता है की कैपिटल द्वारा इनकम (Income)।

जैसेकि, यदि आप अपनी कैपिटल से एक मकान खरीदते हैं तो भविष्य में उसकी वैल्यू बढ़ने के साथ-साथ उस मकान से आपको किराए के रूप में इनकम (Income) भी मिल सकती है।

अतः एक इन्वेस्टर (Investor) होने के नाते आपको सर्वप्रथम यह डिसीजन लेना होगा कि आपको अपने इन्वेस्टमेंट में ग्रोथ (Growth) चाहिए या फिर रेगुलर इनकम (Regular Income) या फिर दोनों और उसी आधार पर आपको इन्वेस्ट (Invest) करना होगा।

इन्वेस्टमेंट का महत्व – Importance of Investment

तीस (30s) के दशक में महंगाई लगभग स्थिर रहती थी और यदि दामों में तेजी भी आती थी तो इतनी मामूली होती थी कि उससे डेली रूटीन (Daily Routine) के खर्चो पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता था।

इसी कारण से लोगों को फाइनेंसियल सिक्योरिटी (Financial Security) का अनुभव होता था और इन्वेस्टमेंट (Investment) की आवश्यकता महसूस नहीं होती थी।

साठ (60s) के दशक में यह स्थिति बदल गए और महंगाई में निरंतर तेजी आने लगी और रुपए का वैल्यू काफी गिर गई। इसके बाद के दशकों में यह स्थिति बद से बदतर होती गई।

पिछले कुछ सालों में देखें तो इन्फ्लेशन का रेट (Inflation Rate) या मुद्रास्फीति की दर 7% – 8% ईयरली कंपाउंडिंग (Yearly Compounding) रहा है।

अब पुराने जमाने की तरह सैलरी (Salary) और पेंशन (Pension) के सहारे सारे खर्चे पूरे नहीं किए जा सकते हैं और फ्यूचर (Future) को सुविधाजनक बनाने और अपनी डिपॉजिट कैपिटल (Deposit Capitals) की परचेसिंग पावर (Purchasing power) को बढ़ाने के लिए अब एक ही तरीका बचा है वह है गुड इन्वेस्टमेंन्ट (Good Investment)।

इन्वेस्टमेंट भी ऐसा होना चाहिए जो मुद्रास्फीति की रेट (Inflation Rate) को बीट कर के 10% – 12% की ग्रोथ (Growth) दे सके।

शेयर बाजार में इन्वेस्ट क्यों करें – Why Invest in Share Maeket ?

शेयर बाजार (Share Market) आपके कैपिटल (Capital) के इन्वेस्ट (Invest) करने का माध्यम है। शेयर बाजार (Share Market) कोई खेल या जुआ या सट्टा या फिर 2 दिन में लखपति बनने का साधन नहीं हैं।

यह तो मूल रूप से इन्वेस्ट (Invest) का एक माध्यम है।

इसे एक तरह से बैंक जैसा ही माने, जिस तरह से आप बैंक के सेविंग अकाउंट में अपना पैसा डालने के बाद हर दिन जाकर उसकी जांच पड़ताल नहीं करते हैं उसी तरह किसी अच्छी फंडामेंटल स्ट्रांग कंपनी (Fundamental Strong Company) के शेयर में इन्वेस्ट करने के बाद उसके प्राइस की बार बार जांच पड़ताल नहीं करनी चाहिए।

आम धारणा है कि, शेयर बाजार (Share Market) में बहुत रिस्क (Risk) होता है। यदि आपने सावधानी से किया गया कंपनी का चुनाव शॉर्ट-टर्म (Short Term) में तो रिस्क हो सकता है, लेकिन लंबे समय (Long Term) में आपको अच्छे रिजल्ट अवश्य मिलेंगे।

मैल्कम फॉर्ब्स के अनुसार :- “अगर आप कुछ हासिल करना चाहते हैं तो आप रिस्क (Risk)को पूरी तरह से खत्म नहीं कर सकते हैं”

शेयर बाजार में इन्वेस्ट करना क्यों उचित है? – Why is it Appropriate to Invest in the Stock Market?

सेविंग अकाउंट पर कम इंटरेस्ट रेट – Low Interest Rate on Saving Account :

अगर आप अपना पैसा सेविंग बैंक अकाउंट में जमा करते हैं तो आपको उस पर 3.5% की रेट से इंटरेस्ट (Interest Rate) मिलता है।

क्या इससे आपको लगता है कि आपका पैसा बढ़ रहा है ?

लेकिन सच्चाई यह है कि इसी दौरान महंगाई 6% – 7% से ज्यादा बढ़ गई है । इस कारण से आपके द्वारा सेविंग अकाउंट में रखे पैसे की वैल्यू धीरे धीरे कम होती जाती है।

प्रॉपर्टी खरीदने में भी इतना प्रॉफिट नहीं :

प्रॉपर्टी (Property) खरीदना भी इन्वेस्टमेंट (Investment) का एक तरीका है। पहले यह एक प्रॉफिटेबल इन्वेस्टमेंट (Profitable Investment) होता था, लेकिन टैक्सेस (Taxes) और रजिस्ट्री (Registry) के खर्च बढ़ जाने के कारण अब यह उतना प्रॉफिटेबल (Profitable) नहीं रहा।

वैसे भी, प्रॉपर्टी (Property) खरीदना शेयर (Share) खरीदने से बहुत कठिन काम है।

गोल्ड (Gold) खरीदने में भी इतना लाभ नही :

गोल्ड (Gold) या सोना खरीदना एक बेहतरीन इन्वेस्टमेंट ऑप्शन (Investment Option) है। गोल्ड का समय के साथ वैल्यू भी बढ़ता रहता है।

लेकिन गोल्ड के साथ सबसे बड़ी प्रॉब्लम इसको बेचना है। दूसरी सबसे बड़ी प्रॉब्लम गोल्ड की सुरक्षा करना बहुत महंगा सौदा हो गया है।

डिविडेंड – Dividend

शेयर बाजार (Share Market) के प्रॉफिटेबल (Profitable) होने के दो प्रमुख कारण है :-

  • पहला डिविडेंड (Dividend) मिलना, और
  • दूसरा शेयर का प्राइस (Share Price) बढ़ना

हर बड़ी शेयर कंपनिया (Share companies) अपने शेयरहोल्डर्स (Shareholders) को डिविडेंड (Dividend) देती है। इसका मतलब हुआ कि यदि आप कंपनी के शेयर खरीदने के बाद उसे नहीं बेचते हैं तो भी आपको हर साल इनकम होती रहेगी।

डिविडेंड (Dividend) पर इनकम टैक्स नहीं लगता है :

शेयर बाजार (Share Market) में इन्वेस्ट (Invest) करने का फायदा यह है कि इस से मिलने वाला डिविडेंड (Dividend) टैक्स फ्री (Tax Free) होता है। टैक्स कंपनी देती है।

प्रॉफिट बुकिंग पर इनकम टैक्स कम लगता है :

शेयर (Share) को बेचने पर होने वाले प्रॉफिट (Profit) को कैपिटल गैन (Capital Gain) कहते हैं।

एक साल से ज्यादा समय तक रखें शेयरों (Shares) के बेचने से होने वाले प्रॉफिट को लोंग-टर्म कैपिटल गैन (Long Term Capital Gain) माना जाता है और उस पर ₹100000 से ज्यादा कैपिटल गैन होने पर 10% इनकम टैक्स लगता है।

यदि एक साल से अंदर खरीदे हुए शेयरों (Shares) को बेचा जाता है तो होने वाले कैपिटल गेन को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गैन (Short Term Capital Gain) कहते हैं। इस पर 15% की रेट से इनकम टैक्स (Income Tax) देना पड़ता है।

टैक्स सेविंग – Tax Saving :

यदि आप लाइफ (Life) इंश्योरेंस (Insurance) के यूनिट लिंक्ड प्लान (Unit linked Plan) या फिर म्यूच्यूअल फंड (Mutual Fund) के टैक्स सेविंग प्लान (Tax Savings Plan) में इन्वेस्ट (Invest) करते हैं तो, आप एक तीर से दो शिकार करते हैं।

इसमें लाइफ इंश्योरेंस (Life Insurance) का फायदा भी लेते हैं और शेयर बाजार (Share Market) में इन्वेस्ट (Invest) करने का फायदा भी ले लेते हैं।

सबसे प्रॉफिटेबल इन्वेस्टमेन्ट है शेयर बाजार (Share Market) :

आमतौर पर शेयर बाजार (Share Market) में आपकी कैपिटल (Capital) या पूँजी जितनी तेजी से बढ़ (Growth) सकती है, उतनी तेजी से कहीं और नहीं बढ़ सकती है।

शेयरों की प्राइस बढ़ना :

शेयर (Share) खरीदने पर मिलने वाले डिविडेंड (Dividend) तो मामूली होता है, लेकिन असली फायदा तो कंपनी के शेयर के प्राइस (Share Price) का बढ़ना है।

जब कंपनी प्रगति (Progress) करती है और उसके फाइनेंशियल रिजल्ट (Financial Results) बेहतर होते जाते हैं तो इसके शेयर के प्राइस (Share price) भी बढ़ते जाते हैं।

रोमांच :

शेयर बाजार (Share Market) में इन्वेस्ट (Invest) करना और बने रहना एक रोमांचक यात्रा है। जिसमें हर समय डर और खुशी बनी रहती है।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और इन्वेस्टर्स डोनाल्ड ट्रंप कहते हैं कि  :-  “पैसा कमाना मेरे लिए कभी बहुत बड़ी इंस्पिरेशन नहीं रहा, यह तो सिर्फ स्कोर जानने का तरीका है। असली रोमांच तो इस खेल को खेलने में है “।

शेयरों में इन्वेस्ट सट्टा नहीं है :

कुछ लोग शेयरों (Shares) में होने वाले इन्वेस्टमेंट (Investment) को सट्टेबाजी (Betting) का नाम दे देते हैं, मगर यह सच नहीं है।

जब आप शेयर बाजार (Share Market) को अच्छी तरह पढ़ कर और कंपनी के भविष्य के आसार ठीक से जानकर, किसी शेयर में अपना पैसा डालते हैं तो आपके इन्वेस्ट को बहुत कम खतरा (Risk) होता है।

परंतु अगर आप किसी टिप्स (Tips) के आधार पर, बिना बाजार के एनालिसिस (Analysis) किए, किसी कम्पनी के शेयर में पैसा डालते हैं तो स्वाभाविक है इससे आपको काफी खतरा (Risk) रहता है।

शेयरों को बेचना भी सरल है :

प्रॉपर्टीज (Properties), गोल्ड (Gold) या किसी मूल्यवान वस्तुओं की अपेक्षा शेयरों को खरीदने और बेचने में कम समय और प्रयास लगता है। 

संभालने में सरल :

लिस्टेड कंपनी के खरीदी गई शेयर्स डीमैट रूप में डिपॉजिटरी के पास रख सकते हैं। इस प्रकार से यह बैंक में डिपॉजिट पैसे की तरह ही सुरक्षित है।

इसलिए, शेयरो को संभालना अन्य कई इन्वेस्टमेंट की अपेक्षा काफी आसान होता है

कम कैपिटल से भी शुरू कर सकते हैं :

शेयर बाजार (Share Market) छोटे इन्वेस्टर्स (Small Investors) के लिए विशेष आकर्षण रखता है क्योंकि इसमें कम कैपिटल लगाकर भी शेयरों में इन्वेस्ट (Invest in Shares) किया जा सकता है।

भारत में करीब पांच से छह करोड़ शेयरहोल्डरो (Shareholders) में से ज्यादातर छोटे इन्वेस्टर्स है, जिन्होंने ₹10,000 से लेकर ₹50,000 तक का इन्वेस्टमेंट (Investment) शेयर बाजार में कर रखा है

अब आप चाहे तो एक बार में केवल एक शेयर भी खरीद सकते हैं या फिर बल्क (Bulk) में भी खरीद सकते हैं। जमीन जायदाद की अपेक्षा शेयरों में इन्वेस्ट (Invest in Share) करने का यह बड़ा फायदा है।

जमीन या प्रॉपर्टीज में इन्वेस्ट के लिए बहुत सारा पैसा चाहिए और यह अधिकतर मिडिल क्लास फैमिली (Middle Class Family) या इन्वेस्टर्स (Investors) की पहुंच से बाहर हो गया है।

इसके अलावा शेयर बाजार (Share Market) अब अधिक सिस्टमैटिक (Systematic) है और इस पर सेबी (SEBI) सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (Securities and Exchange Board of India) की कड़ी नजर रहती है

शेयरों में बिजनेस करना मिडिल क्लास इन्वेस्टर्स (Small Investors) के लिए एकदम सटीक रहता है क्योंकि इसमें ब्लैक-मनी (Black-Money) का यूज़ नहीं होता।

शेयर बाजार में इन्वेस्ट करने से पहले क्या क्या सावधानियां रखनी चाहिए ?

शेयर बाजार (ShareMarket) में सबसे ज्यादा जोखिम उन लोगों को होता है जो कम समय में ढेर सारा पैसा कमाना चाहते हैं।

शॉर्ट-टर्म इन्वेस्टर्स (Short Term Investors) के लिए शेयर मार्केट हमेशा से रिस्की (Risky) रहा है जबकि लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर्स (Long Term Investors) के लिए तुलनात्मक रूप से कम रिस्की (Risky) होता है।

महान इन्वेस्टर पीटर लिंच के अनुसार :- “शेयर बाजार में मंदी आती है और शेयर बाजार गिरते हैं। जब तक आप इस बात को नहीं समझ लेंगे तब तक आप शेयर बाजार में उतरने के लिए तैयार नहीं है और तब तक आप इसमें सफल नहीं हो पाएंगे“।

शेयर बाजार (Share Market) में इन्वेस्ट (Invest) करने से पहले निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए :-

अपने लक्ष्य स्पष्ट रखें

शेयर बाजार (Share Market) में इन्वेस्ट (Invest) करते समय आपके सामने एक क्लियर कट टारगेट (Clear Cut Target) होना चाहिए कि आप शेयर बाजार से क्या चाहते हैं?

आमतौर पर आप का टारगेट यह होना चाहिए कि आप अपने कैपिटल पर प्रतिवर्ष 15% से 25% तक प्रॉफिट कमाना चाहता है।

अगर आपका टारगेट क्लियर होगा तो आप कभी लोभ में फंसकर कर अपने हार्ड अर्न्ड मनी (Hard Earned Money) को गलत कंपनी में डालने का रिस्क नहीं लेंगे।

छ माह (Six Month) का घर-खर्च सेविंग अकाउंट में सुरक्षित रखें

शॉर्ट-टर्म (Short Term) के नजरिए से शेयर बाजार (Share Market) पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

इस रिस्क (Risk) से निपटने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि शेयर बाजार (Share Market) में सिर्फ वही कैपिटल (Capital) लगाएं जिसकी आपको तत्काल जरूरत नहीं है।

अपनी पूरी सेविंग कभी भी शेयर बाजार में ना लगाएं। 

इमरजेंसी रिजर्व फंड (Emergency Reserve Fund) अलग रखें

स्टैंडर्ड मेकैनिज्म (Standard Mechanism) यह है कि आप अपने इन्वेस्टमेंट कैपिटल (Investment Capital) का 40% हिस्सा रिजर्व फंड (Reserve Fund) में रखें।

यदि आप ₹100,000 का इन्वेस्टमेंट शेयर मार्केट में करना चाहते हैं तो शुरुआत में सिर्फ ₹60,000 से ही शेयर खरीदे और ₹40,000 रिजर्व फंड (Reserve Fund) में अलग रख दें और जब शेयर प्राइस (Share Price) 15% से 20% गिरने पर एवरेजिंग की गोल्डन रूल का फायदा उठाया जा सके।

एवरेजिंग तभी करें जब आपने कंपनी को फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental Analysis) के बाद में चुना है और उसकी सफलता का आपको पूरा भरोसा है।

अपनी भावनाओं पर काबू रखें :

शेयर बाजार (Share Market) में भावनाएं आपकी सबसे बड़ी दुश्मन होती है।

शेयर बाजार (Share Market) के गिरते समय ज्यादातर इन्वेस्टर्स अपने शेयर बेच कर बाजार से बाहर निकलना चाहते हैं, लेकिन इंटेलिजेंट और समझदार शेयरहोल्डर्स (Shareholders) जानते है कि गिरता बाजार शेयर खरीदने का सबसे अच्छा मौका देता है।

बाजार गिरने से न घबराएं।

जब बाकी लोग दहशत में आकर आनन-फानन में अपने शेयर बेच रहे हो तो भी आप अपनी भावनाओं पर संयम रखें।

इन्वेस्टर वारेन बफेट के अनुसार : “अगर कोई अच्छी कंपनी तरक्की कर रही है तो शेयर की प्राइस अंततः बढ़ती ही है“।

बहुत सारी कंपनियों के शेयर ना खरीदें :

हर इंटेलीजेंट इन्वेस्टर अपना पोर्टफोलियो (Portfolio) बनाता है और अपने इन्वेस्ट (Invest) का रिकॉर्ड रखता है।

पोर्टफोलियो (Portfolio) का मतलब यह है कि आप कुछ कंपनियां चुन लेते हैं जिनके शेयर आप खरीदना चाहते हैं।

पोर्टफोलियो (Portfolio) बनाने का फायदा यह होता है कि आप चुनिंदा कंपनियों के ही शेयर खरीदते हैं।

बड़े इन्वेस्टर्स के पोर्टफोलियो में आमतौर पर 10 कंपनियां होती है।

महान इन्वेस्टर पीटर लिंच के अनुसार :- “पैसा कमाने के लिए आपको सिर्फ गिने-चुने शेयरों की ही जरूरत होती है। अगर आप एक साल में एक कंपनी चुन सकते हैं तो इतना काफी है“।

हर महीने इन्वेस्ट करें

शुरू में ही यह योजना बना ले के आप हर महीने शेयर बाजार (Share Market) में कितना कैपिटल का इन्वेस्ट करेंगे।

हर महीने उतनी कैपिटल का इन्वेस्ट कर दे, इस तरह से शेयर बाजार में आपका इन्वेस्टमेंट (Investment) बढ़ता है, आपकी कैपिटल बढ़ती है और आपकी सेविंग भी बढ़ती है।

अफवाहों या टिप्स के चक्कर में ना फंसे :

शेयर बाजार (Share Market) को कोई भी प्रिडिक्ट (Predict) नहीं कर सकता है।

इसलिए किसी भी तरह की अफवाह या टिप्स के चक्कर में फंस कर न तो शेयर खरीदना चाहिए और न ही बेचना।

सिर्फ अच्छी कंपनियों के ही शेयर खरीदे :

सदैव लिस्टेड कंपनियों (Listed Companies) के शेयर में ही इन्वेस्ट करते हैं तो आप इस बात पर यकीन कर सकते हैं कि आपको डिविडेंड (Dividend) मिलेगा और साथ ही कंपनी ग्रोथ (Growth) भी करेगी।

चीनी कहावत है कि :- “मोती समुद्र किनारे नहीं बिखरे रहते हैं अगर आपको मोती चाहिए तो आपको इसके लिए गोता लगाना पड़ेगा“।

डायवर्सिफिकेशन – Diverfection

शेयर बाजार (Share Market) में सक्सेस होने का सबसे बेस्ट फार्मूला है डायवर्सिफिकेशन (Diverfection) यानी कि किसी एक सेक्टर या एक कंपनी में ही अपने पूरे कैपिटल का इन्वेस्टमेंट न करें बल्कि अलग-अलग सेक्टरों या कंपनियों में इन्वेस्ट करें ।

ताकि किसी एक सेक्टर या एक कंपनी के अच्छे रिजल्ट ना आने पर आपका पूरा इन्वेस्टमेंट (Investment) प्रभावित ना हो।

बेचने का प्लानिंग क्लियर रखें

शेयर खरीदते समय ही आपको बेचने की टारगेट प्राइस तय कर लेनी चाहिए। यह आप पर निर्भर करता है कि आप कितना फायदे के बाद प्रॉफिट बुकिंग करना चाहते हैं।

आपके हर शेयर की टारगेट प्राइस होनी चाहिए और आपको बिना दहशत के उस प्राइस पर अपने शेयर बेच देना चाहिए।

समय-समय पर प्रॉफिट बुकिंग (Profit Booking) अवश्य करें क्योंकि शेयर बाजार (Share Market) में आप प्रॉफिट कमाने के लिए ही तो आए हैं।

लोग बाग शेयर बाजार में इस तरह से वार करते हैं जैसी दुनिया कल ही खत्म हो जाएगी और शेयर बाजार दोबारा नहीं खुलेगा। क्योंकि उन्हें शेयर बाजार (Share Market) में सफलता के नियम नहीं पता होते हैं।

सारांश

अगर आपको शेयर बाजार (Share Market) में इन्वेस्ट करने में फायदा दिख रहा हो तो इस बारे में कुछ करने का फैसला करें।

सिर्फ दोस्तों से बातें करके मामले को खत्म न कर ले। भले ही शुरुआत मे कम कैपिटल का इन्वेस्ट करें, लेकिन शुरुआत कर दें और लॉन्ग टर्म प्लान (Long Term Plan) बना ले।

वाल्ट डिजनी ने कहा था कि “सफलता की यात्रा शुरू करने का तरीका यह है कि बात करना बंद करें और काम करना शुरू करें“।

People Also Ask

शेयर क्या होता है ? – What is Share ?

जब कोई कंपनी खुद को NSE या BSE से रजिस्टर करके अपनी कंपनी में इन्वेस्ट (Invest) बढ़ाने के लिए अपनी कंपनी के हिस्सों को बेचती है तब उस हिस्सेदारी को शेयर (Shares) कहा जाता है।

शेयर मार्केट क्या होता है ? – What is Share Market ?

शेयरों की खरीद-फरोख्त के लिए बने बाजार को शेयर मार्केट (Share Market) कहते है।

BSE के इंडेक्स को क्या कहते है ?- What does BSE’s Index Say?

BSE के इंडेक्स को सेंसेक्स (Sensex) कहते है।

शेयर के लिए किस अकाउंट की आवश्यकता होती है ? -What account is required for share?

शेयर के लिए डीमैट अकाउंट (Demat Account) की आवश्यकता होती है।

शेयर मार्केट कितने प्रकार के है ? – How Many types of Share Market ?

नेशनल लेवल पर दो शेयर मार्केट है :-
1. Bombay Stock Exchange (BSE)
2. National Stock Exchange (NSE)

NSE के इंडेक्स को क्या कहते है ?- What does NSE’s Index Say?

NSE के इंडेक्स को निफ्टी (Nifty) कहते है।

शेयर खरीदने के लिए किस की आवश्यकता होती है?

शेयर खरीदने के लिए ब्रोकर और सब ब्रोकर आवश्यकता होती है।

सेंसेक्स (Sensex) में कितनी कम्पनिया शामिल है

सेंसेक्स (Sensex) में टॉप 30 कम्पनिया शामिल होती है।

निफ्टी (Nifty) में कितनी कम्पनिया शामिल है

निफ्टी (Nifty) में टॉप 50 कम्पनिया शामिल होती है।

ट्रेडिंग क्या होती है ?-What is Trading ?

स्टॉक मार्केट (Stock Market) में कंपनियों के शेयरों को खरीदने या बेचने की प्रक्रिया को ट्रेडिंग ( Trading) कहा जाता है।

ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है ? – How many types Trading ?

ट्रेडिंग दो प्रकार की होती है :-
1. डे ट्रेडिंग (Day Trading)
2. डिलीवरी बेस ट्रेडिंग (Delivery Base Trading)

इन्वेस्ट (Invest) किसे कहते हैं ?

उपलब्ध कैपिटल की वैल्यू को बनाए रखने के लिए, जो उपयोग किया जाता है , उसे इन्वेस्ट (Invest) कहते हैं।

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