Sunk Cost Fallacy: आप भी यह गलती क्यों करते हैं?

कल्पना करें की, आपने एक मूवी की टिकट खरीदी है। फिल्म शुरू होने के आधे घंटे में ही आपको यह एहसास हो जाता है कि मूवी बहुत boring है। अब आपके पास दो options हैं:

  • आप बाकी के दो घंटे उस बोरिंग मूवी को झेलें। या,
  • आप सिनेमा हॉल से बाहर निकल कर अपने समय का बेहतर उपयोग करें।

ज़्यादातर लोग उस मूवी को पूरा देखते हैं। उनका लॉजिक होता है, “जब टिकट पर पैसा ख़र्च कर ही दिया है, तो पूरा ही देख लेते हैं।”

यह सोच Behavioral Finance की दुनिया में Sunk Cost Fallacy का एक क्लासिक उदाहरण है। यह एक ऐसी मानसिक गलती है जिसमें हम अपने अतीत (past) के एक गलत फैसले को सही साबित करने के लिए, वर्तमान (present) में और भी गलत फैसले लेते चले जाते हैं।

Investing में यह आदत आपके Portfolio के लिए बहुत घातक साबित हो सकती है।

Sunk Cost क्या है? – What is a Sunk Cost?

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Sunk Cost Fallacy se kaise bachein,
Loss wale stock ko kab bechna chahiye,
Investment me galti se kaise bachein,

सबसे पहले, यह समझना ज़रूरी है कि “Sunk Cost” क्या होता है। Sunk Cost वह लागत (cost) है, जो पहले ही ख़र्च हो चुकी है और जिसे किसी भी तरह से वापस नहीं लाया जा सकता।

ऊपर दिए गए उदाहरण में, मूवी की टिकट का पैसा एक Sunk Cost है। चाहे आप मूवी देखें या न देखें, वह पैसा वापस नहीं आएगा।

इसी तरह, यदि आपने एक stock में पैसा लगाया है और उसकी कीमत गिर जाती है, तो वह लगा हुआ पैसा एक Sunk Cost बन जाता है।

Fallacy” यानी गलतफहमी तब शुरू होती है, जब आप इस डूबे हुए पैसे के आधार पर अपने आगे के फैसले लेते हैं।

Investment Portfolio में Sunk Cost Fallacy

यह Bias investors से उनके Portfolio में कई तरह की गलतियाँ करवाता है:

  • एक खराब Stock को Average Down करना: आपने एक कंपनी के शेयर ₹500 पर खरीदे। अब वह गिरकर ₹200 पर आ गया है। आप सोचते हैं, “मैं ₹200 पर और खरीद लेता हूँ, ताकि मेरी Average Cost कम हो जाए।” यह strategy तब तक ठीक है जब तक कंपनी के Fundamentals अच्छे हैं। लेकिन यदि कंपनी का बिज़नेस खराब हो चुका है, तो आप सिर्फ़ एक डूबते जहाज़ में और ज़्यादा पैसा लगा रहे हैं
  • एक खराब Mutual Fund को होल्ड करना: आप पिछले 5 साल से एक Mutual Fund में SIP कर रहे हैं, लेकिन वह लगातार अपने Benchmark से खराब Perform कर रहा है। आप उसे इसलिए नहीं बेचते क्योंकि आप सोचते हैं, “मैं इसमें इतना पैसा और समय लगा चुका हूँ।” आप उस पैसे को एक बेहतर Fund में Switch करने के बजाय, एक खराब Fund में बने रहते हैं।

Sunk Cost Fallacy के पीछे की Psychology छोड़ना इतना मुश्किल क्यों है?

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इस Fallacy के पीछे हमारी गहरे emotions काम करते हैं:

  • हार मानने से बचना (Desire to Avoid Failure): एक गलत Investment को नुकसान में बेचना इस बात को स्वीकार करने जैसा है कि हमसे गलती हुई थी। हमारा Ego हमें ऐसा करने से रोकता है।
  • भावनात्मक जुड़ाव (Emotional Attachment): समय के साथ, हम अपने Investments से emotionally जुड़ जाते हैं। उन्हें बेचना एक रिश्ता तोड़ने जैसा लगता है।
  • नुकसान से बचना (Loss Aversion): यह Bias, Loss Aversion (नुकसान से बचने की प्रवृत्ति) से बहुत गहराई से जुड़ा है। हम नुकसान को “realize” करने के दर्द से बचना चाहते हैं, इसलिए हम इस उम्मीद में बने रहते हैं कि चीजें शायद बेहतर हो जाएंगी।

वह एक सवाल जो आपको ख़ुद से पूछना चाहिए

Sunk Cost Fallacy के trap से निकलने का सबसे अच्छा तरीका है, अपने आप से एक सही सवाल पूछना।

  • गलत सवाल: “मैं इस stock से अपनी cost वापस कैसे निकालूँ?”
  • सही सवाल: “यदि मेरे पास आज यह पैसा Cash के रूप में होता, तो क्या मैं इस कंपनी में, इसके Current Business और Current Price को देखते हुए, invest करता?”

यदि इस सवाल का जवाब ‘नहीं‘ है, तो आपको उस Investment से तुरंत निकल जाना चाहिए।

यह सवाल आपके decision से Sunk Cost का बोझ हटा देता है। इसके साथ ही, आपको Opportunity Cost के बारे में सोचना चाहिए यानी, इस खराब Investment में पैसा फंसाए रखने के कारण आप कितने अच्छे मौके खो रहे हैं।

Sunk Cost Fallacy से कैसे बचें? – How to Overcome this Fallacy?

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इस mental mistake से बचने के लिए discipline और एक proactive approach की ज़रूरत होती है:

  • नियमित Portfolio Review करें: हर कुछ महीनों में अपने Portfolio को एक बाहरी व्यक्ति की तरह देखें। हर Investment का मूल्यांकन उसकी वर्तमान स्थिति के आधार पर करना चाइये, न कि उसके past के आधार पर।
  • Future Potential पर फोकस करें: decision हमेशा इस बात पर आधारित होना चाहिए कि, कंपनी आगे कैसा Perform कर सकती है, इस बात पर नहीं कि आपने उसे कितने में खरीदा था।
  • “Sell” का प्लान पहले से बनाएं: किसी भी stock को खरीदने से पहले ही यह तय कर लेंना चाइये कि आप किन conditions में उसे बेच देंगे, जैसे कि कंपनी के Fundamentals खराब होने पर।

Conclusion

आपका past investment एक इतिहास है, जिसे बदल नहीं सकते। लेकिन आप अपने future के फैसलों को ज़रूर कंट्रोल कर सकते हैं।

Sunk Cost Fallacy हमें अतीत(past) में बाँध कर रखता है। एक अच्छा और समझदार investor हमेशा से यह जानता है कि कब गलती को स्वीकार करना है और आगे बढ़ना है।

एक खराब Investment से बाहर निकलना हार नहीं है, यह एक समझदारी भरा फैसला है जो आपके Capital को बेहतर opportunities के लिए आज़ाद करता है।

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Sunk Cost Fallacy का आसान मतलब क्या है?

यह एक mental mistake है जिसमें हम किसी डूबे हुए पैसे या समय (Sunk Cost) के आधार पर गलत फैसले लेते हैं। हम एक पुरानी गलती को सही ठहराने के लिए, उसमें और पैसा या समय लगाते रहते हैं, बजाय यह सोचने के कि भविष्य के लिए क्या सही है।

Investing में Sunk Cost Fallacy का सबसे आम उदाहरण क्या है?

इसका सबसे आम उदाहरण है एक खराब या घाटे वाले stock को सिर्फ इसलिए होल्ड करना या उसमें और पैसा (Average Down) लगाना क्योंकि आप उसमें पहले ही बहुत पैसा लगा चुके हैं। आप नुकसान को स्वीकार करने के बजाय, उम्मीद में बने रहते हैं।

लोग Sunk Cost Fallacy का शिकार क्यों होते हैं?

लोग अक्सर इसलिए इसका शिकार होते हैं क्योंकि वे Ego के कारण यह स्वीकार नहीं करना चाहते कि उनका पिछला फैसला गलत था। इसके अलावा, नुकसान को बुक करने का दर्द (Loss Aversion) उन्हें एक खराब investment में बने रहने पर मजबूर करता है।

Sunk Cost Fallacy की गलती से बचने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?

इससे बचने के लिए ख़ुद से पूछें: “अगर यह पैसा आज मेरे पास cash में होता, तो क्या मैं इसे इसी stock में लगाता?” यह सवाल आपको Sunk Cost से ध्यान हटाकर Future Potential पर फोकस करने में मदद करता है।

क्या Sunk Cost Fallacy और Averaging Down एक ही चीज है?

नहीं। अगर किसी अच्छी कंपनी का stock temporary reasons से गिरता है तो Average Down करना एक अच्छी strategy हो सकती है। लेकिन अगर आप किसी खराब fundamentals वाली कंपनी में सिर्फ़ इसलिए पैसा डाल रहे हैं ताकि अपनी पुरानी cost को सही ठहरा सकें, तो यह Sunk Cost Fallacy है।

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