How to Invest in ETF for Beginners in India?- ETF में निवेश कैसे करें?

क्या आप चाहते हैं कि आपका पैसा ज़्यादा मेहनत करे और आपको ज़्यादा मुनाफा दे? तो Invest in ETF (Exchange Traded Funds-एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) आपके लिए है।

अगर आपको ये नया लगता है, तो चिंता न करें – ये उतना मुश्किल नहीं है जितना लगता है।

ETF कुछ अलग-अलग Investments को एक साथ मिलाकर बनाया जाता है। जिसे आप Stock या Share की तरह खरीद-बेच सकते हैं।

ETF पहली बार 1993 में अमेरिका में शुरू हुए थे और अब पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो गए हैं। 

भारत में पहला ETF, Nifty BeES, 2002 में लॉन्च हुआ था।

ज़्यादातर लोग Stock या Share और Mutual Funds के बारे में जानते हैं, लेकिन ETF के बारे में कम जानकारी होती है।

Exchange Traded Funds या  ETF पिछले कुछ वर्षों में दुनिया भर के साथ-साथ भारत में भी लाखों लोगों की पसंद के Investment Product बन गए हैं। 

भारत में ETF Market इस समय 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का है और तेजी से बढ़ रहा है। 

यदि आप Stock Trading जैसी Flexibility और Mutual Funds जैसी Diversification की तलाश में हैं, तो ETF में Invest करना एक बेहतरीन विकल्प हैं।

इस आर्टिकल में हम ETF के बारे में बारीकी से जानेंगे और पता करेंगे की ETF में निवेश कैसे करें?(How to Invest in ETF for Beginners in India?)

Page Contents

ETF क्या हैं – What are ETFs?

How to Invest in ETF for Beginners in India

ETF ऐसे फंड होते हैं जिन्हें आप Stocks की तरह बाजार में खरीद-बेच सकते हैं। इसमें कई तरह के Investments जैसे Shares, Bonds या Commodities(Gold, Oil आदि) का मिश्रण होता है। 

इनका लक्ष्य किसी खास Index(Stock Market, Bond Market आदि) के प्रदर्शन की नकल करना होता है। 

Mutual Funds के विपरीत, ETF को ट्रेडिंग दिन के दौरान बाजार की कीमतों पर खरीदा और बेचा जा सकता है।

ETF कैसे काम करते हैं? – How do ETFs work?

नए निवेशकों के लिए ETF के काम करने का तरीका समझना ज़रूरी है। 

मूल रूप से, जब आप ETF में Invest करते हैं, तो आप एक ऐसे Portfolio के Shares खरीद रहे हैं जो किसी खास Index के Performance की नकल करने की कोशिश करता है। 

उदाहरण के लिए, आप “Nifty 50Index के ETF में Invest कर सकते हैं, जिससे देश की 50 बड़ी कंपनियों में थोड़ा-थोड़ा निवेश हो जाएगा।

इस तरह से आप बिना ज़्यादा सोचे Market या किसी खास Sector में पैसा लगा सकते हैं।

ट्रेडिंग दिन के दौरान ETF को बाजार की कीमतों पर खरीदा और बेचा जा सकता है। ETF की कीमत Market Forces, जैसे Demand और Supply द्वारा निर्धारित होती है।

ETF क्यों चुनें? – Why choose ETF?

ETF नए Investors के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं क्योंकि वो Stocks और Bonds में Invest करना आसान बना देते हैं।  इनमे मुख्य है :-

  • आसान शुरुआत(Easy Start): ETF नए Investors के लिए Stock और Bond Markets में कदम रखने का एक आसान तरीका है। ये Mutual Funds और Shares दोनों के फायदे देते हैं।
  • डायवर्सिफिकेशन(Diversification): ETF में कई तरह के Investments होते हैं, इसलिए आप एक ही साथ कई अलग-अलग कंपनियों या Sectors में Invest कर सकते हैं। इसमे कम Risk होता है और Profits ज़्यादा होने की संभावना बढ़ती है।
  • खरीदने-बेचने में आसानी(Ease of Buying and Selling): Shares की तरह, ETF को भी पूरे दिन बाजार में खरीदा और बेचा जा सकता है।

यही वजह है कि नए Investors के लिए ETF में Invest करना एक आकर्षक विकल्प हो सकता है।

ETF में निवेश के फायदे – The Advantages of Investing in ETFs

How to Invest in ETF for Beginners in India

ETF यानी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड-Exchange Traded Fund नए Investors के लिए Invest करने का एक बढ़िया तरीका हैं। ETF में Invest के कई फायदे हैं,  यह हैं:-

डायवर्सिफिकेशन(Diversification):

ETF में कई तरह के Investments होते हैं, इसलिए आप एक ही झटके में कई अलग-अलग कंपनियों या Sectors में Invest कर सकते हैं। इससे Risk कम होता है और मुनाफा ज़्यादा होने की संभावना बढ़ती है।

बेचने-खरीदने में आसानी(Liquidity):

Shares की तरह, ETF को भी आप पूरे दिन बाजार में खरीद और बेच सकते हैं। ये बाजार खुलने से बंद होने तक उपलब्ध रहते हैं।  इससे ज़रूरत पड़ने पर आप आसानी से अपना पैसा निकाल सकते हैं।

कम खर्च(Cost-Efficiency):

कई Mutual Funds के मुकाबले ETF का खर्च कम होता है, इसलिए इससे ज़्यादा मुनाफा मिलता है। यह नए Investors के लिए ज़्यादा फायदेमंद हैं।

लचीलापन(Flexibility):

ETF कई तरह के होते हैं, जैसे Equity ETF, Bond ETF, किसी खास Sector में Invest करने वाले ETF, या किसी Thematic Funds पर आधारित ETF। आप अपनी पसंद के हिसाब से ETF चुन सकते हैं।

टैक्स बचत(Tax Savings):

ETF में निवेश करने से आपको बिना Stocks खरीदे ही उनमें शामिल Assets के Capital Gain का फायदा मिलता है, जिससे Tax की बचत होती है।

इन सब फायदों के अलावा, ETF की वजह से आपको अपनी ज़रूरत के हिसाब से Portfolio बनाने की छूट मिलती है और आप ज़्यादा लचीले तरीके से Invest कर सकते हैं।

Diversification से सुनिश्चित होता है कि अगर एक Investment अच्छा Performance नहीं करता, तो दूसरे Investments की अच्छी Performance से उसका नुकसान कम कर देगा। 

Liquidity के कारण आप ज़रूरत के मुताबिक पैसा निकाल या लगा सकते हैं। इसका Cost-Efficiency Nature ETF को नए Investors के लिए आकर्षक बनाता है।

ETF निवेश के जोखिम – Risks Associated with Investing in ETF

हालांकि ETF के कई benefits हैं लेकिन कुछ risk भी हैं जिन्हें जानना ज़रूरी है:-

  • बाजार का जोखिम(Market Risk): Market Risk हर Investment में होता है, और ETF भी इससे अछूते नहीं हैं। ETF का मूल्य उनमें शामिल Investments के Performance के आधार पर घट-बढ़ता है।
  • ट्रैकिंग एरर(Tracking Error): कभी-कभी ETF का प्रदर्शन उसके Benchmark Index से थोड़ा अलग हो सकता है, जिसे वो track करने की कोशिश कर रहा है। इसे Tracking Error कहा जाता है। हालांकि ETF आम तौर पर ऐसे Error कम करने की कोशिश करते हैं, लेकिन ये फिर भी हो सकते हैं और मुनाफे को प्रभावित कर सकते हैं।
  • ETF में शामिल एसेट्स का Risk : ETF में शामिल किसी खास कंपनी या Sector का Performance खराब होने से पूरे ETF का मूल्य नीचे गिर सकता है।

इन Risks को समझना ज़रूरी है, ताकि आप सोच-समझकर Investment का फैसला ले सकें।

भारत में नए निवेशकों के लिए सही ETF कैसे चुनें – How to Choose the Right ETF for Beginners in India

ETF चुनने के मुख्य कदम निम्न प्रकार से है:-

अपने लक्ष्य तय करें(Define Your Investment Goals):

सबसे पहले सोचें कि आप क्यों Invest कर रहे हैं? क्या आप जल्दी मुनाफा चाहते हैं ? या बूढ़े होने पर अच्छा जीवन जीना चाहते हैं? क्या आप थोड़ा Risk उठा सकते हैं या नहीं? इन सवालों के जवाब देने से आपको सही ETF चुनने में मदद मिलेगी।

ETF के प्रकार जानें(Know the types of ETFs):

ETF कई तरह के होते हैं:-

  • Equity ETF: कंपनियों के Shares में Invest करते हैं। Shares की तरह ही इनका मूल्य भी  उतार-चढ़ाव(Fluctuate) करता रहता है।
  • Bond ETF: Government या Corporate Bonds में Invest करते हैं। Bonds में ज़्यादा Risk नहीं होता, लेकिन मुनाफा भी कम होता है।
  • Sector-Specific ETF: किसी खास Sector की कंपनियों के Shares में Invest करते हैं, जैसे Banking या IT
  • Thematic ETF: किसी खास Theme पर आधारित होते हैं, जैसे Clean Energy या Artificial Intelligence

अपने Goals के हिसाब से सही तरह का ETF चुनें।

खर्च का हिसाब लगाएं(Calculate Expenses):

ETF हर साल एक छोटा सा शुल्क(Fee) लेते हैं, जिसे “एक्सपेंस रेश्यो(Expense Ratio)” कहा जाता है। कम खर्च वाले ETF ज़्यादा फायदा देते हैं। अलग-अलग ETF के खर्चों की तुलना करके वो चुनना चाइए, जिसका खर्च सबसे कम हो, क्योंकि लंबे समय में थोड़ा कम खर्च भी काफी असर डालता है।

ETF चुनने के लिए कुछ और टिप्स(Some more tips for choosing ETF):

  • अपना Research करें: किसी भी ETF में Invest करने से पहले उसके बारे में अच्छी तरह से Research करनी चाइए।
  • विविधता लाएं(Diversify): अपने Portfolio में एक से ज़्यादा तरह के ETF शामिल करें, ताकि अगर एक का प्रदर्शन खराब हो तो दूसरे उसे संतुलित कर दें।
  • लंबी अवधि के लिए सोचें(Think long term): ETF में निवेश करना एक Long Term Investment है, इसलिए जल्दी मुनाफे की उम्मीद न करें और घबराकर बेच न दें।

नए Investors के लिए बेस्ट ETF : Best ETFs to Invest in India for Beginners

अभी-अभी Invest की दुनिया में कदम रख रहे हैं, तो ज़रूर सोच रहे होंगे कि कौन-से ETF आपके लिए बेस्ट रहेंगे? 

आइए कुछ लोकप्रिय विकल्पों पर नज़र डालते है :-

Nifty 50 ETF:

ये ऐसे फंड हैं जो देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज, NSE Nifty, के टॉप 50 कंपनियों में निवेश करते हैं। ये Nifty50 Index को ट्रैक करते हैं।

इसका मतलब देश के बाजार में सबसे ज़्यादा चर्चित 50 कंपनियों में थोड़ा-थोड़ा निवेश करने जैसा है।

इसमें Invest करने से आपको इन कंपनियों के Performance का सीधा फायदा मिलता है। कुछ उदाहरण हैं-   HDFC Nifty 50 ETF, Axis Nifty 50 ETF और SBI Nifty 50 ETF.

Sensex ETF:

ये फंड Nifty 50 ETF के जैसे ही देश के दूसरे बड़े एक्सचेंज BSE Sensex की टॉप 30 कंपनियों में Invest करते हैं।

ये Nifty50 की तरह ही Sensex30 Index को ट्रैक करते हैं।

कुछ उदाहरण हैं- UTI S&P BSE Sensex ETF और ICICI Pru S&P BSE 500 ETF

Gold ETF:

अगर आप ज़्यादा Risk उठाना नहीं चाहते, तो Gold ETF में Invest करना अच्छा तरीका है।

ये आपके Portfolio को Diversify बनाते हैं। इनमें Invest करने से आपको Gold की कीमत के चढ़ने-गिरने से फायदा मिलता है, लेकिन आपको गोल्ड(Gold) खरीदकर रखने की ज़रूरत नहीं होती।

कुछ उदाहरण हैं-  IDBI Gold ETF, UTI Gold ETF, HDFC Gold ETF और SBI – ETF Gold

Industry/Sector ETF:

ये ऐसे फंड हैं जो किसी खास Industry या Sector, जैसे Banking, हेल्थकेयर(Healthcare) या टेक्नोलॉजी(Technology) आदि में Invest करते हैं।

अगर आपको लगता है कि कोई खास Sector अच्छा Perform करेगा, तो आप उन ETF में Invest कर सकते है।

उदाहरण के लिए Banks पर फोकस करने वाले कुछ ETF हैं- Nippon ETF Infra BeES, Kotak PSU Bank ETF, Edelweiss ETS – Banking और SBI – ETF Nifty Bank.

Bond ETF:

अगर आप कम Risk लेना चाहते हैं, तो ये आपके लिए सही हैं।

ये फंड Bonds में Invest करते हैं, जो कंपनियों या सरकार द्वारा निकाले जाते हैं। जिससे आपको Fixed Regular Interest मिलता है।

कुछ उदाहरण हैं- LIC G-Sec LTE Fund – RP (G), SBI-ETF 10Y Gilt और Nippon ETF Long Term Gilt.

तो किसमें Invest करें?

यह आपके Goals और Risk उठाने की क्षमता पर निर्भर करता है।

Nifty50 और Sensex ETF सुरक्षित विकल्प हैं, जिनसे लगातार अच्छा रिटर्न मिलने की उम्मीद है। गोल्ड ETF आपके पोर्टफोलियो में विविधता लाते हैं और बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान आपकी मदद कर सकते हैं।

Industry/Sector ETF चुनने के लिए उस Sector के विकास की संभावनाओं पर ध्यान देना चाइए। Bond ETF कम Risk वाले Investors के लिए बेहतरीन हैं।

आप किसी Financial Advisor से भी सलाह ले सकते हैं, जो आपके Goals को समझकर आपके लिए सही ETF चुनने में पूरी मदद करेगा।

Investors के लिए ETF निवेश पर टैक्स – Tax Implications of Investing in ETFs for Beginners in India

Invest करते समय टैक्स की ध्यान रखना ज़रूरी है, ताकि आप अपनी मेहनत का ज़्यादा से ज़्यादा फायदा उठा सकें। भारत में, ETF पर टैक्स इस बात पर निर्भर करता है कि आपने Investment को कितने समय तक रखा है।

  • लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स(Long-Term Capital Gains): अगर आप किसी ETF को एक साल से ज़्यादा समय तक रखते हैं और उसे बेचकर मुनाफा कमाते हैं, तो यह Long-Term Capital Gains कहलाता है। इस मुनाफे पर सिर्फ 10% टैक्स लगेगा। ये Tax Rate कम इसीलिए है कि ज़्यादा समय तक निवेश करने को बढ़ावा मिले।
  • शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स(Short-Term Capital Gains): अगर आप किसी ETF को एक साल से कम समय तक रखते हैं और उसे बेचकर मुनाफा कमाते हैं, तो यह Short-Term Capital Gains कहलाता है। इस मुनाफे पर आपकी Income Tax Slab के हिसाब से टैक्स लगेगा।

तो, कुल मिलाकर ETF Investments पर टैक्स का मामला सीधा-सा है। कम समय के Investment पर ज़्यादा टैक्स और लंबे समय के Investment पर कम टैक्स लगता है।

इसलिए, long-Term का Goal रखकर ETF में Investment करना ज़्यादा फायदेमंद होता है।

ध्यान रखने योग्य बातें :-

  • गोल्ड ETF पर Tax Rate अलग होती है। गोल्ड ETF के Long-Term Capital Gains पर 20% टैक्स लगता है।
  • डिविडेंड(Dividend) पर अलग से टैक्स लगता है।
  • अगर आपने ETF में कोई नुकसान उठाया है, तो आप उस नुकसान को अपने दूसरे Capital Gains से घटा सकते हैं।

Diversified ETF पोर्टफोलियो बनाना: Building a Diversified ETF Portfolio for Beginner in India

सफल Investment का राज़ है की “सभी अंडे एक टोकरी में न रखें“।

इसी तरह, ETF में Invest करते समय अलग-अलग तरह के ETF चुनने चाहिए, ताकि किसी एक की ख़राब परफॉर्मेंस से पूरा पोर्टफोलियो नीचे न गिरे। इसे Diversification कहते हैं। 

इससे Investment का कुल Risk कम होता है और मुनाफा ज़्यादा मिलने की संभावना बढ़ती है।

ETF Portfolio बनाते समय Diversification लाने के दो मुख्य तरीके हैं:-

1. एसेट एलोकेशन(Asset Allocation):

अपने Investments को अलग-अलग एसेट क्लासेस में बांटें, जैसे Shares, Bonds और Commodities। इससे अगर किसी एक एसेट का Performance खराब होता है, तो दूसरे उसे संतुलित कर देंगे।

उदाहरण: मान लीजिए आपके पास 100 रुपये हैं, तो आप उन्हें 60% Shares, 30% Bonds और 10% Commodities में Invest कर सकते हैं।

2. जियोग्राफिकल डाइवर्सिफिकेशन(Geographical Diversification) :

अपने पोर्टफोलियो में ऐसे ETF शामिल करें जो सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशी बाजारों में भी Invest करते हों।इससे अगर भारत की अर्थव्यवस्था में कोई दिक्कत आती है तो विदेशी बाजार आपको बचा सकते हैं।

उदाहरण: आप ऐसा ETF चुन सकते हैं जो Nifty50(भारतीय बाजार) और S&P 500 (अमेरिकी बाजार) दोनों में Invest करता हो।

आप अपने Goals और Risk उठाने की क्षमता के हिसाब से और भी तरह की Diversity ला सकते हैं।

Diversified Portfolio बनाने से आप बाजार के उतार-चढ़ाव(Market Fluctuations) का सामना आसानी से कर सकते हैं और लंबे समय में बेहतर रिटर्न पाते हैं।

ETF में Invest करते समय ध्यान करने योग्य बातें – Factors to Consider While Investing in ETFs for Beginners

How to Invest in ETF for Beginners in India?

ETF में Invest करना अच्छा तो है, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है, ताकि कोई नुकसान न हो। ये कुछ मुख्य बातें हैं:-

1. लिक्विडिटी और ट्रेडिंग वॉल्यूम(Liquidity and Trading Volume):

ऐसा ETF चुनें जिसे बाजार में आसानी से खरीदा और बेचा जा सके। इसका मतलब है कि उसकी “Liquidity” और “Trading Volume” ज़्यादा होना चाहिए। ऐसे ETF न चुनें जिनमें बहुत कम Trading होती है, क्योंकि ज़रूरत पड़ने पर उन्हें बेचना मुश्किल हो सकता है।

2. एक्सपेंस रेश्यो (Expense Ratio):

हर ETF में एक छोटा सा सालाना शुल्क(Annual Fee) होता है, जिसे “एक्सपेंस रेश्यो(Expense Ratio)” कहते हैं। कम Fee वाला ETF ज़्यादा फायदा देता है, इसलिए कम एक्सपेंस रेश्यो वाले ETF को चुनना चाइये।

3. ट्रैकिंग एरर (Tracking Error):

हर ETF किसी खास Index को ट्रैक करने की कोशिश करता है। यह देखना ज़रूरी है कि ETF अपने “Benchmark Index” को कितनी सही तरीके से ट्रैक करता है।

Tracking error बताता है कि ETF कितनी सटीकता से उस Index को ट्रैक कर रहा है। कम Tracking error वाला ETF आपके Investment के Performance को ज़्यादा विश्वसनीय बनाता है।

इन तीन बातों के अलावा आप अपने Goals और Risk Appetite को भी ध्यान में रख सकते हैं।

How to Compare Different ETFs for Investment in India-अलग-अलग ETF की तुलना कैसे करें

नए Investor के लिए सही ETF चुनना थोड़ा मुश्किल लग सकता है, लेकिन चिंता न करें। यहां कुछ आसान तरीके बताए गए हैं, जिनसे आप अलग-अलग ETF की तुलना कर सकते हैं:-

  • पिछला प्रदर्शन(Past Performance): हर ETF का एक इतिहास होता है। आपको ये देखना चाहिए कि किसी खास ETF ने पिछले कुछ सालों में कैसा प्रदर्शन किया है। क्या वो लगातार मुनाफा दे रहा है? क्या वो बाजार के उतार-चढ़ाव का सामना कर पाया है? लगातार अच्छा रिटर्न देने वाला ETF चुनना चाइये।
  • खर्च और फीस(Expenses and Fees): हर ETF में एक छोटा सा खर्च होता है, जिसे “Expense Ratio” कहते हैं। इसके अलावा, कुछ ETF में और भी फीस हो सकती हैं। कुल मिलकर इन खर्चों का असर ETF के मुनाफे पर पड़ता है। इसलिए कम खर्च वाले ETF चुनना ज़्यादा फायदेमंद होता है।
  • बेंचमार्क इंडेक्स(Benchmark Index): हर ETF किसी खास Index को ट्रैक करने की कोशिश करता है। जो इंडेक्स आपके Goals के हिसाब से हो, उसी को ट्रैक करने वाला ETF चुनना चाइये।
  • बाजार की खबरों पर ध्यान रखें (Stay Informed): बाजार के उतार-चढ़ाव, Economic Indices और Global Events पर ध्यान देंना चाइये क्योंकि ये ETF के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकते हैं। इससे समझ पाएंगे कि ETF के प्रदर्शन में Fluctuations क्यों आ रहा है और भविष्य में क्या उम्मीद की जा सकती है।

कुछ अतिरिक्त टिप्स(Some Additional Tips): अपने ETF के प्रदर्शन को बाजार के Average Performance से तुलना करनी चाइये । एक ही तरह के कई ETF हो सकते हैं। इसलिए हमेशा सबसे कम खर्चे और अच्छे ट्रैकिंग रिकॉर्ड वाले ETF को चुनना चाइये।

ज़रूरी नहीं कि सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला ETF हमेशा सही हो। अपने Goals और Risk Appetite के हिसाब से ETF चुनना चाइये।

ईटीएफ में Invest करना एक long Term Investment है। विपरीत परस्थितियों में घबराकर जल्दी बेचने के बजाय बाजार के उतार-चढ़ाव का धैर्य से सामना करना चाइये।

ज़रूरत हो तो किसी Financial Advisor से सलाह लेनी चाइये। वो आपकी ज़रूरतों को समझकर सही ETF चुनने में आपकी मदद कर सकते हैं।

ETF और Mutual Fund के बीच अंतर – Difference between ETF and Mutual Fund

जबकि ETF और Mutual Fund दोनों Diversified Portfolio में Invest करने के लिए Investors से पैसा इकट्ठा करते हैं। लेकिन इसमें महत्वपूर्ण अंतर हैं:-

ETFMutual Fund
खरीद और बिक्री
(Buying and Selling)
Stock Market की तरह ही खरीद-बेच सकते हैं, मतलब दिन में किसी भी समय। ये Stocks की तरह ही बाजार में उपलब्ध रहते हैं।दिन के अंत में एक तय कीमत (NAV) पर खरीद या बेच सकते हैं।
लचीलापन(Flexibility)पूरे दिन कभी भी खरीद या बेच सकते हैं, इससे ज़रूरत के हिसाब से पैसा लगाना या निकालना आसान होता है।एक बार खरीदने या बेचने का फैसला लेने के बाद, अगले दिन तक इंतजार करना पड़ता है।
Lock-in-PeriodETF में आम तौर पर lock-in-period नहीं होता है।कुछ Mutual Fund में अनिवार्य lock-in-period होता  है।
खर्च
(Cost)
आमतौर पर कम Costly होते हैं। इससे ज़्यादा मुनाफा मिलता है।
Cost थोड़े ज़्यादा होते हैं।
किसके लिए बेहतर?
(Better for Whom?)
 यदि आप ज़्यादा Flexibility चाहते हैं, दिन में कभी भी Buy और Sell करना चाहते हैं एवं कम खर्च वाला विकल्प ढूंढ रहे हैं तो ETF बेहतर हो सकता है।लंबे समय के लिए Invest करना चाहते हैं, ज़्यादा Risk नहीं लेना चाहते हैं और दिन में ट्रेडिंग नहीं करना चाहते तो Mutual Fund बेहतर होता है।

ये सिर्फ कुछ सामान्य अंतर हैं और दोनों के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं। Invest करने से पहले Goals और  Risk Appetite को ध्यान में रखते हुए अपना Research करना चाइये।

ETF और Stocks के बीच अंतर – Difference between ETF and Stocks

Beginner Investors के लिए ETF या Stocks confusing हो सकते हैं। आइए देखें दोनों में क्या अंतर है और आपके लिए कौनसा बेहतर है:-

शेयरों में निवेश(Investing in Shares or Stocks):

  • आप सीधे किसी खास कंपनी के Shares or Stocks खरीदते हैं।
  •  आप किस कंपनी में Invest कर रहे हैं, यह आप तय करते हैं।
  •  कंपनी का मूल्य बढ़ने या Dividend के रूप में पैसे मिलने से आप Stocks पर लाभ कमाते हैं
  •  Shares या Stocks में Volatility ज़्यादा होता है, मतलब Risk ज़्यादा होता है।
  • अगर कंपनी अच्छा करती है तो मुनाफा होता है, लेकिन अगर कंपनी खराब परफॉरमेंस करती है तो नुकसान भी हो सकता है।

ETF में निवेश(Investing in ETF):

  • आप कई कंपनियों के एक साथ समूह में Invest करते हैं।
  •  आपको किसी खास कंपनी को चुनने की ज़रूरत नहीं है, एक ही ETF से कई कंपनियों में Invest हो जाता है।
  •  इससे आपके पोर्टफोलियो में विविधता आती है, मतलब अगर एक कंपनी का Share गिरता है तो दूसरे उसे संतुलित करते हैं। इस तरह ज़्यादा कंपनियों में पैसा लगने से नुकसान का खतरा कम होता है।
  •  ETF का बाजार में Volatility कम होता है, मतलब Risk थोड़ा कम होता है।
  • आपको ज़्यादा मुनाफा तो नहीं होता, लेकिन नुकसान होने की संभावना भी कम होती है।
  • ETF को Shares की तरह ही बाजार में किसी भी समय खरीद या बेच सकते हैं।

कौन ज़्यादा अच्छा है?(Which one is better?): यह आपके Goals और Risk उठाने की क्षमता पर निर्भर करता है। अगर आप ज़्यादा Risk नहीं उठाना चाहते और एक सुरक्षित विकल्प ढूंढ रहे हैं, तो ETF बेहतर हो सकता है।

अगर आप किसी खास कंपनी में बड़ा मुनाफा कमाने की उम्मीद कर रहे हैं और ज़्यादा Risk लेने को तैयार हैं, तो Shares या Stocks लेना बेहतर होता है।

How to Start Investing in ETFs in India – ईटीएफ में निवेश कैसे शुरू करें?

यह 3 आसान कदम उठाकर आप भारत में ETF में Invest की शुरुआत कर सकते हैं :-

1. ब्रोकरेज और डीमैट खाता(Brokerage and Demat Account):

ETF, Stock Market में खरीदे-बेचे जाते हैं, इसलिए ETF में Invest करने के लिए आपको Shares की तरह ही Demat Account की ज़रूरत होती है।

एक अच्छे ब्रोकर को चुन कर अकाउंट खोलने की Process पूरा करें। इसके लिए कुछ Documents देने और कुछ शर्तें पूरी करनी पड़ती हैं।

इस बात का ध्यान रखें कि Broker उन बाजारों तक पहुंच हो, जहां आपका चुना हुआ ETF है।

अकाउंट खुलने के बाद, ब्रोकर के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म को समझना जरूरी हैं।

2. रिसर्च कर के और ईटीएफ चुनें(Research and Choose an ETF):

Broker के साथ अकाउंट खुलने के बाद, अगला कदम ETF के बारे में Research करना है।

StockEdge भारत का लीडिंग स्टॉक मार्केट रिसर्च और एनालिसिस टूल है, जो कि ढेरों Investors को ETF की दुनिया समझने में मदद करता है।

यह कई तरह के फीचर्स देता है, जिससे आप ETF को अलग-अलग मापदंडों से एनालिसिस कर सकते हैं, जैसे कि Asset Class, Sector या Benchmark Index

3. ETF खरीदें(Purchase the ETF):

Analysis के बाद जब आप अपना ETF चुन लें, तो अपने Brokerage Account से Buy Order डालें।

आपको बताना होगा कि आप कितने ETF Shares खरीदना चाहते हैं?, किस कीमत पर खरीदना चाहते हैं? और किस बाजार से खरीदना चाहते हैं? (जैसे BSE या NSE)।

खरीदने से पहले लेन-देन की जानकारी, ट्रेडिंग कॉस्ट आदि को ध्यान से देखेना चाइये।

जब कीमत आपकी पसंद के हिसाब हो या Market Environment अच्छा हो, तो प्लेटफॉर्म ऑर्डर पूरा कर देगा।

खरीदने के बाद, ETF Shares आपके Demat Account में आ जाएंगे और आप उस ETF के Shareholder बन जाएंगे।

बस….

इतना ही आसान है। 

ये सिर्फ शुरुआती कदम हैं और Invest करने से पहले Research करना ज़रूरी है।

सारांश(Conclusion)

भारत में एक नए Investor के रूप में ETF में Invest करना उलझन भरा लग सकता है, लेकिन सही जानकारी और Strategy से ये न सिर्फ आसान हो सकता है, बल्कि ज़्यादा पैसे कमाने का ज़रिया भी बन सकता है। 

याद रखें, ETF में सफलता पाने का राज है:-

  • लगातार सीखना(Continuous learning): नई जानकारी और Strategies अपनाते रहें।
  • सोच-समझकर फैसले लेना(Informed Decisions): Risk उठाने से पहले अच्छे से सोचें।
  • अनुशासित पोर्टफोलियो बनाना(Disciplined Portfolio): अपने Goals के हिसाब से Invest करें।

ETF की दुनिया में आगे बढ़ते हुए:-

  • खबरों पर नज़र रखें(Keep an Eye on the News): बाजार और Economy के बारे में अपडेट रहें।
  • विविधीकरण बनाए रखें(Maintain Diversification): अपने Portfolio में अलग-अलग तरह के ETF शामिल करें, ताकि अगर किसी एक में नुकसान हो तो दूसरे बचा लें।
  • दीर्घकालिक निवेश(Long-Term Investing): ETF में ज़्यादा समय के लिए Invest करने का इरादा रखें, ताकि बाजार के उतार-चढ़ाव का फायदा उठा सकें।

ETF के ज़रिए लंबे समय में पैसा बढ़ने के साथ साथ आप एक अनुभवी और समझदार Investor भी बन सकते हैं। 

मुझे उम्मीद है कि इस आर्टिकल से आपको Invest in ETF के बारे में समझने में मदद मिली होगी। याद रखें, थोड़ी सी मेहनत और जानकारी के साथ, आप भी ETF के ज़रिए अपने Financial Goals को हासिल कर सकते हैं।

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ETF क्या होता है?

ETF का मतलब ‘Exchange Traded Fund‘ होता है। इसे आप शेयरों का Bunch समझ सकते हैं। इस Bunch में कई कंपनियों के Shares या Stocks का Mixture होता है। इसके द्वारा आप एक साथ कई कंपनियों में Invest कर सकते हैं।

नए investor  ETF में invest कैसे शुरू करें?

सबसे पहले, एक अच्छे ब्रोकर के पास Demat और Brokerage अकाउंट खोलें। Broking प्लेटफॉर्म से अलग-अलग ETF की जानकारी लें और समझें कि वो कैसा Perform कर रहे हैं।
अपने Goals और जोखिम उठाने की क्षमता के हिसाब से एक या ज़्यादा ETF चुनें और Broker के प्लेटफॉर्म से उस को खरीद लें।

ETF में Invest क्यों करना चाहिए?

1. कम जोखिम(Low Risk): ETF में कई कंपनियों के शेयर होते हैं, इसलिए अगर एक कंपनी का प्रदर्शन खराब होता है तो दूसरे उसे संतुलित कर देते हैं। इससे Overall Risk कम हो जाता है।
2. आसान निवेश(Easy Investing): ETF खरीदना और बेचना Shares या Stocks की तरह ही आसान है। 
3. कम खर्च(Low Expenses): ETF में आम तौर पर कम खर्च होता है, जिससे लम्बे समय में मुनाफा ज़्यादा होता है।
4. विविधता(Diversification): ETF से आप एक ही झटके में कई कंपनियों में Invest करते हैं, जिससे  Portfolio Diversify हो जाता है और Risk कम होता है।

ETF में Invest करने में क्या रिस्क है?

बाजार में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं, इसलिए ETF में भी नुकसान हो सकता है। लेकिन, अलग-अलग कंपनियों में Invest से रिस्क कम हो जाता है।

क्या हमें खुद ही सारा फैसला लेना होगा?

हां, आप खुद भी फैसला ले सकते हैं, लेकिन ज़रूरी नहीं। आवश्यकता होने पर आप किसी Financial Advisor से सलाह ले सकते हैं। वो आपके Goals के हिसाब से सही ETF चुनने में मदद कर सकते हैं।

ETF में कितना पैसा लगाना चाहिए?

ये पूरी तरह आप पर निर्भर करता है। लेकिन, यह ज़रूर ध्यान रखें कि ETF को एक long-Term Investment समझें। ज़्यादा पैसे Invest करने से पहले बाजार को समझने की कोशिश करें।

ETF में Invest करने से पहले क्या ध्यान रखना चाइये ?

1. अपना रिसर्च करें(Do your Research): ETF खरीदने से पहले उसकी History, Expenses और Performance के बारे में जानना चाइये।  
2. जोखिम उठाने की क्षमता(Risk Appetite): कितना Risk उठा सकते हैं, इसका आकलन करें और उसके हिसाब से ETF चुनें।
3. लंबी अवधि का निवेश(Long-Term Investment): ETF में ज़्यादा समय के लिए Invest करना चाहिए, ताकि बाजार के Fluctuations का फायदा उठा सकें।
4. फाइनेंशियल एडवाइज़र से सलाह लें(Consult a Financial Advisor): अगर आप नए Investor हैं, तो किसी भी प्रकार के इन्वेस्टमेंट से पहले फाइनेंशियल एडवाइज़र से सलाह लेना चाहिए।

क्या ETF बिल्कुल सुरक्षित हैं?

नहीं, ETF में भी जोखिम होता है। बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण ETF के मूल्य में भी कमी हो सकती है।

ETF में invest करने के लिए कितने पैसो की ज़रूरत होती है?

आप अपनी ज़रूरत के हिसाब से जितना चाहें उतना ETF में Invest कर सकते हैं। कुछ ETF के units बहुत कम कीमत पर भी मिलते हैं।

क्या मुझे Financial Advisor की ज़रूरत है?

अगर आप नए Investor हैं तो फाइनेंशियल एडवाइज़र की सलाह लेना अच्छा विचार हो सकता है। वो आपकी ज़रूरतों और जोखिम उठाने की क्षमता के हिसाब से सही ETF चुनने में आपकी मदद करते हैं।

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