ऑनलाइन ट्रेडिंग(Online Trading) की मदद से आप दुनिया में किसी भी जगह से इंटरनेट(Internet) के जरिए शेयर ट्रेडिंग अकाउंट(Share Trading Account) ऑपरेट कर सकते हैं। इसमें ऑर्डर देने के लिए शेयर ब्रोकर (Sahre Broker) से फोन पर संपर्क करने की झंझट नहीं होती क्योंकि आप खुद ही ऑर्डर पंच कर सकते हैं। यह सुविधा दूसरे देशों की तरह भारत में भी धीरे धीरे लोकप्रिय हो रही है।
आज के समय में कई ब्रोकर चाहते हैं कि उनके कस्टमर्स ऑनलाइन ट्रेडिंग(Online Trading) को अपनाएं। वे ट्रेडिशनल या कन्वेंशनल ट्रेडिंग(Traditional or Conventional Trading) की तुलना में इसे प्रमोट कर रहे हैं, क्योंकि इससे उनके लागत(Cost) की बचत होती है, जो ऑफिस चलाने, सैलरी देने में खर्च होती है।
टेक्नोलॉजी को जानकार नये इन्वेस्टर्स(Investors) में ऑनलाइन ट्रेडिंग की लोकप्रियता या पॉपुलैरिटी(Popularity) बढ़ रही है, क्योंकि इसमें लचीलापन या फ्लेक्सिबिलिटी(Flexibility) है।
आइये इस आर्टिकल के माध्यम से जानते है की ऑनलाइन ट्रेडिंग कैसे शुरू करें–Online Trading kaise suru kare.
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ऑनलाइन ट्रेडिंग कैसे करें-Online Trading Kaise Kare
ऑनलाइन ट्रेडिंग अकाउंट के लिए इंटरनेट कनेक्शंस पहली आवश्यकता है। सबसे पहले ब्रोकर के पास शेयर ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होगा। उसके बाद सेविंग अकाउंट(Saving Account) और डिमैट अकाउंट(Demate Account) को शेयर ट्रेडिंग अकाउंट से लिंक करना होगा।
आमतौर पर ब्रोकर्स के पास इसके लिए बैंकों का एक पैनल होता है। अगर उस पैनल के किसी बैंक में आपका अकाउंट पहले से है तो नया अकाउंट खोलने किस जगह आप उसी अकाउंट को ट्रेडिंग अकाउंट के साथ लिंक कर सकते हैं।
सारी फॉर्मेलिटी पूरी करने और रजिस्ट्रेशन(Registration) होने के बाद आपको एक यूजर नेम(User Name), एक पासवर्ड(Password) और एक पिन नंबर(Pin Number) दिया जाएगा। ये सिक्योरिटी और आईडेंटिटी के लिए आवश्यक होता है।
ऑनलाइन ट्रेडिंग(Online Trading) अकाउंट के फंक्शंस बिल्कुल ब्रोकर आधारित ट्रेडिशनल ट्रेडिंग अकाउंट्स से मिलते जुलते ही हैं। आर्डर(Order) देते समय कंपनी का कोड, एक्सचेंज का नाम, कितने शेयर(Share) बेचने या खरीदने हैं, उनकी संख्या और ऑर्डर का प्रकार (लिमिट या मार्केट) आदि लिखना पढ़ता है । उसके बाद आपके सेविंग बैंक अकाउंट में लेन-देन के लिए पर्याप्त धन है, तो ब्रोकर का सिस्टम आपके ऑर्डर को प्रोसेस करेगा। यदि आप इन पैरामीटर्स को पूरा करते हैं तो ब्रोकर का सिस्टम आपके ऑर्डर को एक्सचेंज को फॉरवर्ड करेगा और आर्डर पूरा कर दिया जाएगा।
ऑनलाइन ट्रेडिंग में ऑर्डर के प्रकार-Types of Orders in Online Trading
ट्रेडिंग(Trading) करते समय आर्डर का प्रकार फीड करना होगा मसलन वह लिमिट(Limit) आर्डर है या मार्केट (Market) ऑर्डर है।
मार्केट आर्डर को करंट मार्केट प्राइस(Current Market Price) पर तुरंत पूरा कर दिया जाता है। बाकी आर्डर एक्सचेंज के प्राइस टाइम प्रायोरिटी(Price Time Priority) नियम के मुताबिक पूरे किए जाते हैं।
प्राइस टाइम प्रायोरिटी नियम का मतलब यह है कि खरीदने के समय सबसे बड़ी कीमत वाली बीड और बेचने के समय सबसे कम कीमत वाली बीड को प्राथमिकता दी जाती है। अगर एक ही कीमत वाले एक से ज्यादा आर्डर होते हैं, तो जो ऑर्डर पहले पंच किया गया है, उसे प्राथमिकता दी जायेगी।
ऑनलाइन ट्रेडिंग में आर्डर पूरा होने के बाद-After the Order in Online Trading
अगर शेयर खरीदने का आपका ऑर्डर पूरा हो जाता है तो ब्रोकर सौदे की जरूरी अमाउंट(Amount) को आपके बैंक अकाउंट से निकाल लेता है। सेबी(SEBI-Securities and Exchange Board of India) के निर्देशों के अनुसार ब्रोकर के लिए आवश्यक है कि पेमेंट के दिन के बाद एक वर्किंग डे(Working Day) के भीतर ही उसके पूल(Pool) अकाउंट से शेयर(Share) आपके डिमैट अकाउंट(Demate Account) में ट्रांसफर कर दे।
शेयर बेचने के मामले में, यदि शेयर बेचने का आपका ऑर्डर पूरा हो गया है, तो आपका ब्रोकर आपकी डिमैट अकाउंट(Demate Account) से जरूरी शेयर निकाल लेता है। आपके ब्रोकर के लिए आवश्यक है की उस दिन के बाद एक वर्किंग डे(Working Day) में वह आपके बैंक अकाउंट में अमाउंट(Amount) ट्रांसफर कर दे।
भारतीय स्टॉक मार्केट में T+2 साइकिल के प्रचलन के कारण यह अंतराल होता है।
यदि आपने उसी दिन शेयर खरीदे और बेचे हैं तो अंतर की राशि आपके अकाउंट में एडजस्ट कर दी जाएगी।
जैसा कि कन्वेंशनल या ट्रेडिशनल ट्रेडिंग में होता है ब्रोकर द्वारा ठीक वैसे ही सभी सौदों के लिए कांटेक्ट नोट दिए जाते है।
ट्रेडिंग अकाउंट(Trading Account) शुरू करते समय ही ब्रोकर से पूछ लेना चाहिए कि ऑनलाइन ट्रेडिंग(Online Trading) और ऑफलाइन ट्रेडिंग(Offline Trading) के लिए ब्रोकरेज(Brokerage) का खर्च कितना है?
ऑनलाइन सिक्योरिटी-Online Security
लगातार बढ़ते साइबर क्राइम(Cyber Crime) और इंटरनेट पर चीटिंग को देखते हुए आप ऑनलाइन ट्रेडिंग करने से हिच-किचा सकते हैं। इस तरह की चिंता को दूर करने के लिए, इंटरनेट पर लेनदेन को सुरक्षित बनाने और सिस्टम के बारे में आपको भरोसा दिलाने में टेक्नोलॉजी आगे आई हैं।
आपकी एक मुख्य चिंता हो सकती है कि क्या मैं लेनदेन असली और सही वेबसाइट पर कर रहा हूं ? और दूसरी सबसे बड़ी चिंता क्या कोई मेरे सौदों को देख सकता है ? और उस में फेरबदल कर सकता है ?
इन चिंताओं का समाधान सिक्योरिटी साकेट लेयर(Security Socket Layer) एसएसएल(SSL) को लागू करने से होता है। प्रतिष्ठित और भरोसेमंद एजेंसी पूरी जांच-पड़ताल के बाद यूआरएल(URL) वेबसाइट(Website) का उल्लेख करते हुए इलेक्ट्रॉनिक सर्टिफिकेट जारी करती है।
आप इसकी जांच अपने ब्राउज़र(Browser) पर कर सकते हैं और अगर इसकी पुष्टि हो जाती है तो आप मान सकते हैं कि आप असली साइट(Site) पर लेनदेन कर रहे हैं। इसके साथ ही यह आपके ब्राउज़र और वेबसाइट के बीच आ-जा रही सूचनाओं को कोड में तब्दील कर देता है ताकि कोई भी आप के लेनदेन को देख ना सके और उसमें परिवर्तन ना कर सके।
इतना होने के बाद भी आपको अपने कंप्यूटर सिस्टम(Computer System) पर हर वक्त नजर रखनी चाहिए। आपको यह ध्यान करना चाहिए कि आपका पासवर्ड और पिन नंबर टिपिकल हो ताकि किसी के लिए भी उसका अंदाजा लगाना या पता करना मुश्किल हो लेकिन आप उसे याद रख सकें। सिक्योरिटी को बनाए रखने के लिए यह जरुरी है कि आप नियमित अंतराल में अपना पासवर्ड और पिन बदलते रहे।
यदि आपको कोई जानकारी लीक होने का शक है तो आप इसके बारे में तुरंत ब्रोकर को सूचित करें। ब्रोकर आपको एक नया पासवर्ड और पिन जारी कर देंगे।
ऑनलाइन ट्रेडिंग के फायदे – Online Trading Benefits
कम कागजी कार्रवाई – Less Paperwork
अगर आप रेगुलर रूप से ट्रेडिंग करते हैं और बार-बार चेक जारी करने या शेयर बेचते समय हर बार डीमैट खाते के लिए डिलीवरी स्लिप भरने की जटिल कार्य कार्रवाई से परेशान हैं तो सबसे अच्छा विकल्प ऑनलाइन ट्रेडिंग(Online Trading) है।
कम्युनिकेशन संबंधी गलतियों पर नियंत्रण – Control on Communication Related Mistakes
ट्रेडिशनल ऑफलाइन शेयर ट्रेडिंग में ब्रोकर और कस्टमर के बीच गलत कम्युनिकेशन की घटनाएं होती रहती है जिसके कारण आर्डर फिड करने में गलती हो जाती है। ऑनलाइन ट्रेडिंग(Online Trading) में यह प्रॉब्लम नहीं होती है, क्योंकि कस्टमर स्वयं आर्डर फिड करता है।
इनफॉरमेशन तक पहुंच – Access to Information
सभी शेयर्स(Shares) के प्राइस(Price) जानने के लिए बार-बार ब्रोकर(Broker) को फोन करने की जगह आप अपने पसंद के सभी शेयर्स ट्रेडिंग(Share Trading) स्क्रीन पर एक सिंगल विंडो(Single window) में फीड कर सकते हैं और किसी भी समय उस में हो रहे उतार और चढ़ाव पर नजर रख सकते हैं।
भौगोलिक सीमाओं से मुक्ति – Free from Geographical Boundaries
कंप्यूटर(Computer) और इंटरनेट कनेक्शन(Internet Connect) की सहायता से आप किसी भी समय पर, किसी भी जगह अपने ट्रेडिंग अकाउंट(Trading Account) को ओपन कर कार्य कर सकते हैं।
सेटलमेंट में रिस्क कम होता है – Low Risk in Settlement
जब भी शेयर बेचे जाते हैं तो सिस्टम(System) डिलेवरी शुरू कर देता है। ऑनलाइन ट्रेडिंग(Online Trading) से लापरवाही या ब्रोकर और कस्टमर के बीच कम्युनिकेशन(Communication) की कमी के कारण डिलीवरी नहीं होने का रिस्क(Risk) खत्म हो जाता है।
ऑनलाइन ट्रेडिंग के नुकसान – Disadvantages of Online Trading
हर चीज में अच्छाइयां भी होती है और बुराई भी और इसी प्रकर ऑनलाइन ट्रेडिंग(Online Trading) में भी कुछ मामूली खामियाँ है। लेकिन इन्हें ‘नुकसान‘ न कह कर ‘बाधा‘ कहते हैं क्योंकि ये कामकाजी मुश्किलें(Working Difficulties) हैं, जिन्हें दूर किया जा सकता है।
इंफ्रास्ट्रक्चर की खराबियां – Infrastructure Difficulties
ऑनलाइन ट्रेडिंग(Online Trading) सॉफ्टवेयर(Software) सही तरीके से चलाने के लिए अच्छा और तेज रफ्तार इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत होती है ताकि सॉफ्टवेयर शेयरों के हर समय करंट प्राइस दिखाएं। भारत में तेज रफ्तार वाली इंटरनेट सेवा काफी महंगी है और कई बार रुकावटों और कनेक्शन खत्म हो जाने के कारण संपर्क टूट जाता है। इंटरनेट सेवा सही नहीं होगी तो प्राइस देर से देखेंगे। इससे ऑनलाइन ट्रेडिंग(Online Trading) का मकसद ही खत्म हो जाएगा।
टेक्नोलॉजी के अनुकूल बनना – Technology-Friendly
टेक्नोलॉजी की जानकारी नहीं रखने वाले इन्वेस्टर्स(Investors) ऑनलाइन ट्रेडिंग(Online Trading) प्लेटफॉर्म (Platform) से संकोच कर सकते हैं या शायद वे उसे पसंद ना करें।
यदि आप इनमें से एक हैं, तो इस प्रकार के सिस्टम का उपयोग करने से पहले आपको ट्रेनिंग की आवश्यकता होगी अन्यथा ऑर्डर फीड करने में गलती हो सकती है, जिससे आप को नुकसान हो सकता है।
ये डिफीकल्टीज(difficulties) होने के बाद भी शेयर कारोबार का भविष्य ऑनलाइन ट्रेडिंग(Online Trading) ही है।
सारांश
ऑनलाइन ट्रेडिंग(Online Trading) काफी लोकप्रिय या पॉपुलर है क्योंकि इसमें आप माउस से एक क्लिक कर के लेनदेन पूरा कर सकते हैं। ऑनलाइन ट्रेडिंग शुरू करना आसान है। इसमें पूरी सिक्योरिटी भी होती है क्योंकि आपका अकाउंट यूजर नेम, पासवर्ड, पिन नंबर के जरिए सिक्योर रहता है।
आशा करते हैं आपको यह आर्टिकल ऑनलाइन ट्रेडिंग कैसे करें ?- Online Trading kaise kare ? पसंद आया होगा और इसके संबंधित कोई क्वेश्चन या सुझाव हो तो कमेंट कर सकते हैं।
Sir/ mam,
Scalping trading mein cum se cum kitne USD se start kar sakte hai
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https://www.moneycontrol.com/stocks/marketstats/fii_dii_activity/index.php
3. Global Markets
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