वेदों में क्या है -What is in the Vedas in Hindi

आज वर्तमान विश्व जीवन और प्रकृति सम्बन्धित जिन प्रश्नों के उत्तर की खोज कर रहा है, वेद (Vedas) उन सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर बड़ी सरलता के साथ देते हैं।

वेदों ( Vedas) में उन सभी प्रश्नों के उत्तर हैं, जो मानव जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े हैं, चाहे वह प्रश्न हमारे फिजिकल अचीवमेंट से जुड़े हो या जीवन की सच्चाइयों से, पारिवारिक हो अथवा सामाजिक हो, राजनीतिक हो अथवा व्यक्तिगत हो।

वेद (Vedas) समस्त सृष्टि (Nature) को देखने समझने एवं उसके मौलिक रहस्य (Fundamental secret) को समझने की दृष्टि प्रदान करता है। वेदों के ज्ञान (Knowledge of The Vedas) से हम जीवन के उन उद्देश्यों को समझ पाते हैं जो हमारे लिए सर्वथा अज्ञात है।

वेदों(Vedas) को किसी भी निश्चित धर्म (Religious), जाति (Caste), संप्रदाय (Community) अथवा वर्ग विशेष के धार्मिक ग्रंथों (Religious Texts) की सीमा में बांधना एक महत्वपूर्ण गलती है। यह भी सत्य है कि वेद भारतीय संस्कृति (Indian Tradition) एवं अध्यात्म (Spirituality) के मेन सोर्स और विश्व की अमूल्य निधि है।

वर्तमान समय में वेदों (The Vedas) के संबंध में बारे में कई प्रकार के मिथ्या और गलत धारणाएं (Wrong Assumptions) हैं, जिसमें एक यह है कि वेद मात्र सनातन धर्म (Santana Dharma or Eternal Religion) को मानने वालों के ही ग्रंथ है या इन्हें कुछ विशेष लोग ही पढ़ या जान सकते हैं।

जो लोग वेदों (The Vedas) की भावनाओं को नहीं जानते हैं या समझते हैं वही इन गलत धारणाओं से ग्रसित हो जाते हैं जबकि सत्य यह है कि वेदों के भाव को जीवन में प्रयोग किया जाए तो निश्चित रूप से हमारी कई प्रकार की समस्याओं का समाधान हो सकता है।

वेदों का अध्ययन हमें किसी अंधेरी गुफा में जाने से रोकता है और हमें सहजता ‌से एक सरल मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है जहां संगीत है, प्रेम है, आनंद है और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण आत्म स्वरूप का ज्ञान है।

आइये इस आर्टिकल में हम जानते है की वेदो में क्या है(What’s in the Vedas)?- Vedas ka meaning kya hai , वेदो की प्रासंगिता (Relevance of the Vedas) क्या है ? , कितने प्रकार (Type Of The Vedas) की है ?, चारो वेदो (4 Vedas) कौन कौन से है ?

वेद क्या है – What is the Vedas in Hindi – Vedas Meaning

What is in Vedas

वेद (Vedas) शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के “विद्” धातु से हुई है। इस प्रकार वेद का अर्थ है ज्ञान के ग्रंथ (Knowledge book)। वेद को अनादि और अनंत माना जाता है इसलिए इन्हें शब्द में की सीमा (Limitation) में बांध कर देखना कन्फ्यूजन पैदा करता है। वेद के द्वारा ही हम प्रत्यक्ष (Evident) तथा अनुमान से भी ना जाने जा सकने वाले विषयों का ज्ञान करते हैं।

ज्ञान का महत्व आदिकाल से है और संभवत जब तक जगत का स्वरूप रहेगा, ज्ञान का महत्व सदैव बना रहेगा। ज्ञान ही एक आदमी को आदम युग से, पशुवत जीवन से निकालकर मनुष्य बनाता है। ज्ञान ही जीवन को एकमात्र भोग करने की सीमा से निकालकर मनुष्य को व्यापक स्वरूप प्रदान करता है।

ज्ञान ही है जिसका आश्रय लेकर मनुष्य युगों युगों से नवीन रचनाएं करता रहता है। ज्ञान ही हमें पशु से इंसान बनाता है इन सब के साथ ज्ञान ही हमें विनाश की ओर भी ले जाता है।

महर्षि दयानंद के अनुसार :-

वेद समस्त ज्ञान-विज्ञान के भंडार हैं। समस्त सत्य विद्याओं की मूल स्त्रोत भी वेद ही हैं।

वेदों में ही वह ज्ञान निहित है, जिससे सभी को महान लाभ प्राप्त होता है।

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक कहते हैं कि :-

ईश्वर की सत्ता और महत्ता को नकारने वाला भी हिंदू हो सकता है किंतु , वेदों की सत्ता महत्ता को और उपयोगिता को स्वीकार न करने वाला हिंदू नहीं माना जा सकता।

ब्लूमफील्ड के अनुसार :-

वेद भारत का प्राचीनतम साहित्यिक कीर्ति स्तंभ है इसे भारतीय चिंतन का मूल सोर्स कह सकते हैं।

इस प्रकार से हम देखते हैं कि वेद (The Vedas) एक महत्वपूर्ण उपयोगी ग्रंथ है, जो मानव जीवन को सर्वोच्चता (Supremacy) की ओर ले जाते हैं।

वेदों का प्रारूप-Format of Vedas in Hindi

वेदों को ‘श्रुति’ कहा गया है अर्थात जो मात्र सुनकर ही कंठस्थ कर लिया जाता है और उसका पाठ किया जाता है।  

इसका का कारण यह है की वेदों को ईश्वर के स्वांस से उत्पन माना  गया है।

भारतीय मान्यता के अनुसार वेद स्वयं ब्रह्म स्वरुप  है।

सरल शब्दों में कहें तो वेदों का लिखित रूप में प्रकाशन वेदों के उद्भव के बहुत बाद हुआ।

किसने की वेदों की रचना- Who Wrote Vedas in Hindi

What is in Vedas

वेदों को अपौरुषेय कहा जाता है। अपौरुषेय का अर्थ यह हुआ कि वह कार्य जो किसी पुरुष, व्यक्ति अथवा मनुष्य द्वारा किया ही न जा सके । फिर यहां यह प्रश्न उठता है कि यदि यह किसी मनुष्य द्वारा रचा ही नहीं गया, तो यह इतना प्राचीन ग्रंथ सुरक्षित कैसे रहा ?

वेदों(Vedas) को सभी भारतीय दार्शनिकों ने अपौरुषेय और नित्य स्वीकार किया है, भले ही इस संबंध में उनके तर्क अलग-अलग रहे हैं। इस प्रकार यह स्पष्ट होता है, कि वेदों की रचना किसी व्यक्ति ने नहीं की ।

भारतीय मान्यता के अनुसार वेद स्वयं ब्रह्म स्वरूप है।

कई लोगों का मानना है कि वेदव्यास जी ने वेद लिखा है परंतु, उन्होने तो सिर्फ वेदों को लिपिबद्ध किया था, क्योंकि वेद तो अनादि हैं, जो वेदव्यास जी से पहले भी थे।

वेदों का उत्पत्ति – Origin of Vedas in Hindi

सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि वेदों का उत्पत्ति कब और कैसे हुई ? इस संबंध में विद्वानों द्वारा वैदिक साहित्य (Vedic literature) को चार विभिन्न काल खंडों में विभाजित किया गया है।

1. खंड काल

(ई.पू. 1000 वर्ष)  विद्वान यह मानते हैं कि इस काल में ही वैदिक काव्य साहित्य का क्रमिक विकास शुरू हुआ।

2. मंत्र काल

(ई.पू. 800 से 1000वर्ष ) इस कालखंड में रचे गए ग्रंथों में वेदों की ऋचाओं और सिद्धांतों का संग्रह है, जिनका व्यवस्थित रूप से वर्गीकरण हुआ है।

3. ब्राह्मण काल

(ई.पू. 600 से 800 वर्ष) इस कालखंड में साहित्य की रचना गधात्मक शैली में की गई थी।

4. सूत्र काल

(ई.पू 500 वर्ष) इस कालखंड में  सूत्रों की रचना अत्यंत ही गूढ़ और सूक्ष्मतम ढंग से की गई है।

सामान्यतया, सनातन धर्म (Santana Dharma)  में यह मान्यता है कि वेद सृष्टि के आरंभ के समय ही ब्रह्मा द्वारा रचे गए थे।

वेदों की प्रासंगिकता – Relevance of The Vedas in Hindi

प्रत्येक मनुष्य के जीवन में उसके सामने एक प्रश्न अवश्य उठता है, की हम जीवन से क्या चाहते हैं ?
हर तरह का अचीवमेंट एक लेवल पर पहुंच कर अप्रासंगिक (Irrelativant) हो जाता है। तब इंसान यह सोचने लगता है की वह क्या जीवन से यही चाहता था ? जो आज उसे मिला है या कुछ और चाहिए था? कुछ ऐसा जो से अधिक सुख, अतीक शांति और अधिक संतोष दे सकता था।

शायद यही वह प्रश्न है जिसके कारण संसार के कई धनवान उद्योगपति अपने जीवन के ऊंचाइयों पर पहुंच कर अपने को मानव सेवा की ओर मोड़ने का प्रयास करते हैं। जिससे वे वो सब पा सके जो शायद अपने तमाम अचीवमेंट के रहते नहीं पा सके।

वेद(Veda) हमें इन्हीं प्रश्नों के उत्तर खोजने में सहायता करते हैं।

आज के समय में वेदों की प्रासंगिकता (Relevance of The Vedas) इसलिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विज्ञान और सौंदर्य दोनों के सहविकास का रास्ता बताते हैं।
वेद बताते हैं कि कैसे हम जीवन के खूबसूरती को कायम रखते हुए निरंतर नई खोजों की ओर बढ़ सकते हैं। वेद मानव समाज को सांटिफिक और सामाजिक विकास (Social Development) के मध्य संतुलन बनाकर जीने की कला सिखाते हैं।
मैक्समूलर ने एक जगह कहा है – “यदि मुझसे यह पूछा जाए की वह कौनसा साहित्य (Literature) है, जो हमारी आंतरिक जीवन (Inner Life) को पूर्ण और सार्वभौम बनाने में पूर्णतया सक्षम (Fully capable) है, तो मैं निसंकोच (Without Hesitation) वेदों की ओर संकेत करूंगा“।

यह कथन ही वेदों की प्रासंगिकता को सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है।

वेदों के मुख्य विषय – Main Topics Covered By Vedas in Hindi

संसार में जो कुछ भी ज्ञान है वह वेद ही है, इसलिए वेद की सीमा अनंत है। ऐसी परिस्थितियों में वेदों(Vedas) में आखिर क्या है ?उसकी विषय वस्तु क्या है ? वह किन विषयों को सपोर्ट करता है ? यह सब जान लेने के बाद ही वेदों को जाना जा सकता है। अतः वेदों को संपूर्ण रुप से समझने के लिए इसके द्वारा स्थापित कुछ विषयों का विश्लेषण करते हैं :-

1.राष्ट्रीयता (Nationality) :-

 एक ही भूमि पर निवास करने वाले लोग चाहे उनकी बोली, उनकी भाषा(Language), सामाजिक व्यवस्था(Social System) या सांस्कृतिक व्यवस्था (Cultural System) भले ही भिन्न भिन्न हो परंतु यदि उनके अंदर वह अल्पतम आध्यात्मिक बंधन(Spiritual Bonding) विद्यमान है, जो उन्हें एक दूसरे से जोड़ती है, तो वे निश्चित रूप से एक ही राष्ट्र के निवासी हैं। वेद, राष्ट्र सेवा और राष्ट्र के लिए स्वयं का त्याग कर देने की प्रेरणा देते हैं और संभवत यही कारण है कि आज भी उनका राष्ट्रव्यापी प्रचार है।

हम वेदों में राष्ट्रीयता की भावनाओं का स्पष्ट दर्शन कर सकते हैं।

2.संस्कृति और सदाचार (Culture and Morality) :-

वेदों(Vedas) में सदाचार के नियम अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि संस्कृति रूपी सुंदर प्रसाद का निर्माण इसी की बेस पर होता है।

देवताओं में भी वही देवता सर्वश्रेष्ठ और सामर्थ्यवान बनता है जो सदाचार से स्वयं को जोड़े रखता है। सदाचार से विहीन मनुष्य को किसी भी सभ्य संस्कृति में सुसंस्कृत(Cultured)  मानव नहीं कहा गया। वेदों के अनुसार हमें श्रेष्ठ बनना है हमें अपने जीवन में अपने आचरण में ऊंचे ही उठते रहे यही जीवन का चरम लक्ष्य है।

3. शिक्षा ( Education) :-

मानव जीवन के विकास का प्रथम लेवल है शिक्षाशिक्षा ही हमें पशु से मनुष्य बनाती है, शिक्षा ही जीवन को जमीन से उठाकर आसमान पर स्थापित करते हैं। प्राचीन काल से ही भारत में सबके लिए शिक्षा की प्रचुर व्यवस्था थी। 

संपूर्ण विश्व में  प्रेममय माधुर्यता का संचार कर, जीवन को श्रेष्ठता की ओर ले जाना ही वैदिक शिक्षा (Vedic education)  का मुख्य आधार है।

4. यज्ञ :-

वेदों का मुख्य स्थापित विषय है :- यज्ञ ।  इसमें यह संकेत है कि जो जीवन में सुख, शांति और मुक्ति की कामना करते हैं उन्हें यज्ञ आदि शुभ कर्म अवश्य करने चाहिए। वेद मानते हैं कि यज्ञ द्वारा ही वर्षा होती है, जिससे पूरी सृष्टि का पालन पोषण होता है। इस प्रकार परमात्मा यज्ञो द्वारा ही संपूर्ण विश्व का संरक्षण एवं पालन करते हैं।

5. पुनर्जन्म (Rebirth) :-

यह एक ऐसा विषय है, जो लगभग सभी हिंदू दर्शन (Hindu Philosophy ) में पूर्णत: स्वीकार किया जाता है। यही नहीं आत्मा के अस्तित्व को अस्वीकार करने वाला बौद्ध धर्म (Buddhism) भी पुनर्जन्म को स्वीकार करता है।

वेद जीवात्मा के अनंत पथ निर्धारित करते हैं और यह स्पष्ट करते हैं कि यह जीवात्मा अपने पथ पर बार-बार नवीन शरीर धारण करती है। यह पूर्व जन्म में किए गए अच्छे बुरे कर्मों के आधार पर ही नया रूप प्राप्त करती है। इन्हीं कर्मों के अनुसार इसे पशुओं अथवा मनुष्य जीवन प्राप्त होता है।

6. योग (Yoga) :-

 वैदिक साहित्य (Vedic Literature) मानते हैं, कि परमात्मा और आत्मा दो अलग-अलग तत्व ना होकर मौलिक रूप दोनों एक ही है।  योग शब्द का साधारण अर्थ है :- जोड़ना या संयुक्त करना। अपनी आत्मा को परमात्मा के साथ संयुक्त कर देना ही योग है। जिस साधना से इस प्रकार का योग प्राप्त होता है उसे ही योग साधना अथवा योग कहते हैं।

योगसूत्र के रचनाकार पतंजलि का कथन है कि  पूर्ण एकाग्रता (Full Concentration)  के साथ परमात्मा में समाहित हो कर समाधि की अवस्था को प्राप्त कर लेना ही योग है।

7. पर्यावरण रक्षा (Environmental Protection) :-

जीवन का अस्तित्व ही प्रकृति की शक्ति से है। प्रकृति ही जीवन देती है और पुनः जीवन के नव निर्माण के लिए प्रकृति ही पुनः जीवन की पुरातन अवस्था को परिवर्तित कर देती है, जिसे मृत्यु कहा  जाता है।

जीवन का सतत रक्षण ही प्रकृति का मूल उद्देश्य है।

भारतीय मनीषियों ने हजारों वर्ष पूर्व मानव जीवन की रक्षा और कल्याण के लिए पर्यावरण रक्षा पर विशेष बल दिया है।

8. वायु (Air) :-

वेदों के अनुसार वायु ही शरीर की रक्षा करने वाला है। वेद वायु को शुद्ध और अशुद्ध दो भागों में विभाजित करते हैं। शुद्ध वायु वह है जो श्वास लेने योग्य है और अशुद्ध वायु वह है जो सांस लेने योग्य नहीं है।

वेद कहते हैं कि शुद्ध वायु के सेवन से शक्ति में वृद्धि होती है जबकि अशुद्ध वायु शक्ति को कमजोर  करती हे। यदि जीवन को स्वस्थ और सुखद रखना चाहते हैं तो हमें वायु की शुद्धता की रक्षा करनी होगी।

9. जल (Water) :-

जल के महत्व को बताते हुए वेद कहते हैं कि शुद्ध जल से न सिर्फ हमारे जीवन की रक्षा होती है,अपितु यह चेहरे के सौंदर्य तथा क्रांति में भी वृद्धि करता है। 

वेदों में जल प्रदूषण (Water Pollution) की समस्या पर काफी विचार किया गया है । अथर्ववेद में शुद्ध जल को रोग विनाशक तथा अमृत के समान माना गया है। इस प्रकार वेद जल की शुद्धि पर बल देते हुए मनुष्य को जल को शुद्ध रखने का उपदेश देते हैं।

10. ध्वनि प्रदूषण (Sound Pollution) :-

वातावरण को ध्वनि प्रदूषण से बचाने के लिए अधिक तीखी ध्वनि से बचना चाहिए। आपस में बात करते समय अत्यंत मधुर और धीमी आवाज में बात करना चाहिए।  यही स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम है।  इस प्रकार वेद ध्वनि प्रदूषण की संभावित नुकसान से बचने के लिए ध्वनि को शुद्ध रखने पर बल देता है।

11. खाद्य प्रदूषण (Food Pollution) :-

भोजन की शुद्धता अति अनिवार्य है। यदि भोजन शुद्ध नहीं है तो मनुष्य खतरनाक बीमारियों का भी शिकार हो सकता है।

पर्यावरण हमारे जीवन की रक्षा करता है। पर्यावरण जितना प्रदूषित होगा, जीवन उतना ही कठिन हो जाएगा। वेद यह बात जानते थे, इसलिए वेदों का मुख्य विषय पर्यावरण ही है।

वेदों की संरचना – Structure of The Vedas

हर वेद के चार भाग होते हैं।  इस प्रकार से चारों वेदों में से प्रत्येक के चार चार भाग बनाए गए हैं।

यह निम्न प्रकार से हैं :-

1. संहिता (Samhitas) :-

यह वेदों का सबसे प्राचीन हिस्सा हैं, जिसमें भगवान की स्तुति के भजन होते हैं।

2. ब्राहमण ग्रंथ ( Brahmanas ) :-

मार्गदर्शन करने के लिए अनुष्ठान और प्रार्थनाएं हैं।

3. आरण्यक (Aranyakas) :-

 इसमें कर्मकांड के पीछे की उद्देश्य का वर्णन है।

4. उपनिषद (Upanishads) :-

वेद की इस भाग के अंदर परमेश्वर परब्रह्म और आत्मा के स्वभाव और संबंध का बहुत ही दार्शनिक और ध्यान पूर्वक वर्णन है अर्थात उपनिषदों में हिंदू धर्म (Hinduism)  की रहस्यमय और दार्शनिक शिक्षाएं शामिल हैं।

कितने वेद हैं – How Many Vedas are There?

भारत में वेदों का महत्वपूर्ण स्थान है। ये प्राचीन ज्ञान के स्रोत हैं। अब सबसे महवत्पूर्ण सवाल ये ही की वेद कितने प्रकार ( Types of Vedas ) के होते है ।  

What is in Vedas

मुख्य रूप से वेद चार (4 Vedas) प्रकार के हैं।  ये हैं ‌:-

  • ऋग्वेद (Rigveda)
  • सामवेद  (Samaveda)
  • यजुर्वेद (Yajurveda)
  • अथर्ववेद (Atharvaveda)

चार वेदों के बारे में जानकारी – The Four Vedas in Hindi

साधारण भाषा में वेद का अर्थ ‘ज्ञान’ होता है। इसके अंदर मनुष्य की सभी समस्याओं का समाधान मिलता है। वेदों में संगीत, देवताओं, औषधि, हवन, गणित, भूगोल, ब्रह्मांड, धर्म के नियम, ज्योतिष रीति रिवाज,  इतिहास सभी के बारे में विस्तार से जानकारी मिलती है।

चारों वेदों ( 4 Vedas ) के बारे में विस्तृत जानकारी निम्न प्रकार से है :-

ऋग्वेद (Rigveda in Hindi)

यह सबसे प्राचीन ग्रंथ है। संसार की समस्त विद्याओं का मूल सोर्स यही है जिसे परम ब्रह्म परमात्मा द्वारा बनाया गया है । वैदिक संकल्पना (Vedic concept) के अनुसार ऋग्वेद (Rigveda) सृष्टि की रचना करने का मूल आधार है और ब्रह्मा जी इसी वेद की सहायता से सृष्टि की रचना करते हैं।

संपूर्ण ऋग्वेद (Rigveda) के 64 अध्याय, 8 अष्टक, 10 मंडल2006 वर्ग, 1000 सूक्त , 85 अनुवाक और 10,440 मंत्र है।

इसके साथ ही ऋग्वेद (Rigveda) में हवन द्वारा चिकित्सा (Therapy), जल चिकित्सा (Water Therapy)वायु चिकित्सा (Air Therapy)मानव चिकित्सा (Human Therapy), मानस चिकित्सा की जानकारी भी दी गई है।

ऋग्वेद (Rigveda) का प्रमुख उद्देश्य (The main objective of Rigvedas)  मनुष्य और देवात्मा में एक आत्मभाव की स्थापना करना है। जीवन की श्रेष्ठता, श्रेष्ठ कर्म में निहित है। श्रेष्ठ कर्म ना करने वाला मनुष्य  वैदिक सिद्धांतों के अनुसार अर्थहीन और प्रकृति के लिए अनावश्यक है। 

ऋग्वेद(Rigveda) की कल्याणकारी शिक्षाएं :-

  • वह मित्र ही क्या है, जो अपने मित्र को सहायता प्रदान ना करें।
  • सत्य की नाव धर्मात्मा को पार लगाती है।
  • हे परमेश्वर ! हम कल्याण मार्ग के प्रथीक बने।
  • शुद्ध और पवित्र बनो तथा परोपकारमय जीवन जीने वाले हो।
  • श्रेष्ठ पुरुष ने सदैव सत्य का ही साथ दिया और वैसा ही आचरण भी किया।
  • सत्य का मार्ग सरल और सुख देने योग्य होता है।

यजुर्वेद(Yajurveda in Hindi)

यजुर्वेद (Yajurveda) शब्द की उत्पत्ति “यज्” धातु से मानी गई है, जिसका अर्थ है त्याग पूर्वक पूजा करना अथवा यज्ञ करना। इस प्रकार  यजुर्वेद, वह वेद है जिससे यज्ञ के मूल स्वरूप का निर्धारण किया जाता है। इसलिए इसका एक और नाम है अध्वर्युवेद

ऋग्वेद में  ज्ञान विज्ञान के विभिन्न शाखाओं का विश्लेषण किया गया है, परंतु उन सभी का उपयोग कर उसका सर्वश्रेष्ठ लाभ कैसे प्राप्त किया जा सकता है इसका विश्लेषण यजुर्वेद में किया गया है। अतः: यजुर्वेद कर्म का विज्ञान है। इसमें ज्ञान का उपयोग करते हुए श्रेष्ठ कर्म करने पर जोड़ दिया गया है।

यजुर्वेद की कल्याणकारी शिक्षाएं :-

  • यह संपूर्ण विश्व उसी परमात्मा में स्थित है।
  • हमारी कामनाएं सच्ची हो।
  • जागना ज्ञान ऐश्वर्य प्रदान करने वाला तथा आलस्य सोना दरिद्रता का मूल है।
  • हे प्रभु , हम सभी ब्रह्म ज्ञान से संयुक्त हो।
  • हे परमात्मा, हम आपकी ज्योति को प्राप्त कर सभी प्रकार के भय से मुक्त हो।
  • हम समस्त जगत में व्याप्त, उस विश्वरूप परमात्मा की महिमामय ज्योति को प्राप्त करें।

सामवेद (Samaveda in Hindi)

इस शब्द की उत्पत्ति संस्कृत वाक्य ‘समन्‘ से हुई है। जिसका अर्थ होता है शांत करना। इसका मतलब हुआ कि जिन वेद मंत्रों का देवताओं को प्रसन्न करने के लिए गायन किया जाता है उसे सामवेद कहते हैं।

सामवेद की कल्याणकारी शिक्षाएं :-

  • हमें कल्याणकारी स्तुतियां प्राप्त हो।
  • हे परमात्मा, राक्षसों और हिंसक पशुओं का विनाश हो।
  • हम शरीर धारी प्राणी परमात्मा की विशिष्ट ज्योति को प्राप्त करें।
  • हम जो प्रार्थना देवताओं के लिए करते हैं, वे देवताओं को प्राप्त हो।
  • विश्व के समस्त देवता गण मेरे मान करने योग्य यज्ञ को स्वीकार करें।
  • हे परमात्मा, मै सर्वत्र गंभीर और धैर्य युक्त वाणी बोलने वाला बनूं।

अथर्ववेद(Atharvaveda in Hindi)

अथर्ववेद(Atharvaveda) वेदव्यास द्वारा संकलित चारों वेदों में से चौथा वेद है ।

इस वेद में रहस्यमई विद्याओ(Mysterious), जादू-टोना, आयुर्वेद और चमत्कार का वर्णन मिलता है। अथर्ववेद में परिवार और उसके कर्तव्य, सामाजिक आचार-विचार, व्यवहार, वस्त्र, रहन-सहन,दिनचर्या, खाद्य पदार्थों का संग्रह, कृषि,  पेयजल, पशुपालन, गाय की रक्षा, नारी, जीवन, घर की व्यवस्था, मनोरंजन, शिक्षा, आदि विभिन्न सामाजिक विषयों को  मुख्य आधार बनाया गया है।

अथर्ववेद की कल्याणकारी शिक्षाएं :-

  • प्राण, सत्य बोलने वाले को श्रेष्ठ रूप में प्रतिष्ठित करता है।
  • हे परमात्मा, शुभ और शिव वचन सुनने वाले कानों से मैं केवल कल्याणकारी वचनों को सुनूं।
  • वह ईश्वर एक और सत्य भी एक ही है।
  • एक परमेश्वर ही पूजा के योग्य है।
  • उस आत्मा को जान लेने के बाद मनुष्य मृत्यु के भय से भयभीत नहीं होता।
  • पुण्य की कमाई मेरे घर की शोभा बढ़ाएं।
  • हम सभी जीवो में यशस्वी हो।

सारांश (conclusion)

कहा जाता है कि वेदों(The Vedas) में उन सभी प्रश्नों के उत्तर हैं जिन्हें हम अपने जीवन में खोजते हैं।

सत्य तो यह है कि वेदों(The Vedas) को जिस भी दृष्टि से देखा जाए उनसे उस रेफेरेंस में बहुत कुछ मिल जाता है। धर्म (Religion), दर्शन (Philosophy), विज्ञान (Science), नीति (Ethics) आदि विभिन्न विषयों के सर्वश्रेष्ठ नॉलेज वेदों में ही निहित है। वेद न तो एक काल में रचे गए हैं, न ही वेदों(The Vedas) का रचनाकार कोई एक व्यक्ति है। विभिन्न समय पर विभिन्न ज्ञानवान लोगों ने जीवन और उससे जुड़ी समस्याओं को जिस तरह देखा और उसे समझा उसे वेदो (The Vedas) में शामिल कर लिया। इसलिए जीवन से जुड़ी सभी समस्याओं का हल वेदों में तलाश किया जा सकता है।

महत्वपूर्ण बात यह है, कि वेदों(The Vedas) में मूर्ति पूजा (Idol Worship) नहीं है और देवताओं के मंदिरों (Temples of Gods) की चर्चा भी नहीं है बल्कि इसमें जीवन के प्रति एक अदम्य उत्साह एवं स्वीकार्यता है।

उम्मीद करता हूँ, की आप को यह आर्टिकल वेदों में क्या है (What’s in the Vedas in Hindi) पसन्द आया होगा।

लोग यह भी पूछते हैं – People also ask

हिंदुओं का पवित्र ग्रंथ कौन सा है?

 हिंदुओं का पवित्र ग्रंथ वेद( The Vedas) हैं।

कितने वेद हैं?

वेद 4 (Four Vedas) हैं चारो  वेदों का क्रम है – ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद.


वेदों का क्रम क्या है?

चारो  वेदों का क्रम है – ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद.

वेदों को अपौरुषेय क्यों कहा जाता है?

वेदों को ईश्वर कृत माना जाता है। इस लिए अपौरुषेय कहते  है


दुनिया का पवित्र ग्रंथ और प्राचीनतम कौन सा है ?

संसार का पवित्र और प्राचीनतम ग्रंथ ऋग्वेद(Rigveda) को माना जाता है। ऋग्वेद हिन्दू धर्म यानी सनातन धर्म का स्रोत है।

वेदों के रचयिता कौन हैं?

सनातन धर्म (Santana Dharma) की मान्यता के अनुसार वेद (The Vedas) ब्रह्मा जी द्वारा रचे गए थे । बाद में वेदव्यास जी के द्वारा  वेदों को लिपिबद्ध किया था।

वेदों की उत्पत्ति कैसे हुई?

वेदों की उत्पत्ति ब्रह्मा जी के द्वारा हुई

वेदों में सबसे बड़ा वेद कौन सा है?

ऋग्वेद(Rigveda) को चारों वेदों (4 vedas) में सबसे प्राचीन और बड़ा माना जाता है।

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