शेयर बाजार के लाभकारी होने के दो कारण हैं पहला डिविडेंड (Dividend) मिलना और दूसरा शेयर का भाव बढ़ना।
अर्थात, इक्विटी शेयर होल्डर (Equity Share Holder) के रूप में आपका, कंपनी के द्वारा कमाई जाने वाले प्रॉफिट पर अधिकार होता है। इस प्रॉफिट को हिस्सों में या एकमुश्त डिविडेंड(Dividend) के रूप में बांटा जाता है।
हर बड़ी कंपनी अपने शेयर होल्डर्स को डिविडेंड ( Dividend ) देती है, जो कमोबेश आपके बचत खाते के इंटरेस्ट की तरह होता है। इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप शेयर खरीदने के बाद उसे न बेचे तब भी, आपको हर साल Income होती रहेगी।
डिविडेंड (Dividend) को हिंदी में लाभांश कहते हैं।
आइए, आज इस आर्टिकल में हम यह जानने की कोशिश करेंगे की डिविडेंड क्या होता है? (What is Dividend), कैसे मिलता है ? कितने प्रकार का होता है ?
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डिविडेंड क्या होता है?-Dividend Kya Hota Hi
विकिपीडिया के अनुसार :- एक कंपनी द्वारा अपने शेयरहोल्डर को दिया जाने वाले प्रॉफिट के वितरण को डिविडेंड (Dividend) कहते हैं। डिविडेंड (Dividend) एक तरह का रीवार्ड है।
अर्थात, डिविडेंड (Dividend) किसी कंपनी के प्रॉफिट में शेयरहोल्डर्स का अंश (Part) होता है जो वह कंपनी प्रॉफिट कमाने पर अपने शेयरहोल्डर्स को देती है।
डिविडेंड (Dividend) रीवार्ड को नकद( Cash), स्टॉक Stocks) या किसी अन्य रूप में दिया जा सकता है।
क्या सभी कंपनी डिविडेंड देती है?-Kya Sabhee Kampanee Dividend Detee Hai
केवल वही कंपनियां डिविडेंड (Dividend) देती है जो लाभ कमा पा रही है। जो कंपनियां भारी कर्ज में होती है वे अपने लाभ का उपयोग डिविडेंड देने के स्थान पर अपने व्यापार को बढ़ाने में या कर्ज को चुकाने में खर्च करती है।
यह भी जरूरी नहीं है कि जो कंपनियां प्रॉफिट कमा रही है, वह डिविडेंड (Dividend) देगी ही देगी।
डिविडेंड (Dividend) देने का निर्णय कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की सालाना बोर्ड मीटिंग में तय होता है, जिसमें शेयरहोल्डर्स की अप्रूवल की आवश्यकता होती है।
डिविडेंड कितना मिलता है?-Dividend Kitana Milata Hai
डिविडेंड (Dividend) का भुगतान शेयर के फेस वैल्यू के आधार पर होता है। शेयर के मार्केट वैल्यू का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
इसका मतलब यह हुआ कि शेयरहोल्डर्स को उनके शेयर के अनुपात में डिविडेंड (Dividend) मिलता है।
उदाहरणार्थ :-
माना कि ABC लिमिटेड कंपनी 40 करोड का प्रॉफिट कमाती है तथा वह शेयरहोल्डर्स को हर शेयर पर ₹2 का डिविडेंड (Dividend) देने का निर्णय लेती है।
अगर, आपके पास 200 शेयर ABC लिमिटेड कंपनी के हैं तो, आपको मिलने वाला डिविडेंड होगा ₹400 (200X₹2)
यह आपके द्वारा ABC लिमिटेड कंपनी में किए गए इन्वेस्टमेंट के फल स्वरुप होने वाला प्रॉफिट है।
डिविडेंड को परसेंटेज के रूप में घोषित किया जाता है, जैसे कि :-
ABC लिमिटेड के शेयर का फेस वैल्यू है ₹10 और डिविडेंड देने का निर्णय किया गया ₹2 प्रति शेयर , इसका मतलब हुआ :-
( 2 / 10 ) X 100
= 20 %
इसका मतलब हुआ कि कंपनी ने 20% डिविडेंड (Dividend) देने का निर्णय लिया है।
डिविडेंड यील्ड क्या होता है ?- What is Dividend Yield ?
इन्वेस्टर्स के लिए एक और महत्वपूर्ण पहलू यह जानना है कि डिविडेंड (Dividend) का शेयर के मार्केट प्राइस पर कितना असर पड़ता है। यह जांचने के लिए जिस अनुपात का प्रयोग होता है उसे डिविडेंड यील्ड ( Dividend Yield ) कहते हैं।
इस अनुपात के द्वारा इस बात का आकलन किया जा सकता है कि करंट मार्केट प्राइस पर शेयर खरीदने पर डिविडेंड के रूप में कितने प्रतिशत की आमदनी होगी ।
इसे इस प्रकार समझ सकते हैं :-
मान लीजिए कि आप ₹2000 खर्च कर ABC लिमिटेड कंपनी के 100 शेयर्स ₹20 प्रति शेयर के मार्केट प्राइस से खरीदते हैं। इन शेयर का फेस वैल्यू ₹10 प्रति शेयर है। यदि कंपनी 20% का डिविडेंड देने की घोषणा करती है तो, आपको मिलने वाला डिविडेंड (Dividend) ₹200 होगा।
चुकी, आपने यह शेयर ₹20 के भाव से खरीदे हैं तो इस इन्वेस्टमेंट पर आपको होने वाला डिविडेंड यील्ड होगा :-
( 2 / 20 ) X 100
= 10 %
अतः आपको इस इन्वेस्टमेंट पर 10% की इनकम होगी।
डिविडेंड यील्ड (Dividend Yield) एक महत्वपूर्ण अनुपात है इससे आप यह समझ सकते हैं कि से आपको अपने शेयर के करंट मार्केट प्राइस पर डिविडेंड द्वारा कितनी इनकम हो रही है ?
डिविडेंड कितने तरह के होते हैं ?-Types of Dividend
इंटिरिम डिविडेंड( Interim Dividend) : जब कंपनी अपने किसी तिमाही रिजल्ट्स के साथ या फाइनेंशियल ईयर खत्म होने से पहले ही बीच में डिविडेंड देने की घोषणा करती है तो इसे इंटिरिम डिविडेंड कहते हैं।
फाइनल डिविडेंड ( Final Dividend) : साल खत्म होने पर एनुअल रिजल्ट के बाद डिविडेंड दिया जाता है। इसे फाइनल डिविडेंड कहते हैं।
डिविडेंड के रूप :-
एक कंपनी अपने शेयरहोल्डर्स को विभिन्न रूपों में डिविडेंड (Dividend) का भुगतान कर सकती है।
स्पेशल डिविडेंड (special Dividend) : इस प्रकार के डिविडेंड (Dividend) का भुगतान कॉमन स्टॉक्स पर दिया जाता है। यह अक्सर विशेष परिस्थिति में जारी किया जाता है। जब किसी कंपनी ने कई वर्षों में पर्याप्त प्रॉफिट कमाया हो। ज्यादातर ऐसे प्रॉफिट को अतिरिक्त केस(Cash) के रूप में देखा जाता है, जिसका भविष्य में उपयोग करने की आवश्यकता नहीं होती है।
प्रेफरेंस डिविडेंड (Preference Dividend) : इस तरह का डिविडेंड, प्रेफरेंस शेयरहोल्डर्स को जारी किया जाता है और आमतौर पर इसमें क्वार्टरली (Quarterly) एक निश्चित राशि का भुगतान किया जाता है।
इसके अलावा निम्न प्रकार से भी डिविडेंड का भुगतान किया जाता है :-
नकद (Cash) : अधिकांश कंपनियां केस के रूप में ही अपने शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड का भुगतान करना पसंद करती है।
एसेट्स (Assets) : कुछ कंपनियां अपने शेयरहोल्डर्स को फिजिकल असेट्स, इन्वेस्टमेंट सिक्योरिटीज और रियल एस्टेट के रूप में डिविडेंड का भुगतान करती है।
स्टॉक्स ( Stocks) : कंपनी नए शेयर ईशु करके डिविडेंड के रूप में स्टॉक्स प्रदान करती है। इस प्रकार से शेयर डिविडेंड का भुगतान प्रो-राटा बेसिस पर किया जाता है।
कॉमन स्टॉक्स (Common Stocks) : कंपनी के लिक्विडेशन के समय कानूनी रूप से कंपनी द्वारा कमाया गया प्रॉफिट, डिविडेंड के रूप में कॉमन शेयरहोल्डर्स में डिस्ट्रीब्यूटर किया जाता है।
इसके अलावा एक कंपनी डिविडेंड के रूप में एक नई कंपनी वारंट या अन्य फाइनेंशियल असेट्स के शेयरों की पेशकश करने का निर्णय ले सकती है।
शेयर की कीमतों पर डिविडेंड का प्रभाव – Impact of Dividend on Share Price
जब कोई कंपनी डिविडेंड की घोषणा करती है तो मार्केट के अंदर कंपनी के शेयर प्राइस बढ़ जाती है क्योंकि लोग डिविडेंड की कमाई की उम्मीद में प्रीमियम का भुगतान करने की अधिक संभावना रखते हैं। हालांकि, डिविडेंड एलिजिबिलिटी एक्सपायर होने के बाद शेयर प्राइस में समान अनुपात में गिरावट शुरू हो जाती हैं।
शेयर की प्राइस पर डिविडेंड की घोषणा के प्रभाव को समझने के लिए निम्न महत्वपूर्ण तारीख (Dates) से परिचित होना चाहिए :-
Dates. | Importance |
अनाउंसमेंट डेट | इस डेट पर कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स डिविडेंड का अनाउंस करते हैं |
एक्सडिविडेंड डेट | इस डेट पर डिविडेंड एलिजिबिलिटी समाप्ति निर्धारित की जाती है |
रिकॉर्ड डेट | यह वह कटऑफ डेट होती है जब शेयरहोल्डर्स की पात्रता की जांच की जाती है। |
पेमेंट डेट | इस तारीख पर डिविडेंड को इन्वेस्टर्स के अकाउंट में जमा किया जाता है। |
डिविडेंड कैसे काम करता है ?- How Do Dividends Work in Hindi?
निम्न प्रकार से डिविडेंड (Dividend) काम करता है :-
Step 1 : पब्लिक लिस्टेड कंपनी सब्सटेंशियल इनकम करती है और उसको बनाए रखने के लिए इनकम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा जमा करती है।
Step 2 : कंपनी का मैनेजमेंट यह तय करता है कि उसे अलग से रखी हुई इनकम से इनकम जनरेट करनी चाहिए या फिर शेयरहोल्डर्स के बीच में डिस्ट्रीब्यूट करना चाहिए।
Step 3 : मेजर शेयरहोल्डर्स के अप्रूवल के बाद कंपनी के बोर्ड के मेंबरर्स शेयरो पर डिविडेंड घोषित करते हैं
Step 4 : डिविडेंड घोषणा से संबंधित महत्वपूर्ण तारीखों की घोषणा की जाती है।
Step 5 : डिविडेंड अर्जित करने के लिए शेयरहोल्डर्स की एलिजिबिलिटी की जांच की जाती है।
Step 6 : शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड का भुगतान किया जाता है।
इसके विपरीत कंपनी के मालिक अपने बिजनेस को संचालन करने के लिए एक्स्ट्रा इनकम को फिर से बिजनेस के अंदर यूज़ करने का निर्णय ले सकते हैं।
इन्वेस्टर्स को डिविडेंड (Dividend) किस अकाउंट में दिया जाता है ?
उस बैंक अकाउंट में क्रेडिट होता है जो डीमैट अकाउंट से लिंक होता है जिसमें शेयरहोल्डिंग पढ़ी हुई होती है।
डिविडेंड से इन्वेस्टर्स को होने वाले फायदे- Benefits of Dividend
- स्टॉक मार्केट में डिविडेंड एक नियमित इनकम का सोर्स होता है,
- डिविडेंड टैक्स फ्री इनकम होती है,
- कुछ कंपनियां फिक्स डिपाजिट से मिलने वाले ब्याज से भी ज्यादा डिविडेंड देती है । इस प्रकार की कंपनियों में इन्वेस्ट करने से दो तरह के फायदे होते हैं एक तो FD से ज्यादा इंटरेस्ट मिलता है और दूसरा शेयर प्राइस बढ़ने के कारण कैपिटल एप्रिसिएशन का भी लाभ मिलता है।
- डिविडेंड एक प्रकार से पैसिव इनकम है और अच्छे फंडामेंटल वाले फाइनैंशल स्ट्रांग कंपनियां अपने शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड देती रहती है।
सारांश :-
डिविडेंड (Divedend) कंपनी के आफ्टर टैक्स प्रॉफिट में से दिया जाता है।
डिविडेंड कंपनी के प्रॉफिट में से दिया जाता है। यदि किसी वर्ष प्रॉफिट नहीं हुआ नहीं हुआ या कम हुआ तो ऐसी स्थिति में कंपनी चाहे तो अपने पुराने प्रॉफिट में से डिविडेंड देने की घोषणा कर सकती है।
अगर कंपनी रेगुलर डिविडेंड दे रही है तो, इसका मतलब है कि कंपनी लगातार प्रॉफिट कमा रही है और उसकी फाइनेंसियल कंडीशन मजबूत है।
कंपनी के ऊपर डिविडेंड देने की कोई कानूनी बाध्यता नहीं होती है।
मुझे आशा है कि आप को मेरा आर्टिकल डिविडेंड क्या होता है? (What is Dividend) पसंद आया होगा। अगर, आपके मन में कोई भी सवाल है या कोई सुझाव है तो कृपया करके कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।
FAQ (Frequently Asked Questions)
अधिकांश डिविडेंड नकद के रूप में होते हैं, जो सीधा निवेशकों को प्रति शेयर के आधार पर बैंक अकाउंट में भुगतान होता हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई कंपनी प्रति शेयर 2 रुपए का डिविडेंड देती है, तो 100 शेयरों वाला एक इन्वेस्टर कैश (बैंक अकाउंट ट्रांसफर ) में 200 रुपए प्राप्त करेगा।
डिविडेंड (रीवार्ड ) को नकद( Cash), स्टॉक (Stocks) या किसी अन्य रूप में दिया जा सकता है।
Dividend दो प्रकार के होते हैं
1. Interim Dividend.
2. Final Dividend.
कंपनी का बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स डिविडेंड के भुगतान को मंजूरी देता है।
कंपनी को एक साल में जो मुनाफा होता है उसको शेयरधारकों में बाँटा जाता है और इसे ही डिविडेंड कहते हैं।